राजस्थान में 1993 से कोई परिवहन मंत्री नहीं जीता चुनाव
झुंझुनूं.
राजस्थान विधानसभा चुनाव के संग्राम के लिए तैयार है। इस चुनाव में किसे सत्ता का सिंहासन मिलेगा और कौन विपक्ष में बैठेगा इसका फैसला प्रदेश की जनता 25 नवंबर को मतदान कर करेगी। एक हफ्ते बाद तीन दिसंबर को चुनाव परिणाम सामने आने के बाद पूरी तस्वीर साफ हो
जाएगी। इससे पहले पिछले चुनाव के परिणामों पर नजर डालें को कई रोचक तथ्य और ट्रेंड भी सामने आते हैं।
ऐसा ही एक तथ्य ये है कि प्रदेश में परिवहन मंत्री के पद पर रहने वाला कोई भी नेता अपना अगला चुनाव नहीं जीत पाया। फिर चाहे वह भाजपा सरकार में परिवहन मंत्री रहा हो या फिर कांग्रेस में। 1993 से 2018 तक के पिछले पांच चुनाव में यही ट्रेंड देखने को मिल रहा है। ऐसे में यह देखना भी रोचक होगा कि क्या गहलोत के मंत्री इस चुनाव में यह मिथक तोड़ पाते हैं या नहीं?
कांग्रेस सरकार में रहे दो परिवहन मंत्री
राजस्थान में गहलोत की सरकार बनने के बाद कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा को परिवहन मंत्री बनाया गया था। डोटासरा 24 दिसंबद 2018 से 20 नवंबर 2021 तक इस पद पर रहे। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष के पद पर होने के नाते डोटासरा को मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा। इसके बाद बृजेंद्र ओला को परिवहन मंत्री बनाया गया था।
इनमें होगी टक्कर
कांग्रेस ने परिवहन मंत्री बृजेंद्र ओला को झुंझुनूं से प्रत्याशी बनाया है, जबकि भाजपा ने बबलू चौधरी को टिकट दिया है। वहीं, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा और भाजपा के सुभाष महरिया सीकर की लक्ष्मण गढ़ सीट पर एक दूसरे के आमने-सामने हैं।
पिछले पांच चुनाव का ट्रेंड
1993: बानसूर से चुनाव जीतकर विधायक बने रोहिताश शर्मा को भाजपा सरकार में परिवहन मंत्री बनाया गया। 1998 में शर्मा ने बानसूर से ही चुनाव लड़ा, लेकिन हार गए।
1998: छोगाराम बाकोलिया और बनवारी लाल बैरवा कांग्रेस सरकार में परिवहन मंत्री बनाए गए। 2003 के चुनाव में दोनों ही हार गए।
2003: भाजपा सरकार में यूनुस खान परिवहन मंत्री बनाए गए। 2008 में यूनुस ने डीडवाना से चुनाव लड़ा, लेकिन जीत दर्ज नहीं कर सके।
2008: कांग्रेस सरकार में बृजकिशोर शर्मा और वीरेंद्र बेनीवाल परिहवन मंत्री बनाए गए। लेकिन, 2013 के चुनाव में दोनों को ही हार का सामना करना पड़ा।
2013: भाजपा ने यूनुस खान को फिर से परिवहन मंत्री बनाया। 2018 में उन्होंने टोंक से सचिन पायलट के खिलाफ चुनाव लड़ा और एक बार फिर हार का सामना करना पड़ा।