प्रकृति के आगे बौना हुआ चीन, एक हिस्से में जानलेवा लू, दूसरा हिस्सा बाढ़ से डूबा
बीजिंग
ज़ीरो कोविड पॉलिसी की वजह से पहले ही आर्थिक सुस्ती में फंस चुका चीन पहले से ही कई आर्थिक चुनौतियों का सामना कर रहा है, लेकिन अब चीन बहुत बड़े बिजली संकट में फंस गया है, जिसकी वजह से सैकड़ों कंपनियों को तत्काल अपना प्रोडक्शन बंद करने के लिए कहा गया है। चीन में ये बिजली संकट भीषण गर्मी की वजह से शुरू हुआ है और देश के दक्षिण-पश्चिम क्षेत्र में प्रचंड गर्मी पड़ रही है, जिसके चलते सैकड़ों कंपनियों को पहले ही अस्थाई तौर पर बंद कर दिया गया था, ताकि आवासीय क्षेत्रों में बिजली सप्लाई की जा सके, लेकिन अब बड़ी कंपनियों को भी अपना प्रोडक्शन बंद करने के लिए कहा गया है, ताकि बिजली बचाया जा सके।
सप्लाई-चेन पर गंभीर असर
चीन पूरी दुनिया का एक बड़ा सप्लायर है और चीन में कंपनियां बंद होने का सीधा असर ग्लोबल सप्लाई चेन पर पड़ेगा। जैसे, चोंगकिंग नगर निगम के कई फैक्ट्रियां हैं, जो ऑटोमोबाइल और कंप्यूटर पार्ट्स का उत्पादन करते हैं। लेकिन स्थानीय सरकार ने अब बिजली बचाने के लिए प्रोडक्शन में कमी करने का आदेश दिया है, जिसकी वजह से पूरी दुनिया में कई कंप्यूटर और ऑटोमोबाइल पार्ट्स की सप्लाई परक असर पड़ सकता है। वहीं, सिचुआन प्रांत में, जिसे चीन का मैन्युफैक्चरिंग हब कहा जाता है, वहां पर स्थित तमाम कारखानों को अस्थाई तौर पर बंद कर दिया गया है। सिचुआन प्रांत में भीषण गर्मी पड़ रही है और बिना एयर कंडीशन के लोगों का रहना दूभर हो रहा है, लिहाजा सरकार को आवासीय क्षेत्रों में ज्यादा बिजली सप्लाई करनी पड़ रही है और इसका असर कारखानों पर पड़ रहा है। चीन में कारखानों के बंद होने का सीधा असर वोक्सवैगन टेक्नोलॉजीज, टोयोटा मोटर कॉर्प, वोक्सवैगन और टेस्ला बैटरी सप्लायर CATL जैसी कंपनियों पर असर पड़ेगा।
शी जिनपिंग की बढ़ रही है चिंता
इस साल के अंत तक चीन में राष्ट्रपति का चुनाव होना है, लेकिन उससे पहले शी जिनपिंग कई चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। पहले तो वो कोविड को कंट्रोल करने में नाकाम रहे, फिर देश के आर्थिक हालात को संभालने में वो बुरी तरह से नाकामयाब रहे हैं और रही सही कसर ताइवान में अमेरिकी हाउस स्पीकर नैन्सी पेलोसी की यात्रा ने पूरी कर दी है और अब प्रचंड गर्मी… ऐसा लगता है, कि 69 साल के शी जिनपिंग के ऊपर ये साल काफी भारी पड़ने वाला है। हालांकि, शी जिनपिंग का लगातार तीसरी बार राष्ट्रपति बनना करीब करीब तय है, लेकिन आखिरी मुहर लगना अभी बाकी है। लेकिन, उससे पहले शी जिनपिंग को लेकर देश में जिस तरह से असंतोष का वातावरण बन रहा है, वो शी जिनपिंग के खिलाफ भी जा सकता है। कुछ दिनों में चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की बैठक होने वाली है, जिसमें नये राष्ट्रपति के नाम के ऐलान के साथ साथ कई और घोषणाएं की जानी हैं और माना जा रहा है, कि शी जिनपिंग के कई राजनीतिक विरोधियों को सरकार में उच्च पद मिल सकता है, लिहाजा शी जिनपिंग के लिए आगे का सफर आसान नहीं होगा।
जलवायु परिवर्तन का गंभीर असर
सीएनएन की रिपोर्ट के मुताबिक, चीन के सरकारी वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है, कि चीन में जमीन का तापमान वैश्विक औसत के मुकाबले तेजी से बढ़ रहा है और अभी जो गर्मी की लहर चल रही है, वो साफ तौर पर ग्लोबल वार्मिंग का असर है और इसके प्रभावों ने चिंताएं बढ़ा दी है। दरअसल, चीन में जलवायु परिवर्तन से संबंधित तमाम नियम कानून को ताक पर रखकर फैक्ट्रियां लगाईं गईं और पूरा फोकस देश के विकास पर लगाया गया। करोड़ों की संख्या में पेड़ काटे गये और प्रकृति का भीषण विनाश किया गया। जिसका असर पर दिखना शुरू हो गया है। इस महीने की शुरुआत में चीन के राष्ट्रीय जलवायु केंद्र ने कहा कि, जून के मध्य से देश में लगभग 90 करोड़ लोग लू से प्रभावित हुए हैं। ऐसा नहीं है, कि चीन में सिर्फ प्रचंड गर्मी ही पड़ रही है, बल्कि जलवायु परिवर्तन अपने दूसरे भयानक असर भी दिखा रहा है। देश का एक हिस्सा भीषण गर्मी से त्राहिमाम कर रहा है, तो एक हिस्सा रिकॉर्ड बारिश से डूब रहा है। चीनी राज्य मीडिया सीसीटीवी के अनुसार, उत्तर पश्चिमी चीन में लगातार हो रही भारी बारिश के कारण बाढ़ आ गई है और अचानक भूस्खलन होने से कम से कम 16 लोगों की मौत हो गई है।
सबसे प्रसिद्ध यांग्त्जी नदी में पानी खत्म!
चीन की महत्वपूर्ण नदी में से एक यांग्त्जी नदी अब लगभग सूख चुकी है। इसे भारी मात्रा में जल प्रदान करने वाली महत्वपूर्ण पोयांग झील अब सिकुड़ कर एक चौथाई पर आ गयी है। दरअसल तकनीक के बल पर चीन ने प्रकृति को अपने मनमुताबिक बदलने की कोशिश की। चीन ने कई ऐसे प्रयोगों में दुनिया को यह दिखाने की कोशिश की कि वह प्रकृति पर विजय हासिल कर सकता है। कृत्रिम सूरज का निर्माण करना हो या बादल को मोड़कर दूसरे इलाके में पानी बरसाना हो… चीन ने असंभव काम को संभव बनाने में प्रकृति के चक्र को मोड़ने की कोशिश की जिसका परिणाम अब इस देश को भुगतना पड़ रहा है।