‘तकनीक, संवाद और बूथ मैनेजमेंट’ पर भाजपा का भरोशा
जयपुर.
राजस्थान विधानसभा चुनावों के लिए भाजपा की रणनीति तकनीक, संवाद और बूथ मैनेजमेंट पर टिकी है। इनके सहारे ही भाजपा ने जीत का ताना-बाना बुना है। चुनावों की तारीखों की घोषणा से काफी पहले ही पार्टी ने इन तैयारियों को अंतिम रूप दे दिया था। अब इसका उपयोग भी तेजी से किया जा रहा है। तारीखें घोषित होते ही पार्टी ने उम्मीदवारों की पहली सूची भी जारी कर दी है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में जयपुर, चित्तौड़गढ़ और जोधपुर का दौरा किया। उन्होंने हर जगह संगठन और उसकी ताकत को महत्व दिया। मोदी के साथ रोड शो में भी सिर्फ प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी ही नजर आए। प्रधानमंत्री ने अपने भाषणों में सिर्फ कमल के फूल को ही सबसे ऊपर बताया। यह संदेश भी कार्यकर्ताओं को दिया है कि चुनाव में हमारा चेहरा कमल का फूल है।
तकनीक: एक लाख व्हॉट्सएप ग्रुप्स बनाए
भाजपा ने चुनाव की घोषणा से एक साल पहले चुनावी तैयारियों को ध्यान में रखते हुए एक लाख व्हॉट्सएप ग्रुप बनाए थे। इसमें ज्यादा से ज्यादा लोगों को जोड़ा जा रहा है। इसके जरिये केंद्र की योजनाओं के साथ ही कांग्रेस की अशोक गहलोत सरकार की खामियों को प्रचारित किया जा रहा है। प्रदेश कार्यालय में व्हॉट्सएप चैम्बर बनाया गया है, जहां से इन ग्रुप्स को संचालित और मॉनिटर किया जाता है। ग्रुप्स बनाने का काम तीन महीने पहले ही पूरा हो गया था। आईटी सेल को भी मजबूती दी है, ताकि पूरे प्रदेश में डिजिटल प्लेटफॉर्म की निगरानी की जा सके।
बूथ मैनेजमेंट: 51 हजार से ज्यादा बूथ अध्यक्ष
भाजपा ने 51 हजार से ज्यादा फोटो-युक्त बूथ अध्यक्ष बनाए हैं। देश में फोटो के साथ बूथ अध्यक्ष बनाने का यह पहला प्रयोग है। 51 हजार बूथ अध्यक्षों के फोटो प्रदेश कार्यालय में उपलब्ध है। भाजपा के कॉल सेंटर इनसे निरंतर संपर्क में रहते हैं। यह बूथ अध्यक्ष ज्यादा से ज्यादा मतदान की कोशिश करेंगे। साथ ही बूथ पर मौजूद व्यक्ती सिर्फ पार्टी को जानता है किसी उम्मीदवार से लेना-देना नहीं है।
संवाद: बाहर से आए विधायक पहुंचे हर विधानसभा में
आम जन से संवाद के लिए भाजपा ने इस बार नया प्रयोग किया है। उसने अन्य राज्यों के भाजपा विधायकों को हर विधानसभा क्षेत्र में भेजा। इसके साथ ही प्रधानमंत्री से लेकर दूसरे प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों का राजस्थान आना शुरू हो गया है। 'आपणो राजस्थान' के नाम से सुझाव के लिए 51 रथ रवाना किए हैं, जो 200 विधानसभा क्षेत्रों में पहुचकर आम लोगों की राय और सुझाव ले रहे हैं। इसे जन संपर्क का एक तरीका बताया जा रहा है।