सिक्किम में बांस के एक पुल पर टिकी तीन हजार पर्यटकों की जिंदगी, जलप्रलय के बाद फंसे लोग
गंगटोक
उत्तरी सिक्किम में आए जलप्रलय के बाद वहां फंसे पर्यटकों, श्रमिकों और स्थानीय लोगों को सुरक्षित निकालने एवं राहत पहुंचाने का कार्य जारी है। रविवार को सड़क संपर्क विहीन इलाकों से कुल 206 लोगों को बचाया गया।
56 नागरिकों को रस्सियों के सहारे निकाला गया
भारत तिब्बत सीमा पुलिस (आइटीबीपी) ने चुंगथांग में फंसे 56 नागरिकों को रस्सियों के सहारे सुरक्षित निकालकर राहत शिविरों में पहुंचाया है। इनमें 52 पुरुष और चार महिलाएं शामिल हैं। सिक्किम के अलग-अलग इलाकों में फंसे तीन हजार से अधिक पर्यटकों को बचाने के लिए अभी तक सिर्फ एक बांस का पुल बन पाया है। इसी के सहारे 150 लोगों को इस पार लाया जा सका।
सोमवार को इस बांस के पुल के सहारे अन्य पर्यटकों एवं श्रमिकों को बाहर निकालने का अभियान चलेगा। इस इलाके के सभी पुल बह गए हैं। सड़कें भी टूट गई हैं। आपदा के बाद सिर्फ सिक्किम में अब तक 33 शव मिले हैं। रविवार को नामची से एक और पाक्योंग जिला से दो शव मिले। तीस्ता नदी में बहकर आए 52 से अधिक शव बंगाल के विभिन्न इलाकों से निकाले गए हैं।
खराब मौसम की वजह से बचाव अभियान में देरी
राज्य प्रशासन के पास रविवार तक दर्ज रिपोर्ट के अनुसार लापता लोगों की संख्या 105 हो गई है। खराब मौसम की वजह से वायु सेना एवं सिक्किम सरकार द्वारा किराए पर मंगाए गए हेलीकाप्टर उड़ान नहीं भर पा रहे।
उधर, तीन दिन से सिक्किम में डटे केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय कुमार मिश्र ने रविवार सुबह मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तामांग के साथ बैठक की। दोनों ने राज्य में आपदा की स्थिति एवं राहत एवं बचाव कार्यों की समीक्षा की। उन्होंने उत्तर सिक्किम के कुछ इलाकों में जाकर पीडि़तों से मुलाकात भी की। कहा कि तीस्ता के किनारों पर दोबारा घर न बनाएं। मुख्यमंत्री राहत कोष एवं अन्य कोष से पीडि़तों को आर्थिक मदद मिलनी शुरू हो गई है।
ऐसे निकाले गए लोग
हादसे के पांचवें दिन उत्तरी सिक्किम के लाचुंग, लाचेन एवं चुंगथांग में फंसे हजारों लोगों को निकालने का अभियान शुरू हो पाया। स्थानीय नागरिकों ने आइटीबीपी, भारतीय सेना के जवान, भारतीय रिजर्व बटालियन और सिक्किम पुलिस और बीआरओ के साथ मिलकर बांस का पुल बनाया है।
चुंगथांग में तीस मीटर लंबे बांस एवं लकड़ी के अस्थायी पुल के सहारे पांच विदेशी, सात देसी पर्यटकों एवं एक टूर गाइड समेत 150 लोगों को इस पार लाया गया। कटेंग, मुशीथांक और मुगुथांग में फंसे प्रवासी श्रमिक दो दिनों की पैदल यात्रा के बाद रविवार को चुंगथांग पहुंचे। शनिवार को एनडीआरएफ की एक टीम चुंगथांग पहुंची थी। रविवार को एक और टीम गंगटोक से उत्तरी सिक्किम भेजी गई है।
विशेष रडार, ड्रोन और सेना के श्वान दस्ते की मदद
सिक्किम राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एसएसडीएमए) के अधिकारियों ने बताया कि तलाशी अभियान के लिए विशेष रडार, ड्रोन और सेना के श्वान दस्ते को तैनात किया गया है। सिक्किम की जीवन रेखा माने जाने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग 10 के कई जगह टूटकर बह जाने एवं पुलों के टूट जाने से अभी इसे पूरी तरह से चालू नहीं किया जा सका है। रंगपो और सिंगताम के बीच मरम्मत का अभियान चल रहा है। राज्य की राजधानी गंगटोक के लिए वैकल्पिक मार्ग पूर्वी सिक्किम जिले से होकर खुले हैं।
टनल में फंसे लोगों के लिए देवदूत बने जवान
चुंगथांग तीस्ता जलविद्युत परियोजना के टनल में फंसे छह लोगों के लिए भारत तिब्बत सीमा पुलिस (आइटीबीपी)के जवान देवदूत बनकर आए। अचानक आई बाढ़ के बाद 14 से ज्यादा मजदूर फंसे हुए थे। जवानों ने शनिवार को उनमें से छह को निकाला।