न्याय यात्रा लेकर राजधानी पहुंची डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे हुई गिरफ्तार
भोपाल
डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे को आज भोपाल पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। उनकी गिरफ्तारी से पहले पुलिस के साथ झूमाझटकी भी हुई। वे बैतूल से न्याय यात्रा निकाल रही थी, जो आज भोपाल पहुंची। यहां पर बोर्ड आफिस पर उनके साथ कांग्रेस नेता एंव विधायक पीसी शर्मा, महिला कांग्रेस की अध्यक्ष विभा पटेल, जिला अध्यक्ष मोनू सक्सेना सहित अन्य नेता शामिल हो गए। बांगरे मुख्यमंत्री निवास जाना चाहती थी।
बैतूल के आमला से 28 सितंबर से उन्होंने यह यात्रा शुरू की थी जो आज मुख्यमंत्री निवास तक पहुंचना थी। मुख्यमंत्री निवास पहुंचने से पहले ही पुलिस ने उन्हें बोर्ड आफिस चौराहे पर रोक लिया। इस दौरान निशा बांगेरे के साथ आए कांग्रेस नेताओं की पुलिस से झड़प हो गई। पुलिस ने यहां पर सभी को गिरफ्तार कर लिया। कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि निशा बांगरे के साथ पुलिस ने मारपीट की और उनके कपड़े फाड़ दिए।
विधानसभा चुनाव लड़ना चाहती है निशा बांगरे
निशा बांगरे इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव में आमला विधानसभा से चुनाव लड़ना चाहती है। जिसको लेकर उन्होंने जून महीने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। कई महीने बीत जाने के बाद भी अभी तक उनके इस्तीफे को मंजूरी नहीं मिल पाई है। जिसके लिए उन्होंने 28 सितंबर को आमला से न्याय यात्रा की शुरूआत की थी।
335 किमी तक पदयात्रा
छतरपुर के लवकुश नगर की डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे ने बैतूल जिले के आमला से पदयात्रा शुरु की थी. सोमवार को 9 अक्टूबर को न्याय यात्रा भोपाल पहुंच गई. आमला के बस स्टैंड से अनंत चतुर्दशी पर भगवान गणेश और माता दुर्गा के दर्शन कर पदयात्रा शुरू की गई थी. निशा बांगरे अपने हाथ में भारत का संविधान और भागवत गीता लेकर न्याय यात्रा कर रही थीं. आमला से शुरु हुई यह यात्रा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के गृह ग्राम जैत होते हुए भोपाल पहुंची है. डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे आमला से 335 किलोमीटर की दूरी तय कर भोपाल पहुंची है. लेकिन भोपाल में बोर्ड ऑफिस चौराहा पर ही पुलिस ने निशा बांगरे को रोक दिया. निशा बांगरे आगे बढ़ की जिद करने लगीं. इस दौरान उनकी पुलिस से झूमाझटकी हुई. इस झूमाझटकी में डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे के कपड़े फट गए. साथ ही उनके हाथों में मौजूद संविधान का फोटो भी फट गया.
बता दें आमला में सर्व-धर्म शांति सम्मेलन में भाग लेने की अनुमति न देने के बाद निशा बांगरे ने 27 जून को अपने पद से त्यागपत्र दे दिय था, जिसे शासन द्वारा स्वीकार नहीं किया जा रहा है. निशा बांगरे का कहना है कि तरह-तरह के पेंच लगाकर उन्हें न्याय से वंचित किया जा रहा है. कोर्ट में भी गलत जानकारी प्रस्तुत की जा रही है. वहीं भोपाल पुलिस अधीक्षक महावीर सिंह मुजाल्दे ने मीडिया से चर्चा में बताया कि अभी वे गर्वमेंट जॉब में हैं. शासकीय सेवक होने के नाते उन्हें इस तरह का कृत्य नहीं करना था. आम रोड है, इतना व्यस्त है उस पर बैठ गईं. हमने उनसे पूछा कि आप 100-150 लोगों के साथ है, आपने रैली निकालने की अनुमति ली या नहीं. कोई अनुमति पेश न करते हुए हठधर्मिता दिखाते हुए वो रोड पर बैठ गईं.
भोपाल पुलिस अधीक्षक ने बताया कि हमने उन्हें समझाया कि आप अनुमति दिखाइए. अनुमति है तो आप मार्च कीजिए. उनके पास कोई अनुमति नहीं है. वे केवल डेढ़ दो महीने से अपनी मनमानी कर रही हैं. आज भी उन्हें समझाया गया था कि अनुमति लीजिए उसके बाद तब आप आगे बढि़ए. उन्हें धारा 151 के तहत गिरफ्तार किया गया है. एसपी ने मीडिया से कहा कि आप सभी ने देखा कि किसी ने किसी के कोई कपड़े नहीं फाड़े हैं. आपके पास रिकार्डिंग हैं. कोई खुद अपने कपड़े फाड़ ले तो हम क्या करें. वे जान बूझकर भीमराव अम्बेडकर के फोटो को खुद ही फड़वा रही हैं. वो लोक सेवक हैं. लोकसेवक होने के नाते वो किसी पॉलीटिकल पार्टी के साथ कैसे खड़ी हो सकती हैं.