‘तिलक टेस्ट’ से होगी गैर-हिंदुओं की पहचान, गरबा आयोजकों ने निकला नया तरीका
उज्जैन
देश इन दिनों नवरात्रि के पर्व में डूबा हुआ है। मंदिरों में भक्तों की लाइन लगी है। वहीं देवी मां को मनाने के लिए लोग पंडालों में गरबा भी खेलते हैं। ऐसे आयोजन के दौरान लव जिहाद जैसी घटनाओं को रोकने के लिए महाकाल की नगर उज्जैन में गैर-हिंदुओं के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया है। गरबा आयोजक ने बकायदा गैर-हिंदुओं को नवरात्रि समारोह में प्रवेश पर 'बैन' लगाने वाले पोस्टर लगाए हैं। उन्होंने दावा किया है कि यह कदम 'लव जिहाद को रोकने' के उठाया गया है। आयोजन के सदस्य आधार कार्ड की जांच करने के बाद लोगों को प्रवेश दे रहे हैं।
कानून व्यवस्था बनाए रखने वाली एजेंसियों को आयोजकों के इस कदम से कोई दिक्कत नहीं है। उज्जैन के एसपी सचिन शर्मा ने कहा, 'यह उनका निजी कार्यक्रम है और उन्होंने कार्यक्रम में प्रवेश के लिए पास जारी किए हैं। इसमें आपत्ति क्या है?' आयोजक, संकल्प संस्कृति संस्था ने एक नियम भी लागू किया है कि गरबा में भाग लेने वाले हर पुरुष का 'तिलक लगाकर स्वागत' किया जाएगा। संस्था के अध्यक्ष बहादुर सिंह राठौड़ ने कहा, 'गैर-हिंदू तिलक लगाने से बचेंगे और और इस तरह बेनकाब हो जाएंगे।'
गरबा शहर में काफी लोकप्रिय है और इसे लगातार पांचवें साल इंदौर-उज्जैन रोड पर नानाखेड़ा में सार्वजनिक मैदान पर आयोजित किया जा रहा है। समारोह में 5,000 से अधिक लोग आते हैं। आयोजक कार्यक्रम में प्रवेश के प्रतिबंधों के बारे में घोषणाएं करते रहते हैं। राठौड़ ने दावा किया, 'हम किसी भी धर्म के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन हम लव-जिहाद को खत्म करना चाहते हैं और दुश्मनी फैलाने की कोशिश करने वालों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाना चाहते हैं। गरबा कार्यक्रमों का इस्तेमाल हिंदू लड़कियों को दूसरे धर्म के पुरुषों से शादी करने के लिए गुमराह करने के लिए किया जाता था।'
यह पूछे जाने पर कि क्या इस तरह से किसी को रोकना कानूनन सही है तो उन्होंने कहा, टअगर कोई अपने परिवार की महिलाओं के साथ आता है तो हम उसे नहीं रोक रहे हैं।' जिला कलेक्टर कुमार पुरषोत्तम ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि उन्हें 'ऐसी किसी बात' की जानकारी नहीं है। उन्होंने कहा, 'प्रारंभिक अनुमति स्थानीय एसडीएम द्वारा दी गई थी। यदि कोई शिकायत की जाती है, तो मैं कानून के अनुसार इसकी समीक्षा करूंगा।'