November 12, 2024

जाति गणना रिपोर्टः चिराग पासवान बोले; आंकड़े गलत, नीतीश-तेजस्वी सरकार ने देखा अपना लाभ

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पटना

बिहार में जाति आधारित गणना की रिपोर्ट पर सियासत  तेज होती जा रही है। बीजेपी इस रिपोर्ट को लेकर राजद और जेडीयू पर हमलावर है। अब एनडीए के सहयोगी दल लोजपा, रामविलास के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान ने भी आंकड़ों की सच्चाई पर सवाल खड़े कर दिए हैं। चिराग पासवान ने सोशल मीडिया एक्स पर बयान जारी कर कहा है कि राजनीतिक नफा नुकसान को ध्यान में रखते हुए नीतीश-तेजस्वी सरकार ने रिपोर्ट तैयार की है।

जमुई सांसद ने कहा है कि बिहार सरकार द्वारा जारी किए गए जातिगत गणना के आकड़ों में पूर्णतः राजनीतिक साजिश दिखाई देती है। एक जाति विशेष को राजनीतिक लाभ दिलाने की दृष्टि से कई आकड़ों को जहां बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया गया है वहीं कई ऐसी जातियां है जिनकी आबादी को कम करके दिखाने का प्रयास किया गया है।

उन्होंने कहा है कि एससी और एसटी में कई ऐसी छोटी जातियां है जिनको उनकी आबादी के अनुसार गणना में नहीं दिखाया गया है। पिछड़े वर्ग में कई ऐसी जातियां है जिनको उनके हिस्सेदारी के अनुसार उनके आकड़ें नही दर्शायें गए है, पासवान जाति में भी आंकड़ों को कम करके दिखाया गया है। यह दर्शाता है कि राजनीतिक लाभ लेने की दृष्टि से मौजूदा सरकार ने अपने अनुसार इन आकड़ों को साझा किया है। वैसे भी जातीय आधारित गणना में कोई पारर्दिशता नहीं रखी गई।  किसी को जानकारी तक नहीं थी कि जातीय जनगणना कराने की प्रक्रिया क्या है और न सिर्फ राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता बल्कि आम बिहारी से भी जानकारी नहीं ली गई है कि कौन किस जाति से आता है।

बिहार सरकार द्वारा राजनीतिक लाभ की दृष्टि से प्रस्तुत किए गए आकड़े को लोक जनशक्ति पार्टी नकारती है। अभी भी इन आकड़ों में सुधार करने की आवश्यकता है और कई ऐसी छोटी जातियां है जिनको इसमें नहीं दर्शाया गया है उनके साथ यह कहीं ना कहीं अन्याय है।

इससे पहले बीजेपी के राज्यसभा सांसद सुशील मोदी ने जातीय गणना रिपोर्ट की जांच की मांग की। उन्होंने आरोप लगाया कि ईबीसी की संख्या घटाया गया है जबकि धर्म विशेष और जाति विशेष की संख्या को बढ़ा कर दिखाया गया है। सुशील मोदी ने कहा कि कई अति पिछड़ी जातियों के लोगों ने शिकायत किया है कि उनकी संख्या को घटा दिया गया है। वहीं बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी समेत अन्य नेताओं ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा है कि आधी अधूरी  रिपोर्ट पेश की गयी। आंकड़ों से खिलवाड़ भी किया गया।

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