November 29, 2024

कोई भी भगवान ब्राह्मण नहीं, शिव भी SC/ST हैं -शांतिश्री धूलिपदी

0

नई दिल्ली
अभी तक इंसानों की जाति को लेकर बहस चलती थी अब देवी देवताओं की जाति को लेकर भी कई बयान सामने आते रहते हैं। इसी कड़ी में जवाहर नेहरू विश्वविद्यालय की कुलपति ने देवी देवताओं की जाति को लेकर अपना मत जाहिर किया है। उनका मानना है कि देवी-देवता ऊंची जाति के नहीं हैं। यहां तक कि उन्होंने यह भी कहा कि भगवान शिव भी एससी एसटी के हो सकते हैं।

जेएनयू कुलपति ने कहा कि आंबेडकर समान नागरिक संहिता लागू करना चाहते थे। उन्होंने कहा, 'गोवा में समान नागरिक संहिता है जो पुर्तगालियों द्वारा लागू की गई थी, इसलिए वहां हिंदू, ईसाई और बौद्ध सभी ने इसे स्वीकार किया है, तो ऐसा क्यों नहीं किया जा रहा।' जेएनयू वीसी ने कहा कि 'देवता उच्‍च जातियों से नहीं हैं' और 'भगवान शिव भी अनुसूचित जाति या जनजाति से हो सकते हैं।' उन्‍होंने मनुस्मृति में 'महिलाओं को शूद्रों का दर्जा' दिए जाने को प्रतिगामी बताया।

    
बहुसंख्‍यकों को सभी अधिकार नहीं मिले तो…
शांतिश्री धूलिपदी पंडित ने कहा, 'जब तक हमारे पास सामाजिक लोकतंत्र नहीं है, हमारा राजनीतिक लोकतंत्र एक मृगतृष्णा है। यह सही बात है, ऐसा नहीं हो सकता कि अल्पसंख्यकों को सारे अधिकार दे दिए जाएं लेकिन बहुसंख्यकों को वे सभी अधिकार ना मिलें । कभी न कभी आपको ये इतना उल्टा पड़ जाएगा कि आप उसे संभाल नहीं पाएंगे।' जेएनयू वीसी ने कहा, 'लैंगिक न्याय के प्रति सबसे बड़ा सम्मान बाबा साहेब की महत्वाकांक्षा के अनुरूप समान नागरिक संहिता को लागू करना होगा।' उन्होंने महिलाओं के लिए आरक्षण की आवश्यकता के बारे में कहा कि अधिकांश इसके पक्ष में होंगे, लेकिन आज भी 54 विश्वविद्यालयों में से केवल 6 में महिला कुलपति हैं, जबकि केवल 1 आरक्षित वर्ग से है।

'शिव भी SC-ST हो सकते हैं…'
देश में जाति-संबंधी हिंसा की घटनाओं के बीच पंडित ने कहा कि 'मानव-विज्ञान की दृष्टि से' देवता उच्च जाति से नहीं हैं और यहां तक कि भगवान शिव भी अनुसूचित जाति या जनजाति से हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि 'मनुस्मृति में महिलाओं को दिया गया शूद्रों का दर्जा' इसे असाधारण रूप से प्रतिगामी बनाता है। उन्होंने कहा, 'मैं सभी महिलाओं को बता दूं कि मनुस्मृति के अनुसार सभी महिलाएं शूद्र हैं, इसलिए कोई भी महिला यह दावा नहीं कर सकती कि वह ब्राह्मण या कुछ और है और आपको जाति केवल पिता से या विवाह के जरिये पति की मिलती है। मुझे लगता है कि यह कुछ ऐसा है जो असाधारण रूप से प्रतिगामी है।'

'कोई भगवान ऊंची जाति का नहीं'
नौ साल के एक दलित लड़के के साथ हाल ही में हुई जातीय हिंसा की घटना का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि 'कोई भी भगवान ऊंची जाति का नहीं है।' उन्होंने कहा, 'आप में से अधिकांश को हमारे देवताओं की उत्पत्ति को मानव विज्ञान की दृष्टि से जानना चाहिए। कोई भी देवता ब्राह्मण नहीं है, सबसे ऊंचा क्षत्रिय है।'

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *