कांग्रेस के अगले अध्यक्ष को लेकर अटकलों का बाजार गर्म
नई दिल्ली
. राहुल गांधी की फिर से कांग्रेस की बागडोर संभालने की इच्छा पर जारी सस्पेंस के बीच, देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी जल्द ही अपने बहुप्रतीक्षित अध्यक्ष का चुनाव करने वाली है. राहुल पर उस पद को फिर से स्वीकार करने का दबाव है, जिसे उन्होंने 2019 के आम चुनावों में कांग्रेस की हार के बाद छोड़ दिया था.
उन्हें उनके वफादारों के साथ-साथ पार्टी के दिग्गज नेताओं द्वारा भी मनाया जा रहा है. वे राहुल गांधी को पार्टी को स्थिरता प्रदान करने की आवश्यकता का हवाला देकर उन्हें फिर से बागडोर संभालने के लिए, मनाने की कोशिश कर रहे हैं. गौरतलब है कि 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद से कांग्रेस कोई चुनाव जीतने में विफल रही है.
एक रिपोर्ट के मुताबिक अधिकतर कांग्रेसियों का मानना है कि राहुल गांधी को अंततः अध्यक्ष पद स्वीकार करना ही होगा. पार्टी नेतृत्व के मुद्दे को एक ठोस तरीके से निपटाने का न केवल कांग्रेस के लिए, बल्कि विपक्ष के भाजपा विरोधी मोर्चे के लिए भी निहितार्थ हैं. वर्ष 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए विपक्षी खेमे में पीएम पद के दावेदारों की संख्या फिर बढ़ने लगी है.
इस बात की संभावना है कि या तो सोनिया गांधी पार्टी प्रमुख बनी रहें
लेकिन अगर राहुल गांधी कांग्रेस अध्यक्ष बनने के लिए सहमत नहीं होते हैं, तो इस बात की संभावना है कि या तो सोनिया गांधी पार्टी प्रमुख बनी रहेंगी या किसी अन्य वरिष्ठ नेता को, जो गांधी परिवार का करीबी हो, उसे यह पद संभालने के लिए तैयार किया जाएगा. सूत्रों की मानें तो मध्य प्रदेश कांग्रेस प्रमुख कमलनाथ से पार्टी के असंतुष्टों सहित कुछ नेताओं ने अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ने के लिए संपर्क किया था, लेकिन उन्होंने यह कहते हुए मना कर दिया कि वह 4 साल तक काम करने के बाद राज्य नहीं छोड़ सकते. एक वरिष्ठ नेता के रूप में, कमलनाथ गांधी परिवार के करीबी हैं और पार्टी के अन्य नेताओं के बीच भी उनकी स्वीकार्यता है.
गांधी परिवार से बाहर का कोई अध्यक्ष बनता है, तो दलित नेता पसंद
कुछ का कहना है कि अगर पार्टी को गांधी परिवार से बाहर के किसी व्यक्ति को अध्यक्ष बनाना है, तो एक वरिष्ठ दलित नेता पसंद हो सकता है. इससे कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा की दावेदारी भी खारिज होती है. पार्टी के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि पूर्व केंद्रीय मंत्री सुशील कुमार शिंदे के नाम पर चर्चा हुई है. लेकिन मल्लिकार्जुन खड़गे, मुकुल वासनिक के नामों को लेकर भी अटकलें हैं. लोकसभा की पूर्व स्पीकर मीरा कुमार की भी चर्चा हो रही है.
अशोक गहलोत के अलावा इन कांग्रेस नेताओं के नामों की भी है चर्चा
राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत को एक बार फिर प्रबल संभावना के रूप में देखा जा रहा है, तो कुछ कांग्रेस के संचार प्रभारी महासचिव जयराम रमेश की ओर भी इशारा कर रहे हैं. दिलचस्प बात यह है कि स्वतंत्रता दिवस पर पार्टी मुख्यालय में झंडा फहराने के लिए वरिष्ठ नेता अंबिका सोनी की पसंद को लेकर भी चर्चाएं शुरू हो गई हैं. लोगों की जिज्ञासा है कि क्या इसमें भविष्य के बारे में कोई संदेश छिपा है? हालांकि, जानकारों का कहना है कि कांग्रेस प्रमुख की अनुपस्थिति में एक वरिष्ठ नेता द्वारा नियमित रूप से यह कार्य किया जाता है. चूंकि सोनिया गांधी कोरोना पाॅजिटिव होने के कारण समारोह में उपस्थित नहीं थीं, इसलिए अंबिका सोनी ने ध्वजारोहण किया.
अब सवाल ये उठता है की राहुल गांधी खुद या गांधी परिवार के किसी भी सदस्य को कांग्रेस अध्यक्ष क्यों नही बनने देना चाहते हैं। सूत्रों के मुताबिक राहुल गांधी के अध्यक्ष नही बनने के पीछे ये वजहें हैं–
- राहुल नहीं चाहते की एक बार फिर 2024 का लोकसभा चुनाव उनके बनाम मोदी हो।
- राहुल जानते हैं कि नहीं चाहते हुए भी कांग्रेस का अध्यक्ष अगर कोई गांधी होगा तो मीडिया उसके बनाम मोदी का नैरेटिव बना देगा।
- राहुल की पहली प्राथमिकता मोदी को हराना है। राहुल ये भी जानते हैं कि विपक्ष के कई दल उनके नाम पर सहज नहीं होंगे।
- ये भी हो सकता है की विपक्ष की एकता बनाए रखने के लिए कांग्रेस की बजाय किसी और दल के नेता को मोदी के मुकाबले खड़ा किया जाय।
राहुल की सियासी सोच सामने आ सकती है
कांग्रेस का अगला अध्यक्ष अगर राहुल गांधी या गांधी परिवार से नहीं होता है तो इसमें राहुल की हठधर्मिता से ज्यादा राहुल की सियासी सोच सामने आ सकती है। पिछले कुछ सालों में जिस तरह से राहुल गांधी को लेकर नैरेटिव बनाया गया उसको देखते हुए 2019 के बाद राहुल गांधी के कांग्रेस अध्यक्ष बनने के लिए पार्टी ने कोई ऐसी बड़ी जीत हासिल नहीं की है। जिसको दिखा कर राहुल कांग्रेस की गद्दी पर दोबारा बैठें। बहरहाल पार्टी की और अपनी छवि को जनता से जुड़ने के लिए राहुल भारत जोड़ो यात्रा पर निकल जाएंगे।