भाजपा ने खेला हिंदुत्व कार्ड, 30 साल में पहली बार एक भी मुस्लिम प्रत्याशी को टिकट नहीं
जयपुर.
राजस्थान में भी भाजपा ने हिंदुत्व का बड़ा कार्ड खेला है। तीन दशक में पहली बार भाजपा ने राजस्थान में किसी भी मुस्लिम प्रत्याशी को मैदान में नहीं उतारा । पिछली बार 2018 के विधानसभा चुनाव में टोंक से युनूस खान को कांग्रेस प्रत्याशी सचिन पायलट के खिलाफ उतारा था। इस बार युनूस खान का टिकट काट दिया गया। युनूस की जगह पार्टी ने किसी भी नए मुस्लिम चेहरे को मौका नहीं दिया, जबकि राजस्थान की आठ से दस जिलों की 35 सीटों पर मुस्लिमों का प्रभाव है। इतना ही नहीं, तीन मुस्लिम बहुल सीटों पर संतों को उतारकर भाजपा ने सियासी संदेश देने की कोशिश की है।
भैरोंसिंह शेखावत के कार्यकाल में भाजपा हिन्दू तीर्थ पुष्कर से रमजान खान को प्रत्याशी बनाती थी। शेखावत सरकार में उन्हें मंत्री भी बनाया गया। शेखावत युनूस खान को भाजपा में लाए। राजस्थान में आने के बाद वसुंधरा राजे ने युनूस को डीडवाना से मैदान में उतारा। तब से युनूस भाजपा से चुनाव लड़ते आ रहे थे। वसुंधरा के दोनों कार्यकाल में ताकतवर मंत्री भी रहे, लेकिन अब टिकट कट गया। युनूस के अलावा हबीबुर्रमान भी भाजपा से विधायक रहे। 2018 में उनका भी टिकट कट गया था। वसुंधरा के कार्यकाल में सगीर खान को धौलपुर से टिकट मिलता था।
महंत प्रतापपुरी
पोकरण सीट से दिखाएंगे प्रताप
तारातर मठ के महंत प्रतापपुरी 2013 में यहीं से विधायक रहे 2018 में शाले मोहम्मद से हारे।
इस बार भी मुकाबला शाले ही में है। शाले का आपत्तिजनक आडियो आने के बाद ये चुनाव उनके लिए आसान नहीं होगा।
महंत प्रतापुरी के मठ बाड़मेर में है, जिसका प्रभाव पूरे जोधपुर संभाग में है। इसका असर कई सीटों पर भी पड़ने के आसार हैं।
बाल मुकुंदाचार्य
हवा महल से मैदान में
हाथोज धाम के महामंडलेश्वर हैं।
मुस्लिमों की खासी संख्या के बावजूद कांग्रेस यहां ब्राह्मण को तरजीह देती रही है।
2013 में भाजपा का कब्जा था, पिछली बार कांग्रेस के महेश जोशी कुछ वोटों से जीते थे।
महंत बाल मुकुंदाचार्य ने कहा, पार्टी ने सनातनी कार्यकर्ता पर विश्वास किया है। जिन्होंने 5 साल तक परकोटे में तांडव मचाया, उन्हें जनता वोट से जवाब देगी।
बाबा बालकनाथ
तिजारा से चलाएंगे सियासी तीर
तिजारा भी मुस्लिम बहुल है। भाजपा ने अलवर सांसद बाबा बालकनाथ को उतारकर आसपास समीकरण साधे हैं। बाबा बालकनाथ नाथ संप्रदाय से हैं। यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ भी इसी संप्रदाय से हैं। इसलिए बालकनाथ का नामांकन भरवाने के लिए योगी भी आए थे। लंबे समय तक यहां कांग्रेस से दुर्रू मियां विधायक रहे। इस बार कांग्रेस ने इमरान को उतारा है।
मुस्लिम बहुल सीटें
अलवर: रामगढ़, तिजारा
भरतपुर: कामा, नगर
जयपुरः किशनपोल, हवा महल, आदर्शनगर
सीकरः फतेहपुर, सीकर
नागौरः नागौर, मकराना, डीडवाना और लाडनूं
बाड़मेरः शिव, चोहटन
जोधपुर: सूरसागर, फलोदी
टोंकः टोंक, मालपुरा
झुंझुनूं: मंडावा, नवलगढ़ और झुंझुनूं
अजमेरः मसूदा, अजमेर, पुष्कर
जैसलमेर: जैसलमेर, पोखरन
सवाईमाधोपुर: गंगापुर सिटी और सवाईमाधोपुर
कोटा: रामगंज मंडी, कोटा उत्तर और लाडपुरा
झालावाड़: झालरापाटन, पिड़ावा
धौलपुर: धौलपुर
रातों-रात काटा टिकट
मसूदा से भाजपा ने अभिषेक सिंह को प्रत्याशी बनाया था, जिसका भारी विरोध हुआ। भाजपा नेतृत्व को जानकारी मिली कि अभिषेक मेहरात हैं। मेहरात, मुस्लिम हैं। उनके परिवार का ताल्लुकात मुस्लिम समाज से है। ऐसे में उनका टिकट कट गया।