वसुंधरा की सभा में कांग्रेसियों की मौजूदगी से मचा सियासी भूचाल
जयपुर.
प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे दो दिवसीय बाड़मेर-जैसलमेर दौरे को लेकर सोमवार को बाड़मेर पहुंचीं। इस दौरान राजे समर्थकों में भारी उत्साह देखने को मिला और इस दौरे में वसुंधरा गुट के भाजपा नेताओं के साथ-साथ कांग्रेसी नेताओं की उपस्थिति ने राजनीतिक गलियारों में हलचल पैदा कर दी। पूर्व सीएम वसुंधरा राजे की रेगिस्तानी ज़िलों की यात्रा के दौरान समर्थकों में इस तरह का उत्साह देखकर लगा कि राजे अपना राजनीति में जलवा लगातार दिखा रही हैं। पिछले कुछ समय से वसुंधरा राजे गुट के माने जाने वाले नेताओं के उनसे कुछ दूरी बनाकर रखने बाद अचानक बाड़मेर दौरे के दौरान साथ खड़े रहना और पूरे कार्यक्रम के दौरान वसुंधरा राजे से चर्चा और देर शाम एक निजी होटल में मीटिंग में शामिल होना। ये कहना गलत नहीं होगा कि आगामी विधानसभा चुनाव में प्रदेश के पश्चिमी इलाके में वसुंधरा राजे को नजरअंदाज करना भाजपा के लिए नुकसानदायक हो सकता है। शायद यही मैसेज भी राजे ने समर्थकों को जुटाकर देने की कोशिश बीजेपी नेतृत्व और जनता को दी है।
कांग्रेसी विधायक ने छुए राजे के पैर
पूर्व सीएम राजे की सीएम गहलोत की सरकार बचाने में सहयोग की चर्चाओं को एक बार फिर हवा मिल गई है। दरअसल यह मौका था बाड़मेर के समाजसेवी और भामाशाह तन सिंह चौहान के श्राद्ध कार्यक्रम का, इस दौरान कार्यक्रम में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के संबोधन के ठीक बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के करीबी माने जाने वाले और प्रदेश में राजस्थान गौ सेवा आयोग के अध्यक्ष और बाड़मेर से लगातार 3 बार से विधायक मेवाराम जैन ने अपने संबोधन से पहले वसुंधरा राजे के पैर छूकर एक बार फिर राजनीतिक गलियों में चर्चाएं तेज कर दीं। कांग्रेसी विधायक के भाषण के बाद पूर्व सीएम राजे ने मीडिया पर चुटकी लेते हुए कहा कि इसे समाचार पत्रों की हेडलाइन न बनाएं, क्योंकि यह चीज राजनीति से ऊपर है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के करीबी मेवाराम जैन के वसुंधरा राजे के पैर छूने का मामला आसानी से कहां दबने वाला है। प्रदेश के वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य में वसुंधरा राजे और उनके विरोधी गुट के नेताओं के बीच वर्चस्व की लड़ाई सर्वविदित है। राजे को दरकिनार करने की खबरें, प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा सरकार बचाने में राजे के सहयोग की बात करने, सचिन पायलट, गौरव गोगोई और कांग्रेस विधायकों सहित कांग्रेस नेताओं की समय-समय पर राजे से मुलाकात और बाड़मेर में आयोजित इस कार्यक्रम में कांग्रेसी विधायकों और कार्यकर्ताओं की भीड़ ने पश्चिमी राजस्थान की राजनीति में एक बार फिर भूचाल खड़ा कर दिया है।
दरअसल पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे अपने दो दिवसीय दौरे को लेकर बाड़मेर पहुंची हैं। पहले दिन राजे तन सिंह चौहान के श्राद्ध कार्यक्रम में शामिल हुई। वसुंधरा राजे गुट के माने जाने वाले दिग्गज राजपूत नेता और 5 वर्ष बाद भाजपा में एंट्री लेने वाले देवी सिंह भाटी को बीकानेर के कोलायत में 2013 में वसुंधरा राजे ने ही कांग्रेस से भाजपा में लाकर टिकट देकर मैदान में उतारा और पूर्व वित्त, विदेश और रक्षा मंत्री रहे दिग्गज नेता स्वर्गीय जसवंत सिंह जसोल को हराकर बाड़मेर-जैसलमेर लोकसभा सीट से सांसद बने कर्नल सोनाराम चौधरी और 2018 के विधानसभा चुनाव में वसुंधरा राजे के करीबी माने जाने वाले पूर्व भाजपा जिला अध्यक्ष आदू राम मेघवाल, शिव सीट से प्रत्याशी रहे खुमान सिंह सोढ़ा, जालम सिंह रावलोत, जैसलमेर के पूर्व विधायक छोटू सिंह भाटी, बालाराम मूंढ, केके विश्नोई, सिवाना विधायक हमीर सिंह भायल सहित भाजपा में वसुंधरा गुट के माने जाने वाले नेताओं की उनसे पिछले कई समय से दूरी बनाएं रखने के बाद अचानक साथ आना और दिनभर साथ रहना बदले हुए राजनीतिक हालातों की तरफ इशारा कर रहा है।
वसुंधरा राजे के साथ कांग्रेसी नेता
बाड़मेर जिले के कई कांग्रेसी नेताओं के इस कार्यक्रम में शामिल होने और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के साथ मंच साझा करना कई बड़े सवाल खड़े कर रहा है, लेकिन इस पूरे कार्यक्रम के दौरान प्रदेश के पश्चिमी इलाकों में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का सियासी जलवा देखने को मिल रहा है। इस दौरे को लेकर भाजपा के कई नेताओं का दूरी बनाना भी राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ है। इस कार्यक्रम में भाजपा के कई बड़े नेता शामिल नहीं हुए, लेकिन उनके समर्थक टिकट को लेकर वसुंधरा राजे के आगे नारेबाजी और समर्थन करते हुए नजर आए। ऐसे में पूर्व सीएम वसुंधरा राजे का बाड़मेर- जैसलमेर दौरे का क्या सियासी प्रभाव पार्टी पर पड़ेगा यह देखने वाली बात होगी।