टीपू सुल्तान की तलवार को नीलामी में खरीदार नहीं मिल सका
लंदन
मैसूर के राजा रहे टीपू सुल्तान की एक तलवार को नीलामी में खरीदार नहीं मिल सका। लंदन में इस तलवार को ऑक्शन कंपनी क्रिस्टी की ओर से नीलामी के लिए रखा गया था लेकिन इसकी बिक्री नहीं हो सकी। इस तलवार को 1.5 मिलियन से 2 मिलियन पाउंड, यानी भारतीय करेंसी में 15 से 20 करोड़ रुपए मिलने की उम्मीद थी। हालांकि तलवार को बेस प्राइस में भी किसी ने नहीं खरीदा।
साल 1799 में टीपू सुल्तान की हार के बाद भारत में ब्रिटिश गवर्नर जनरल चार्ल्स कॉर्नवॉलिस को टीपू सुल्तान के निजी शस्त्रागार से दो तलवारें भेंट की गई थीं। ये तलवार उन्हीं दो तलवारों में से एक है। एक तलवार को इसी साल मई में बोनहम्स में नीलाम किया गया था, जिसकी 141 करोड़ रुपए की भारी भरकम बोली लगी थी। कॉर्नवॉलिस के वंशज अब इस दूसरी तलवार की भी नीलामी करना चाहते हैं।
टीपू सुल्तान की इस तलवार के लिए पश्चिम एशिया के एक म्यूजियम की ओर से ऊंची बोली लगाए जाने की उम्मीद थी। ऊंची बोली मिलने की उम्मीद के उलट इस तलवार के लिए जो बेस कीमत रखी गई थी, वो भी हासिल नहीं हो पाई। ऐसा कहा जा रहा है कि इजराइल-गाजा युद्ध और उच्च ब्याज दरों के नीलामी को प्रभावित किया है और कोई इसकी बोली लगाने सामने नहीं आया।
क्यों खास है टीपू सुल्तान की ये तलवार
टीपू सुल्तान की जो तलवार नीलामी के लिए रखी गई है। उसकी मूठ पर बेहद खूबसूरत और मीनाकारी की गई है। इसमें रत्न जड़े हैं और कुरआन की आयतें भी गुदी हुई हैं। टीपू सुल्तान 1782 में मैसूर के सिंहासन पर बैठे थे। टीपू को जनता के हित में अपने प्रशासन में कई आमूल चूल परिवर्तन करने, पहली बार रॉकेट बनाने और अपनी बहादुरी के लिए जाना जाता है। उनकी बहादुरी के लिए उनको शेर-ए-मैसूर और टाइगर जैसे नामों से भी जाना जाता है। अंग्रेजों से मुकाबला करते हुए 4 मई 1799 को टीपू सुल्तान की मौत हो गई थी।
टीपू सुल्तान ने जब अंग्रेजों से लड़ाई लड़ी और अपनी जान दी, उस समय भारत में चार्ल्स कॉर्नवॉलिस गवर्नर जनरल और कमांडर इन चीफ थे। ये 1786 में भारत में इन पदों पर नियुक्त किए गए थे। ऐसे में इनके नेतृत्व में ही ब्रिटिश सेना ने टीपू सुल्तान के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी। ऐसे में टीपू सुल्तान के कई बेशकीमती हथियार इनके पास उस समय आ गए थे।