September 27, 2024

गहलोत-पायलट और वसुंधरा-गजेंद्र की तस्वीरें दे रहीं ‘भीतरी’ संदेश?

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जयपुर.

हमारे यहां सब ठीक है…विधानसभा चुनावों में कांग्रेस-बीजेपी यही टैग लाइन लेकर चल रही है। इसके पीछे की बड़ी वजह है, इस बार दोनों ही पार्टियों में सबसे ज्यादा डर भितरघात का है, जिसके चलते यहां तक कहा जा रहा है कि दोनों पार्टियों के दिग्गज नेता यही चाहते हैं कि चुनाव फंसा रहे। राजस्थान की जनता ने पिछले पांच साल में इन दोनों ही पार्टियों के नेताओं के बीच अंदरूनी तौर पर जमकर खींचतान देखी है।

कांग्रेस में तो कई मौकों पर सार्वजनिक मंच पर यह लड़ाई खुलकर सामने आई। एक-दूसरे के लिए ऐसी शब्दावली का इस्तेमाल भी होते देखा है, जिसकी उम्मीद नहीं की जा सकती थी। वहीं, भाजपा में भी नेताओं के बीच दूरियां खूब रही हैं। हालांकि, कांग्रेस की तरह सार्वजनिक तौर पर बयानबाजी के मौके एक-दो ही सामने आए हैं, लेकिन नेतााओं ने एक-दूसरे को नीचा दिखाने का कोई मौका छोडा नहीं है। अब चुनाव है और चुनाव में दोनों ही दल एक-दूसरे को इस बात के लिए निशाना बनाते रहे हैं कि उनमे एकजुटता नहीं है। भाजपा का कांग्रेस पर आरोप रहा है कि कुर्सी के लिए इसके नेता एक-दूसरे पर हमले करते रहे। वहीं, कांग्रेस के नेता भाजपा पर यह तंज कसते रहे कि इनके यहां मुख्यमंत्री पद के इतने उम्मीदवार है कि एकजुट हो ही नहीं सकते। लेकिन अब चुनाव सिर पर है और दोनों ही दलों में यह कोशिशें हो रही हैं कि कैसे पूरी पार्टी को एकजुट दिखाया जाए और यह संदेश दिया जाए कि जो हुआ उसे भूल जाओ और इन नई तस्वीरों को याद रखो।

कांग्रेस में गहलोत-पायलट की बातचीत की तस्वीरें वायरल
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट के पोस्टर लगाए गए और अब इस तरह के फोटो वायरल किए जा रहे हैं, जिनमें दोनों नेता हल्के-फुल्के अंदाज में एक साथ बतियाते नजर आ रहे हैं। हालांकि, कोई न कोई तीसरा नेता आज भी इनके साथ जरूर होता है और जनता उस फोटो का इंतजार आज भी कर रही है, जिसमें कोई तीसरा नेता इनके बीच न हो।

सोनिया-राहुल की मौजूदगी का असर
पार्टी में एकजुटता दिखाने के यह प्रयास तेज इसलिए भी होते दिख रहे हैं कि कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी इन दिनों जयपुर मे ही रूके हुए हैं। इसका कारण हालांकि दिल्ली का प्रदूषण बताया जा रहा है। लेकिन यहां रहकर राहुल गांधी खुद चुनाव की मॉनिटरिंग कर रहे हैं। क्योंकि पार्टी के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल भी यहीं टिके हुए हैं। पार्टी सूत्रों का कहना है कि दोनों नेताओ को ऊपर से साफ संदेश है कि चुनाव के इस आखिरी दौर में किसी भी तरह खींचतान या दूरी सामने नहीं आनी चाहिए।

बीजेपी में गजेंद्र सिंह और वसुंधरा राजे साथ-साथ
भाजपा में भी पूर्व सीएम वसुंधरा राजे और केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत, लेकिन पिछले दिनों गजेंद्र सिंह राजे के निवास पर गए और दोनों के बीच लंबी बातचीत हुई। इसके अलावा सार्वजनिक कार्यक्रमों में भी दोनों आपस में बातचीत करते नजर आते हैं। वहीं, केन्द्रीय नेताओं जैसे पीएम नरेन्द्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह के साथ राजे के संबंध सहज नहीं रहे हैं। लेकिन अब राजे लगभग हर उस कार्यक्रम में दिख रही हैं, जहां केन्द्रीय नेता पहुंच रहे हैं और सब कुछ सहज और सामान्य होने का संदेश देने वाले फोटो भी वायरल किए जा रहे हैं।

मजबूरी की एकजुटता
हालांकि, राजस्थान की राजनीति पर नजर रखने वाले राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि यह एकजुटता मजबूरी की एकजुटता है। वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक राजीव जैन का कहना है कि यह मजबूरी की एकजुटता के अलावा कुछ नहीं है। दोनों ही दलों में आलाकमान को दिखाने के लिए एकजुटता दिखाई जा रही है। धरातल पर न सिर्फ इनके दिल आपस में दूर हैं। बल्कि समर्थक भी पूरी तरह बंटे हुए हैं। जनता भी इस बात को अच्छी तरह से समझ रही है।

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