गहलोत के एक्शन पर पायलट का ‘हाईकमान’ रिएक्शन
जयपुर.
विधानसभा चुनाव से पहले राजस्थान में एक बार फिर नया सियासी ड्रामा देखने को मिला। रहस्य और रोमांच से भरे इस पॉलिटिकल ड्रामे में फाइट, एक्शन, इमोशन और मोहब्बत के सीन नजर आए हैं। एक्शन सीन की शुरुआत गुरुवार को सीएम अशोक गहलोत ने की, जो मोहब्बत पर जाकर खत्म हुई। गहलोत ने दिल्ली की प्रेस वार्ता में पायलट से तल्खी के सवाल पर कहा, 'टिकट के सभी फैसले सबकी राय से हो रहे हैं…शायद आप सचिन पायलट का जिक्र कर रहे हैं, हमारे बीच इतनी प्यार-मोहब्बत है कि क्या बताएं, लेकिन भाजपा को यह देख तकलीफ है कि सभी फैसले आम राय से हो रहे हैं। बागियों की टिकट काटने के सवाल पर गहलोत ने कहा, हम पुरानी बातें हम भूल चुके हैं। हमारी नीति है, भूलो और माफ करो।'
एक्शन में नजर आए गहलोत ने चुनाव से ठीक पहले मुख्यमंत्री पद के लिए अपनी दावेदारी ठोकी। उन्होंने दोहराया कि 'मैं सीएम पद छोड़ना चाहता हूं, लेकिन यह पद है जो मुझे नहीं छोड़ रहा है।' गहलोत के इस एक्शन पर कांग्रेस हाईकमान का रिएक्शन भी आया। सूत्रों ने बताया कि इस मामले पर हाईकमान ने पायलट को शांत रहने की सलाह दी। उन्हें भरोसा दिया कि आलाकमान सब देख रहा है। इसी बीच गहलोत कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और राष्ट्रीय संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल से मिलने जा पहुंचे।
सूत्र कहते हैं, बयान से नाराज पार्टी अध्यक्ष खरगे ने सीएम से दो टूक कहा कि ये क्या चल रहा है…गहलोत को संदेश दिया कि अब बस बहुत हुआ। लेकिन सीएम यहीं नहीं रुके वे इसके बाद पार्टी के नए कोषाध्यक्ष अजय माकन से मिलने जा पहुंचे। दोनों की यह मुलाकात चुनावी प्रबंधन लेकर बताई गई। लेकिन सूत्र बताते हैं कि गहलोत यहां इमोशनल नजर आए। उन्होंने माकन को 25 सितंबर 2022 की घटना पर 30 मिनट तक सफाई दी। गहलोत ने कहा, हमारे मन में आपके लिए कोई अनादर नहीं था…हम इस मामले में क्षमा प्रार्थी है। लेकिन दिल्ली दरबार में वर्षों से डटे माकन ने बस इतना कहा कि अब छोड़िए उन बातों को…इसके बाद गहलोत रवाना हो गए। माकन से गहलोत की तीन दिन में दूसरी मुलाकात थी।
दरअसल पिछले साल पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने राजस्थान का नया सीएम चुनने के लिए विधायकों की बैठक लेने प्रभारी अजय माकन के साथ मल्लिकार्जुन खरगे को पर्यवेक्षक बना कर जयपुर भेजा था। प्रस्तावित बैठक से ठीक पहले गहलोत समर्थक विधायकों ने बगावत कर दी, जिसके कारण माकन और मल्लिकार्जुन खरगे को खाली हाथ दिल्ली लौटना पड़ा। इस घटना में दोनों नेताओं फजीहत हुई थी, जिससे दोनों नाराज थे। रहस्य और रोमांच से भरपूर राजस्थान के सियासी ड्रामे का अंत मोहब्बत से होता दिखा। सीएम की प्रेस वार्ता के बाद सबकी निगाहें पायलट के रुख पर टिकी हुई थीं। सचिन दौसा के कांदोली गांव प्रियंका की शुक्रवार को होने वाली रैली स्थल का जायजा लेने पहुंचे थे। पायलट से जब सीएम के बयानों पर सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उनके बीच प्यार और मोहब्बत एक मिसाल बन चुका है। उन्होंने कहा कि इससे विरोधी घबराए हुए हैं, वहीं मीडिया वाले भी चिंतित हैं कि अब खबरें कैसे बनेगी।
पायलट यहीं नहीं रुके, उन्होंने गहलोत का दांव उन पर ही चल दिया। गहलोत की ओर से दिए गए बयान "मुख्यमंत्री का पद उन्हें छोड़ता नहीं है" के सवाल पर पायलट ने दो टूक कहा कि 'कांग्रेस पार्टी में कौन किस पद पर रहेगा यह कांग्रेस आला कमान तय करता है और मुख्यमंत्री विधायक चुनते हैं। 2018 में जिन राज्यों में कांग्रेस जीती थी, वहां भी यही फॉर्मूला अपनाया गया था और 2023 में भी इसी फॉर्मूले से मुख्यमंत्री का चयन होगा।'
गुरुवार दिनभर चले सियासी ड्रामे पर पायलट ने यूं नहीं बयान नहीं दिया। इसके सियासी मायने हैं। क्योंकि इसके पहले राज्य में जब भी पायलट समर्थक सचिन को सीएम बनाने की वकालत करते थे, तो सीएम यह कहते हुए नजर आते थे कि राजस्थान में सीएम कौन होगा ये फैसला कांग्रेस हाईकमान और विधायक ही तय करेंगे।