सीजनल बीमारियों के चलते JP और हमीदिया में बेड फुल, OPD में भारी भीड़
भोपाल
दिन में धूप-छांव तो कभी उमस-गर्मी और देर रात में तापमान में गिरावट दर्ज हो रही है। मौसम का ये बदला मिजाज लोगों के लिए नुकसान दायक साबित हो रहा है। इन दिनों घर-घर में बीमार मिल रहे हैं। लोगों को डेंगू, मलेरिया, चिकगुनिया, स्क्रब टायफस के अलावा सीजनल बीमारियां भी चपेट में ले रही है। साथ ही अस्थमा और एलर्जी के मरीज भी एका-एक बढ़ रहे हैं।
राजधानी के जेपी, एम्स और हमीदिया अस्पताल समेत अन्य सरकारी व निजी अस्पतालों की ओपीडी व आईपीडी में ऐसे मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। स्थिति ये है कि हमीदिया और जेपी अस्पताल में सामान्य वार्डों में तो बेड भी फुल हो गए हैं। गंभीर मरीजों को भी बेड मिलने में देरी हो रही है। इन मरीजों को ठीक होने में भी सात से दस दिन का समय लग रहा है।
हमीदिया अस्पताल के चिकित्सकों ने बताया कि अस्थमा एलर्जी के मरीज बढ़ने लगे हैं। ओपीडी 400 से 600 तक पहुंच गई हैं। फरवरी तक ऐसा ही चलेगा। जैसे-जैसे ठंड बढ़ेगी वैसे ही मरीज बढ़ेंगे। दिवाली पर पटाखों का धुंआ भी बड़ा कारण हैं। ऐसे में सावधानी बरतने की जरुरत है।
30 फीसदी सीजनल बीमारियों से ग्रस्त
सरकारी अस्पतालों की ओपीडी में मरीजों की संख्या 3 हजार पार पहुंच गई है। मेडिसिन विभाग की ओपीडी 1800 से 2 हजार तक हो गई हैं। सामान्य दिनों की तुलना में रोजाना 800 मरीज अधिक आ रहे हैं। आईपीडी की बात करें तो, रोजाना 150 से 180 मरीज गंभीर हालत में मेडिसिन विभाग में ही पहुंच रहे हैं। आगामी दिनों में यह संख्या और बढ़ेगी। इसलिए सावधानी बरतने की जरुरत है।
डेंगू-मलेरिया की रोकथाम के लिए लोगों में जागरूकता जरूरी
एम्स में मलेरिया डेंगू की रोकथाम प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया। प्रशिक्षण में सेना, रेलवे, आयुष समेत सौ से अधिक चिकित्सा अधिकारी शामिल हुए। एम्स डायरेक्टर डॉ. अजय सिंह ने कहा कि डेंगू-मलेरिया से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए जनता के बीच जागरूकता पैदा करना जरूरी है। हैमेरेजिक मलेरिया जिसमें मृत्यु दर अधिक है इसको फैलने से रोकने के लिए जिम्मेदार कारकों को पहचान कर उन्हें रोकना पर जोर दिया जाए।
नियंत्रण उपाय पर करेंगे सत्र का आयोजन
सीएमएचओ डॉ. प्रभाकर तिवारी ने डॉक्टरों से कहा कि वह मलेरिया और डेंगू बुखार को प्रभावी ढंग से नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। मलेरिया और डेंगू बुखार से संबंधित लक्षणों, कारणों और नियंत्रण उपायों के बारे में कई सत्र आयोजित किए गए।