धर्मग्रंथों के रूपांतरण को संरक्षित करने की जरूरत : दिल्ली हाईकोर्ट
नईदिल्ली
दिल्ली हाईकोर्ट ने कई संस्थाओं को 'इस्कॉन' के संस्थापक श्रील प्रभुपाद द्वारा स्थापित भक्तिवेदांत पुस्तक ट्रस्ट से संबंधित सामग्री को फिर से प्रकाशित और प्रसारित करने से रोक दिया है। हाईकोर्ट ने कहा है कि धार्मिक ग्रंथों में भले ही कोई कॉपीराइट नहीं हो सकता है, लेकिन उनके रूपांतरण – जैसे रामानंद सागर की रामायण या बीआर चोपड़ा की महाभारत – 'पायरेसी' से सरंक्षण के हकदार हैं।
जस्टिस प्रतिभा एम.सिंह ने इस मुद्दे पर ट्रस्ट के मुकदमे का निपटारा करते हुए कहा कि कॉपीराइट उन कार्यों के मूल हिस्सों में निहित होगा, जो धर्मग्रंथ का उपदेश देते हैं या इनकी व्याख्या करते हैं और वादी के ऐसे कॉपीराइट योग्य कार्यों की पायरेसी की इजाजत नहीं दी जा सकती है।
हाईकोर्ट ने हाल में एक एकतरफा अंतरिम आदेश में कहा, ''प्रतिवादी नंबर 1 से 14 को वादी के कार्यों के किसी भी हिस्से को जनता के बीच मुद्रित रूप में या ऑडियो-विजुअल रूप में या वेबसाइट, मोबाइल ऐप सहित किसी भी इलेक्ट्रॉनिक रूप में प्रसारण करने पर रोक रहेगी। इसने कहा कि किसी भी रूप से ऐसा करना वादी के कॉपीराइट का उल्लंघन होगा।''
कोर्ट ने अधिकारियों को आपत्तिजनक लिंक को हटाने और ब्लॉक करने का आदेश देते हुए गूगल और मेटा इंक को अपने प्लैटफॉर्म से ऐसे उल्लंघनकारी कार्यों को हटाने का निर्देश दिया।
वादी ने कहा कि उसके पास आध्यात्मिक गुरु अभय चरणारविंद भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद के सभी कार्यों का कॉपीराइट है, जिन्होंने धार्मिक पुस्तकों और धर्मग्रंथों को सरल बनाया ताकि आम आदमी इसे आसानी से समझ पाए।
इसने कहा कि प्रभुपाद के जीवनकाल के दौरान और उनकी 'महासमाधि' के बाद वादी ने उनकी शिक्षाओं को मुद्रित और ऑडियो रूप सहित विभिन्न रूपों में फैलाया और प्रतिवादी इन्हें बिना किसी लाइसेंस या अधिकार के अपने ऑनलाइन प्लैटफॉर्म, मोबाइल ऐप और इंस्टाग्राम अकाउंट पर उपलब्ध करा रहे थे।
वादी ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि श्रीमद्भगवद गीता दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित प्राचीन ग्रंथों में से एक है। भगवद गीता के साथ-साथ भागवतम जैसे अन्य ग्रंथ, जिनके बारे में लेखक (प्रभुपाद) ने लिखा है, सभी सार्वजनिक डोमेन कार्य हैं।
हाईकोर्ट ने कहा कि धर्मग्रंथों में किसी कॉपीराइट का दावा नहीं किया जा सकता। हालाँकि, उक्त कार्य का कोई भी रूपांतरण जिसमें स्पष्टीकरण, सारांश, अर्थ, व्याख्या/व्याख्या प्रदान करना या कोई ऑडियो विजुअल कार्य बनाना शामिल है, उदाहरण के लिए, रामानंद सागर की रामायण या बी आर चोपड़ा की महाभारत जैसी टेलीविजन श्रृंखला; धर्मग्रंथों आदि के आधार पर नाटक समितियों द्वारा निर्मित नाटकीय कार्य, परिवर्तनकारी कार्य होने के कारण स्वयं लेखकों के मूल कार्य होने के कारण कॉपीराइट संरक्षण के हकदार होंगे।