नगर निगम के बजट में इस बार पार्षद कोटा नहीं, 8 माह तक शहर के पार्षद हाथ रहेंगे खाली
भोपाल
अब क्या 8 माह तक शहर के पार्षद खाली हाथ रहेंगे। यह सवाल इसलिए उठ रहा है कि नगर निगम के बजट में इस बार पार्षद कोटा नहीं है। नवनिर्वाचित पार्षद बजट मांग रहे हैं और आंदोलन की चेतावनी दे रहे हैं। इस मामले में विधिक सलाह ली जा रही है। हो सकता है एमआईसी के माध्यम से पार्षद कोटे के 25 लाख रुपए की व्यवस्था की जाए।
पार्षद कोटे के नहीं मिल रहे 25 लाख
नवनिर्वाचित पार्षदों को पार्षद कोटे के तहत मिलने वाली 25 लाख राशि नहीं दी गई है। जबकि पार्षद को अनुपूरक बजट के तहत बजट दिये जाने का प्रावधान है, लेकिन एमआईसी की बैठक नहीं हो पाने के कारण पार्षदों को अनुपूरक बजट भी नसीब नहीं हो पा रहा। इसका कारण यह है कि विभाग नहीं बटे हैं।
टैक्स की आधी राशि नहीं दे रहा निगम
पार्षदों का आरोप हैं कि वार्ड से प्राप्त होने वाली संपत्तिकर की 50 फीसदी राशि विकास कार्य के लिए दी जाती है वह भी नहीं दे रहे हैं। पार्षद निधि के 25 लाख के अलावा पार्षदों को संपत्तिकर के जारिए प्राप्त हुई राशि का 50 फीसदी और शिक्षा उपकर की एक निर्धारित राशि दी जाती है, लेकिन निगम प्रशासन पार्षदों को पैसा ही नहीं दे रहा। कांग्रसी पार्षदों ने महापौर मालती राय और कमिश्नर केवीएस चौधरी कोलसानी को उग्र आंदोलन की चेतावनी दी है। उनका कहना है कि जल्द ही पार्षदों को फंड दिया जाए, अन्यथा उग्र आंदोलन किया जाएगा। शहर की जनता पार्षदों से उम्मीद लगाए बैठी हैं, लेकिन पार्षद उनकी कोई मदद नहीं कर पा रहे हैं।
एमआईसी के थू्र निकलेगा रास्ता
बजट में प्रावधान नहीं होने से पार्षदों को 25 लाख की पार्षद निधि नहीं मिल सकती है। अभी नया बजट यानी की अप्रैल आने में 8 माह का समय शेष है। ऐसे में बिना फंड के पार्षद विकास कार्य कैसे कराएंगे। वर्तमान में बारिश के बाद सड़कें खराब हो गई हैं, चूंकि पार्षद हाल ही में चुनकर आए हैं। इसलिए जनता को भी उनसे समस्याओं के निराकरण की अपेक्षा है पर फंड नहीं होने से वह कुछ नहीं कर पा रहे हैं। इस अव्यवस्था से बीजेपी और कांगे्रस दोनों दलों के पार्षद नाराज हैं।