September 23, 2024

भाजपा का गढ़ है रायपुर दक्षिण सीट, जानिए कांग्रेस के महंत ने क्या बनाया प्लान?

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रायपुर

करीब दो साल पहले रायपुर में हुई धर्म संसद का एक विडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ था जिसके बाद काफी विवाद भी हुआ। धर्म संसद में एक संत कालीचरण ने महात्मा गांधी को अपशब्द कहे और नाथूराम गोडसे की तारीफ की। इसका विरोध करने महंत रामसुंदर दास मंच पर चले गए और आयोजकों पर भी सवाल उठाए। उन्होंने तीखा विरोध जताते हुए कहा था कि ये हमारा सनातन धर्म नहीं हो सकता और मैं इस धर्म संसद से खुद को अलग करता हूं।

2018 के चुनाव में भी बृजमोहन अग्रवाल बचा ली सीट
महंत रामसुंदर दास रायपुर दक्षिण सीट से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। उनका मुकाबला बीजेपी के सात बार से लगातार विधायक बृज मोहन अग्रवाल से है। इस मुकाबले का एक दिलचस्प पहलू यह भी है कि महंत रामसुंदर दास दूधाधारी मठ के प्रमुख हैं और बृज मोहन अग्रवाल इसी मठ के अनुयायी हैं। वग स्टूडेंट लाइफ से ही मठ के कार्यक्रम में जाते रहे हैं और मठ का आशीर्वाद लेते रहे हैं। जब छत्तीसगढ़ अलग राज्य बना तब रायपुर की दो विधानसभा सीटों को बांटकर चार सीट बनाई गई। उसके बाद से ही लगातार बीजेपी के बृजमोहन अग्रवाल रायपुर दक्षिण सीट से चुनाव जीतते आ रहे हैं।

अविभाजित मध्य प्रदेश में भी वह विधायक रहे और 1990 से लगातार वह इस सीट से विधायक रहे हैं। महंत रामसुंदर दास भी जाजंगीर चांपा से दो बार के विधायक रह चुके हैं। लेकिन इस बार कांग्रेस ने उन्हें रायपुर दक्षिण से उम्मीदवार बना दिया। रायपुर दक्षिण में महंत रामसुंदर दास का दूधाधारी मठ भी है। जिसके अंदर दूधाधारी मंदिर है। यहां दूधाधारी मठ ने स्कूल और कॉलेज भी खोले हैं और कई सामाजिक कामों में मठ शामिल है।

कांग्रेस को उम्मीद है कि महंत के मठ और उनके काम के सहारे बीजेपी के अब तक के इस अभेद किले में वह सेंध लगा सकती है। पिछले चुनाव में जब कांग्रेस की आंधी थी तब भी बीजेपी का यह गढ़ कांग्रेस फतह नहीं कर पाई थी। महंत रामसुंदर दास भूपेश बघेल सरकार में गौसेवा आयोग के अध्यक्ष भी हैं।

दूधाधारी मठ में ही कांग्रेस प्रत्याशी का चुनावी कार्यालय
रायपुर दक्षिण सीट में मुस्लिम मतदाता भी काफी हैं और ब्राह्मण मतदाता भी। इस सीट पर 2 लाख 38 हजार से ज्यादा मतदाता हैं, जिसमें से करीब 28 हजार मुस्लिम मतदाता और करीब 26 हजार ब्राह्मण मतदाता हैं। ब्राह्मणों का मोहल्ला ब्राह्मण पारा और सुंदर नगर इसी सीट में हैं और मुस्लिम बहुत इलाका बैजनाथ पारा भी इसी सीट में है। यहां पारा का मतलब मोहल्ला होता है। हालांकि यहां के लोग कहते हैं कि यहां जाति या धर्म के आधार पर वोटिंग नहीं होती है। महंत रामसुंदर दास के दूधाधारी मठ के अंदर ही उनका चुनावी कार्यालय भी है। यहां साधु-साध्वी और कांग्रेस कार्यकर्ता एक साथ चुनाव की तैयारियों में जुटे हैं। जब हम मठ पहुंचे तो साधु और साध्वियों का एक ग्रुप प्रचार करके लौटा ही था। साध्वियों के एक ग्रुप से हमने पूछा, आप कैसे प्रचार कर रहे हैं, लोगो से क्या कह रहे हैं, तो उन्होंने जवाब दिया हम कह रहे हैं कि मुहर लगेगी हाथ छाप पर। दो साधुओं ने कहा कि हम जाकर सिया-राम जप रहे हैं। मठ से ही करीब 300- 400 मीटर दूरी पर बीजेपी उम्मीदवार बृज मोहन अग्रवाल का चुनावी कार्यालय बना है। यहां बीजेपी के झंडे लहराते कार्यकर्ताओं की भीड़ जुटी है। बीजेपी के एक समर्थक ने कहा कि अग्रवाल जी को तो हमेशा मठ का आशीर्वाद मिलता रहा है और जो सात बार से नहीं हारे उनमें कुछ तो बात होगी।

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