आजकल की फिल्मों के गीतों में वो मजा नहीं रहा इसलिए मैंने प्लेबैक सिंगिंग भी छोड़ दी: सुल्ताना
भोपाल
भारत भवन में शनिवार से बादल राग समारोह का आगाज हुआ। इसमें पद्म भूषण शास्त्रीय गायिका बेगम परवीन सुल्ताना ने गायन प्रस्तुति से श्रोताओं का दिल जीत लिया। उन्होंने कहा कि यह राग बहुत मीठा है, सुनने में भी अच्छा है लेकिन गाने में उतना ही कठिन है, लेकिन मेरे लिए मुश्किल शब्द कुछ नहीं। बेगम ने छोटा आलाप लेकर पहले राग पर अपनी पकड़ बनाई। उसके बाद संगीत के तीनों सप्तकों तक तान की उड़ान भरते हुए मल्हार के भीतर गूंजती पावस की अनुभूतियों का रोमांचकारी ताना-बाना तैयार किया।
श्रुतियों के बीच आवाजाही करते हुए बेगम ने जब दमकत दामिनी बंदिश के बोल छेड़े तो माहौल बारिश के सौंधे अहसासों में भीग उठा। अंत में उन्होंने हमें तुमसे प्यार कितना… गीत भी गाया। श्रोताओं की फरमाइश पर उन्होंने तराना और कुछ उपशास्त्रीय बंदिशें सुनाईं। बेगम परवीन सुल्ताना ने कहा कि मैंने किराना घराना से सीखा, पटियाला घराना से भी तालीम ली। जीवन में एक पहचान होना बेहद जरूरी है। इस चीज के लिए घराना आपकी मदद करता है। मैंने कभी किसी एक घराने से खुद को बांधकर नहीं रखा। मैंने खुद की रिसर्च की और बाकी ऊपर वाले का करम है जिसने मुझे ये मुकाम दिया। शास्त्रीय संगीत को लेकर उन्होंने कहा कि चुनौती तो हर जगह होती है। उन्होंने कहा कि मेरे चुनौती के लिए तैयार रहने की खास वजह है कि मैं अपनी आवाज को हमेशा तैयार रखती हूं। मुझे जो भी जवाब देना होगा संगीत से दूंगी। फिल्मों में सुपरहिट सॉन्ग देने के बाद भी प्लेबैक सिंगिंग छोड़ने पर उन्होंने कहा कि आज कल की फिल्मों में गाने बचे ही कहां हैं। आज से 25 साल पहले जो संगीत बन गया है उसे ही फिर से बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि मैं फिल्म इंडस्ट्री में मदन मोहन, जयदेव, आरडी बर्मन और एसडी बर्मन जैसी शख्सियतों के लिए आई थी। उन्होंने मुझे प्यार भी दिया। इन सभी महान संगीतकारों से उम्र में बहुत छोटी थी। उन्होंने मेरी आवाज को बड़े प्यार से लिया और सही इस्तेमाल किया। जब मुझे लगा कि अब गाने बदल चुके हैं, तो मैंने वो जगह छोड़ दी। मेरा यही मानना है कि जिसे शास्त्रीय संगीत आता है उसे सब कुछ आता है।