November 28, 2024

MP Elections 2023: छोटे दलों की वजह से बीजेपी-कांग्रेस के हाथ से फिसल गई थी जीत, अब भी यही डर…

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भोपाल
मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में कुछ जगहों पर त्रिकोणीय मुकाबला हो गया है। यह क्षेत्रीय दलों की एंट्री की वजह से हुई थी। एमपी में सपा, बीएसपी, आप और एआईएमआईएम समेत कई दल चुनाव लड़ रहे हैं। 2018 के विधानसभा चुनाव में इन क्षेत्रीय दलों की मौजूदगी के कारण बीजेपी और कांग्रेस के बीच 30 सीटों पर कांटे की टक्कर हुई थी। इन सीटों पर उम्मीदवारों की हार जीत महज 3000 वोटों या उससे कम से हुई थी। 30 में से 15 सीटें कांग्रेस ने और 14 सीटें बीजेपी ने जीती थी। वहीं, एक सीट बीएसपी जीती थी।

वहीं, 2013 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को जीत मिली थी। उस साल भी 33 ऐसी सीटें थीं, जहां 3000 से कम वोटों से बीजेपी और कांग्रेस उम्मीदवारों की जीत हुई थी। 33 में 18 बीजेपी, 12 कांग्रेस, दो बीएसपी और एक पर निर्दलीय उम्मीदवार की जीत हुई थी। इससे साफ जाहिर होता है कि एमपी चुनाव में छोटी पार्टियां बड़ी चुनौती हैं। इसमें सबसे अहम बहुजन समाजवादी पार्टी है। बहुजन समाज पार्टी ने एमपी चुनाव में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के साथ गठबंधन किया है। साथ ही समाजवादी पार्टी इंडी गठबंधन से अलग होकर अलग चुनाव लड़ रही है। अभी तक एमपी में 31 सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। बीजेपी अपने बड़े नेताओं को मैदान में उतारकर एज लेने की कोशिश में जुटी है।

2013 में प्रदेश की 33 सीटों पर एकदम नजदीकी मुकाबला रहा है। 2018 के विधानसभा चुनाव में इनमें से 26 सीटें अलग-अलग पार्टियां जीती हैं। इससे साफ है कि एमपी में छोटी पार्टियां कैसे रिजल्ट पर असर डालती हैं। इन 26 सीटों पर 2013 की तुलना में रिजल्ट बदल गया। 2018 में कांग्रेस 16 और बीजेपी ने 9 सीटें जीती थी। साथ ही एक निर्दलीय उम्मीदवार की जीत हुई थी। इसके साथ ही इनमें सात सीटें ऐसी थीं, जहां 2013 और 2018 में बीजेपी को ही जीत मिली थी। इनमें कांग्रेस को चार और बीजेपी को तीन सीटों पर जीत मिली थी।

ये हैं वो सीटें
टिमरनी विधानसभा: यह एसटी के लिए सुरक्षित सीट है। यहां बीजेपी ने कांग्रेस उम्मीदवार को 2213 वोटों से हराया था। यहां गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने कांग्रेस को नुकसान पहुंचाया था। उसके उम्मीदवार को 5722 वोट मिले थे।

देवतलाब विधानसभा सीट: इस विधानसभा सीट पर बीजेपी ने बीएसपी को 1080 वोटों से हराया था। यहां सपा की वजह से बीएसपी का खेल खराब हो गया है। सपा उम्मीदवार को 2213 वोट मिले थे।

राजपुर विधानसभा सीट: यह सीट एसटी के लिए रिजर्व है। कांग्रेस ने 2018 के विधानसभा चुनाव में यहां 932 वोट से जीत हासिल की थी। सीपीआई की वजह से बीजेपी का खेल खराब हो गया था। सीपीआई को 2411 और आप को 1510 वोट मिले थे।

विजयपुर विधानसभा सीट: बीजेपी ने कांग्रेस उम्मीदवार को 2840 वोटों से हराया था। यहां बीएसपी को 35,628 वोट मिले थे।

ग्वालियर ग्रामीण विधानसभा सीट: बीजेपी ने बीएसपी उम्मीदवार को 1517 वोटों से हराया था। वहीं, बहुजन संघर्ष दल को 7698 वोट मिले थे। आम आदमी पार्टी को 2689 वोट मिले थे।

ग्वालियर दक्षिण विधानसभा सीट: इस सीट पर कांग्रेस ने बीजेपी उम्मीदवार को 121 वोटों से हराया था। यहां पर बीजेपी के बागी उम्मीदवार को 30745 वोट मिले थे। इसके साथ ही बीएसपी को 3098, आप को 646 और नोटा को 1550 वोट मिले थे।

बीना विधानसभा सीट: बीजेपी ने यहां कांग्रेस उम्मीदवार को 460 वोटों से हराया था। वहीं, द रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया के उम्मीदवार को 1563 वोट मिले थे।

मैहर विधानसभा सीट: बीजेपी ने कांग्रेस उम्मीदवार को 2984 वोटों से हराया था। गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने यहां कांग्रेस को बड़ा नुकसान पहुंचाया था। जीजीपी को 33,397 वोट मिले थे और सपा को 11, 202 वोट मिले थे।

2018 का ये रहा था हाल
गौरतलब है कि 2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 109 सीटें मिली थीं, जबकि 2013 में 165 थी। वहीं, कांग्रेस की सीटें दोगुनी हो गई थीं। कांग्रेस को 2018 में 114 थी जबकि 2013 में 28 सीटें थीं। वहीं, कांग्रेस बहुमत से सिर्फ दो सीट पीछे रह गई थी। 230 सीटों वाले एमपी में विधानसभा सरकार बनाने के लिए 116 सीटों की जरूरत पड़ती है। ऐसे में कांग्रेस की सरकार चार निर्दलीय, एक एसपी और दो बीएसपी विधायकों के समर्थन से बनी थी।

वहीं, 15 महीने बाद मार्च 2020 में ज्योतिरादित्य सिंधिया के बगावत के बाद कांग्रेस की सरकार गिर गई। इसके बाद 26 सीटों पर उपचुनाव हुए, जिसमें बीजेपी को 18 और कांग्रेस को सात सीटों पर जीत मिली। एक पर निर्दलीय की जीत हुई थी।

इन नतीजों को देखते हुए बीजेपी और कांग्रेस कांटे की टक्कर वाली सीटों पर अलग रणनीति के साथ काम कर रही है। बीजेपी नेता ने कहा कि हमारी पार्टी बूथ लेवल पर फोकस कर रही है। खासकर उन जगहों पर जहां 2018 में हम बेहद कम अंतर से चुनाव हार गए थे। लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में बंपर जीत मिली थी। हमने 12000 ऐसे बूथ को चिह्नित किए थे। वहीं, कांग्रेस ने कहा कि हम जमीनी स्तर पर बूथ को मजबूत करने की रणनीति पर काम कर रहे हैं। साथ ही स्थानीय समीकरण का भी पूरा ध्यान रख रहे हैं।

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