November 25, 2024

जज सुना रहे वकीलों के लिखे फैसले…गहलोत अब माफीनामे पर आये

0

जयपुर.

अशोक गहलोत ने न्यायालय में भ्रष्टाचार को लेकर की गई अपनी टिप्पणी के लिए बिना शर्त माफी मांगी है। उन्होंने राजस्थान हाईकोर्ट में लिखित माफीनामा दाखिल किया है और याचिका को खारिज करने का अनुरोध किया। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मंगलवार को हाईकोर्ट में एक माफीनामा दाखिल किया और अपनी उस टिप्पणी के लिए 'बिना शर्त माफी' मांगी,

जिसमें उन्होंने कहा था कि न्यायपालिका में 'बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार' है। गहलोत ने यह टिप्पणी 30 अगस्त को की थी। उसके बाद एक वकील ने उनके खिलाफ एक याचिका दाखिल की थी। गहलोत का यह हलफनामा उस याचिका के जवाब में आया है। गहलोत ने कहा था कि कुछ न्यायाधीश वकीलों द्वारा तैयार किए गए फैसले सुना रहे हैं।

सीएम ने कहा था, 'आज न्यायपालिका में भ्रष्टाचार व्याप्त है। मैंने सुना है कि कुछ वकील खुद ही फैसला लिख लेते हैं और वही फैसला सुनाया जाता है।' गहलोत की टिप्पणी पर वकील समुदाय ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की थी। जस्टिस एम एम श्रीवास्तव और जस्टिस प्रवीर भटनागर की पीठ ने मामले की अगली सुनवाई के लिए सात नवंबर की तारीख तय की है। गहलोत द्वारा दायर हलफनामे में कहा गया है कि उनके मन में कानून और न्यायपालिका की महिमा के प्रति अत्यंत सम्मान है। उन्होंने जाने-अनजाने में कानून या न्यायालय की गरिमा को ठेस पहुंचाने वाला कोई बयान नहीं दिया है। उन्हें न्यायपालिका पर पूरा भरोसा है।
लिखित हलफनामे में गहलोत ने क्या कहा

लिखित हलफनामे में गहलोत ने कहा कि उन्होंने न्यायपालिका में कभी भी किसी प्रकार का भ्रष्टाचार नहीं देखा है। लेकिन उन्होंने बताया कि पिछले कुछ सालों में, सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के कई न्यायाधीशों ने कथित भ्रष्टाचार पर चिंता व्यक्त की है। मुख्यमंत्री ने अपने जवाब में कहा, 'मैं केवल इसी तरह की चिंता व्यक्त कर रहा था लेकिन समाचार रिपोर्ट में मेरे बयानों को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया और इसका गलत मतलब निकाला गया।' सीएम ने कोर्ट से उनकी माफी स्वीकार करने और जनहित याचिका खारिज करने का अनुरोध किया है। राजस्थान हाईकोर्ट इस मामले पर सात नवंबर को सुनवाई करेगा

बता दें कि वकील शिव चरण गुप्ता ने 31 अगस्त को हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी, जिसमें तर्क दिया गया था कि गहलोत की टिप्पणी 'जानबूझकर बदनाम करने और न्यायपालिका की छवि को कम करने' जैसी है। इसकी सुनवाई दो सितंबर को हाईकोर्ट डिवीजन बेंच ने की थी, जिसने गहलोत से जवाब मांगा था। गहलोत के वकील प्रतीक कासलीवाल ने सीएम का जवाब का हवाला देते हुए कहा, 'वह (सीएम) कानून और न्यायपालिका का अत्यधिक सम्मान करते हैं। यदि हाईकोर्ट को लगता है कि बयान से उन्होंने किसी भी तरह से जनता के मन में न्यायपालिका के सम्मान या प्रतिष्ठा को कम करने का प्रयास किया है, तो वह बिना शर्त माफी मांगते हैं। 1976 में जोधपुर विश्वविद्यालय से कानून की डिग्री लेने वाले गहलोत पहले कानूनी पेशे से करीबी से जुड़े रहे हैं।'

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *