September 24, 2024

तेलंगाना चुनाव से पहले पूर्व विधायक गोपाल रेड्डी ने भाजपा से दिया इस्तीफा

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हैदराबाद

तेलंगाना के पूर्व विधायक कोमाटिरेड्डी राज गोपाल रेड्डी ने राज्य विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा से इस्तीफा दे दिया है। इन्होंने पिछले साल कांग्रेस छोड़कर भाजपा जॉइन की थी।  विधानसभा चुनाव से कुछ हफ्ते पहले वे कांग्रेस में लौटने की तैयारी कर रहे हैं। ऐसा माना जा रहा है कि भाजपा की ओर से जारी की गई पहली लिस्ट में उनका नाम नहीं था, जिस वजह से वो नाराज थे। उधर, कांग्रेस ने भी अपनी पहली लिस्ट में उनकी विधानसभा सीट मुनुगोडू से किसी नाम का ऐलान नहीं किया है। रेड्डी ने कहा है कि उनका लक्ष्य तेलंगाना में के.चंद्रशेखर राव सरकार को "परास्त" करना है और "इस बार लोगों का मूड कांग्रेस के पक्ष में है"। कोमाटिरेड्डी राज गोपाल रेड्डी पिछले साल अगस्त में तब सुर्खियों में आये जब उन्होंने कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थामा था। विधायक के रूप में उनके इस्तीफे से मुनुगोडे विधानसभा सीट खाली हो गई थी। इसके बाद हुए उपचुनाव में रेड्डी केसीआर की पार्टी के कुसुकुंतला प्रभाकर रेड्डी से लगभग 10,000 वोटों के अंतर से हार गए थे।

मुनुगोडे उपचुनाव में केसीआर ने झोंकी थी पूरी ताकत
पिछले साल नवंबर में मुनुगोडे उपचुनाव को मतदाताओं को लुभाने के लिए पार्टियों के खर्च के कारण देश के इतिहास में सबसे महंगे चुनावों में से एक माना जाता है। चुनाव अधिकारियों के अनुसार, चुनाव के दौरान 8 करोड़ रुपये की नकदी और 5,000 लीटर शराब जब्त की गई। यह उपचुनाव देश में 'सबसे ज्यादा देखा जाने वाला' चुनाव होने के कारण भी खबरों में था। इस दौरान 48 सीसीटीवी कैमरों ने मतदान प्रक्रिया पर नजर रखी, जिसे 298 पुलिस स्टेशनों पर वेबकास्ट किया गया था। तेलंगाना में भारत राष्ट्र समिति सरकार को हटाने के लिए कांग्रेस अपने अभियान में पुरजोर कोशिश कर रही है। शीर्ष नेताओं राहुल गांधी और प्रियंका गांधी राज्य में ताबड़तोड़ चुनावी सभाएं कर रहे हैं और केसीआर पर राज्य के मुद्दों की उपेक्षा करते हुए अपने परिवार के सदस्यों को बढ़ावा देने का आरोप लगा रहे हैं।

हालांकि कांग्रेस के वंशवाद को बढ़ावा देने के आरोपों में केसीआर के बेटे और मंत्री केटी रामा राव और एमएलसी बेटी के कविता की ओर से तीखी प्रतिक्रिया आई। दोनों ने गांधी भाई-बहन पर पलटवार करते हुए कहा था कि यह हास्यास्पद है कि जवाहरलाल नेहरू के परपोते और इंदिरा गांधी के पोते-पोतियां पारिवारिक राजनीति को लेकर उन्हें निशाना बना रहे हैं।

 

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