डेढ़ लाख युवा दूसरे राज्यों में जाते हैं नौकरी करने, अब उन्हें यहीं रोजगार देने की तैयारी
ग्वालियर
263 पंचायतों के 55 गांवों में रोजगार संसाधन विकसित करने की नई संभावनाएं तलाशाने की कवायद शुरू की गई है। इसके जरिए लगभग 60 हजार ग्रामीण युवाओं को रोजगार देने की तैयारी है। ग्राम विकास के लिए हुई सभाओं मेंं पलायन को रोकने के लिए स्थानीय रोजगार विकसित करने के लिए प्रस्ताव तैयार किए गए हैं। श्यामा प्रसाद रुरर्बन मिशन के अंतर्गत तैयार किए गए इन प्रस्तावों को अब जिला स्तर पर लागू करने के लिए काम किया जाएगा।
दरअसल, कोरोना काल में यह सामने आया था कि जिले के 1 लाख 25 हजार युवा हरियाणा, गुजरात, पंजाब, दिल्ली और महाराष्ट्र के शहरों में काम करने के लिए जाते हैं। इसके अलावा 48 हजार युवा ऐसे सामने आए थे जिनको प्रतिदिन रोजगार की तलाश में ग्वालियर-डबरा और भितरवार आना पड़ता है। रोजगार के नए संसाधन विकसित करने के साथ ही युवाओं को उनके स्किल के हिसाब से स्वरोजगार उपलब्ध कराने के लिए मदद देने की प्लानिंग की जा रही है।
इन गांवों को किया जाना है विकसित
- भितरवार क्षेत्र: चकशंकरपुर, पीपरी का पुरा, दुबही, आदमपुर, गोहिंदा, करहिया, बागबई, सांखनी में संभावनाएं तलाशी जा रही हैं।
- डबरा क्षेत्र: छोटी अकबई, सुनवई, ठेठियापुरा, छीमक,चितावनी,चौमो,खेड़ी पाराशर,रामपुरा,देवरा,जावल,गोबरा,सेंथोल,खड़बई,खजुराई,खेड़ी रायमल, कोसा, सिंहपुर, महाराजपुर, मिलघन, लिधौरा, रजियावर, गुलहाई, लीटापुरा, सर्वा, समचौली, सिरसा,सेकरा,सिरोल को शामिल किया गया है।
- घाटीगांव क्षेत्र: बरई, पुरा, दौरार, चराई श्यामपुर,उम्मेदगढ़,ददौरी,बड़ागांव जागीर, सहसारी,महुआ खेड़ा सहित अन्य गांवों को शामिल किया गया है।
- मुरार क्षेत्र: भवनपुरा, गणपतपुरा, कृपालपुर, चकमहरौली, जिनावली, अडूपुरा, सिरोली, हस्तिनापुर में संसाधन विकसित किए जा रहे हैं।
- रोजगार, शिक्षा और स्वास्थ्य पर ऐसे होगा फोकस
रोजगार
ग्रामीणों को स्वयं सहायता समूहों से जोड़कर सामूहिक रूप से उत्पाद बनाने प्रेरित करने का काम शुरू हो चुका है।
शिक्षित,उच्च शिक्षित कुशल और अर्ध कुशल युवाओं को संभावनाओं के हिसाब से लघु एवं कुटीर उद्योग स्थापित करने के लिए मदद दी जाएगी।
महिलाओं को एनआरएलएम के माध्यम से प्रशिक्षण देकर आत्म निर्भर करने का काम होना है।
शिक्षा
वर्तमान सत्र में जितने भी शाला त्यागी छात्र-छात्राओं का डाटा इकट्ठा किया गया है, उन सभी की पढ़ाई बंद होने के कारण पता लगाकर दोबारा से पढ़ाई के लिए प्रेरित किया जाएगा। मेधावी छात्र-छात्राओं को निशुल्क कोचिंग उपलब्ध कराने के प्रयास किए जाएंगे।
स्वास्थ्य
ग्रामीण क्षेत्र में हुए सर्वे के दौरान स्वास्थ्य सेवाओं को सबसे खराब और औसत बताया गया है। इन सेवाओं को बेहतर करने के लिए ग्राम पंचायत की निगरानी समिति बनाई जाएगी।