November 25, 2024

SYL विवाद: सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार को कड़ी फटकार लगाई, इस पर राजनीति न करें, आप कानून से ऊपर नहीं

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नई दिल्ली
दो दशक पुराने हरियाणा और पंजाब के सतलुज यमुना लिंक (SYL) नहर विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार को कड़ी फटकार लगाई है। बुधवार को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार से कहा कि वह इस मुद्दे पर राजनीति न करे। कोर्ट ने कहा कि पंजाब सरकार कानून से ऊपर नहीं है। सुप्रीम कोर्ट को सख्त आदेश देने के लिए मजबूर न करें। सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि पंजाब सरकार इस मामले में आगे बढ़े। अगर सुप्रीम कोर्ट हल की तरफ बढ़ रहा है तो पंजाब सरकार भी पॉजिटिव रुख दिखाए। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में होने वाली डेवलपमेंट की रिपोर्ट देने को कहा है। अगली सुनवाई जनवरी 2024 में होगी।

केंद्र शुरू करवाए सर्वे
इस दौरान हरियाणा सरकार ने सुनवाई के दौरान कहा कि पंजाब सरकार नहीं चाहती कि एसवाईएल मसले का हल निकले। पिछली 2 मीटिंगों में कोई हल नहीं हुआ है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को कहा कि पंजाब की तरफ एसवाईएल नहर की मौजूदा स्थिति के सर्वे का काम शुरू किया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने सर्वे के लिए केंद्र से आने वाले अधिकारियों को पंजाब सरकार को पर्याप्त सुरक्षा मुहैया कराने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम लंबे समय से चल रहे इस विवाद का हल निकालने की दिशा में काम कर रहे हैं। हमें उम्मीद है कि पंजाब सरकार भी इस दिशा में काम करेगी। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से यह भी रिपोर्ट मांगी की पंजाब में एसवाईएल नहर के निर्माण के मौजूदा हालात कैसे हैं। राजस्थान सरकार ने भी कहा कि पंजाब सरकार का रुख इस दिशा में आगे बढ़ने जैसा नहीं लग रहा है।

पंजाब के सीएम बोले- हमारे पास किसी को देने के लिए पानी नहीं
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने इस बारे में कई बार कहा कि हमारे पास किसी राज्य को देने के लिए अतिरिक्त पानी नहीं है। एक हफ्ते पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में अमृतसर में आयोजित उत्तर क्षेत्रीय परिषद की बैठक में भी यह मुद्दा उठा था। इस में भी मान ने यही बात दोरायी थी। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने सतलुज-यमुना लिंक नहर निर्माण पर कहा था कि पंजाब का तर्क है कि पानी की उपलब्धता कम हो गई है। लेकिन एसवाईएल का निर्माण और पानी की उपलब्धता दो अलग-अलग मुद्दे हैं और एक-दसूरे से जुड़े हुए नहीं हैं इसलिए इस मामले में भ्रमित नहीं किया जाना चाहिए।

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