पितृ पक्ष के आखिरी दिन सर्वपितृ अमावस्या
आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को सर्वपितृ अमावस्या मनाई जाती है। यह पितृ पक्ष का आखिरी दिन होता है और इस तिथि को सभी ज्ञात-अज्ञात पितरों को पिंडदान किया जाता है।
इस वर्ष 14 अक्टूबर को सर्व पितृ अमावस्या मनाई जायेगी। इस दिन सभी पितृ आपके द्वार पर उपस्थित होते हैं, और यदि अनजाने में आप किसी पूर्वज का श्राद्ध भूल गए हों तो सर्व पितृ अमावस्या के दिन सभी पितरों का श्राद्ध करके पिंडदान किया जा सकता है। इस दिन कुछ विशेष उपाय किये जा सकते हैं जिससे सभी पितृदोषों से मुक्ति मिल सकती है –
तर्पण और पिंडदान
सर्व पितृ अमावस्या के दिन पितरों का तर्पण और पिंडदान किया जाना चाहिए। सामान्य विधि के अनुसार चावल, गाय का दूध, घी, गुड़ और शहद मिलाकर छोटे छोटे पिंड बनाये जाते हैं और उन्हें पितरों को अर्पित किया जाता है। इन पिंडों के दान के साथ साथ जल में काला तिल, जौ, कुशा, और सफ़ेद फूल डालकर रखा जाता है।
पक्षियों को दाना खिलाएं
धार्मिक मान्यता के अनुसार पितृ पक्ष की अवधि में पूर्वजों की आत्माएं अलग अलग रूपों में धरती लोक पर आती है। ऐसे में सर्वपितृ अमावस्या के दिन पक्षियों के लिए दाना डालें। विशेषकर कौओं को खाना खिलाएं।
गीता या गरुड़ पुराण का पाठ
गरुड़ पुराण का पाठ व्यक्ति की मृत्यु से पहले या तुरंत बाद कराया जाता है। इसलिए सर्व पितृ अमावस्या के दिन गरुड़ पुराण का पाठ पितरों की आत्मा को शान्ति प्रदान करता है। इसके अलावा भगवद्गीता का भी पाठ इस दिन किया जा सकता है।
दान का पुण्य
पितृ पक्ष की अवधि में दान को बेहद महत्वपूर्ण माना गया है। किसी ज़रूरतमंद को दान देने से न केवल उसकी दुआएं लगती हैं बल्कि पितरों का भी विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है। इसलिए पितृ पक्ष के आखिरी दिन, सर्वपितृ अमावस्या के दिन अपनी क्षमतानुसार दान करना ना भूलें।
पंचबलि कर्म
मान्यता है कि पितृपक्ष में पंचबलि कर्म का भाग पितरों को सीधा प्राप्त होता है। पंचबली में गो बलि, श्वान बलि, काक बलि, पिपलादि बलि और देवबलि का विधान है। श्राद्ध के दिन या सर्वपितृ अमावस्या के दिन पंचबलि कर्म करना श्रेयस्कर माना जाता है। गौ बलि में गाय के लिए खाना निकालकर गौ माता को खिलाएं, श्वान बलि के अंतर्गत कुत्ते को खाने को दें, काक यानी कौवे को, पिपलिका के अंतर्गत चींटियों को और अंत में देवताओं के लिए घर के बाहर दक्षिण दिशा में पत्तों पर भोजन रखें।