September 25, 2024

हूतियों ने गुजरात आ रहे जहाज का हेलिकॉप्‍टर से किया अपहरण, भारत को खतरा?

0

तेलअवीव

इजरायल और हमास की लड़ाई में अब यमन के हूती विद्रोही भी खुलकर शामिल होने लगे हैं। इन हूती विद्रोहियों को ईरान का पूरा समर्थन है और उन्‍होंने तेहरान के इशारे पर ही जापानी कंपनी के जहाज गैलक्‍सी लीडर का लाल सागर से अपहरण कर लिया है। यह जहाज भारत के गुजरात राज्‍य आ रहा था। इस जहाज का आंशिक मालिकाना हक इजरायल के एक अरबपति के पास भी है। इस जहाज पर चालक दल के 25 सदस्‍य सवार हैं और इसमें एक भी इजरायली नहीं बताया जा रहा है। इस जहाज को हूती व‍िद्रोही यमन ले गए हैं। अब जापान सीधे यमन से बात कर रहा है ताकि उसके जहाज को छोड़ दिया जाए। विशेषज्ञों के मुताबिक इस पूरे घटनाक्रम से भारत के लिए बड़ा खतरा पैदा हो गया है।

इस पूरे घटनाक्रम की शुरुआत उस समय मानी जा रही है जब ईरान के विदेश मंत्री हुसैन अमीर अब्‍दोल्‍लाहिआन ने हाल ही में एक बड़ा खुलासा किया था। ईरानी मंत्री ने ईरान से जुड़े प्रतिरोधी गुटों को निर्देश दिया था कि वे 'चालाकी से इजरायल और उसके समर्थकों पर दबाव को बढ़ाएं।' इससे पहले हूती विद्रोहियों ने यमन के तट पर जासूसी कर रहे अमेरिका के करोड़ों डॉलर के एमक्‍यू 9 रीपर ड्रोन को मार गिराया था। यही नहीं पिछले दिनों हूती विद्रोहियों ने इजरायल पर ड्रोन और मिसाइलों से हमला किया था लेकिन अमेरिकी सेना ने उसे बीच रास्‍ते में समुद्र के अंदर ही मार गिराया था।

नेतन्याहू के कार्यालय ने कहा….
दरअसल, इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के कार्यालय ने बहामास का झंडा लगे गैलेक्सी लीडर जहाज पर हमले के लिए हूतियों को दोषी ठहराया था, जो एक इजराइली अरबपति से संबद्ध वाहन वाहक था। नेतन्याहू के कार्यालय ने कहा था कि जहाज में कोई भी इजराइली नहीं था।जहाज के जापानी संचालक, एनवाईके लाइन ने कहा कि अपहरण के समय जहाज में कोई माल नहीं था। एनवाईके ने कहा कि इसके चालक दल के सदस्य फिलीपींस, बुल्गारिया, रोमानिया, यूक्रेन और मैक्सिको से हैं।जहाज के जापानी संचालक ‘एनवाईके लाइन’ ने कहा कि जहाज को कब्जा में लिए जाने के दौरान उसमें सामान नहीं था। एनवाईके ने कहा कि जहाज के चालक दल के सदस्य फिलीपीन, बुल्गारिया, रोमानिया, यूक्रेन और मैक्सिको से थे।
आतंकवाद का ईरानी कृत्य’’ बताया- नेतन्याहू कार्यालय
जहाज भारत में गुजरात राज्य के पिपावाव जाने वाला था।जापान ने सोमवार को जहाज को कब्जे में लिए जाने की निंदा की। मुख्य कैबिनेट सचिव हिरोकाजू मात्सुनो ने कहा कि जापान की सरकार हूती विद्रोहियों के साथ बातचीत के माध्यम से चालक दल की शीघ्र रिहाई के लिए पूरी कोशिश कर रही है। साथ ही इजराइल के साथ बातचीत और सऊदी अरब, ओमान एवं ईरान की सरकारों के साथ सहयोग कर रही है।नेतन्याहू के कार्यालय ने इस घटना की निंदा करते हुए इसे ‘‘आतंकवाद का ईरानी कृत्य’’ बताया।

हूतियों का इजरायल पर क्‍या है ऐलान ?

इसके बाद हूती विद्रोहियों ने ईरान के इशारे पर अपनी रणनीति को बदलते हुए अब इजरायल से जुड़े कार्गो शिप को लाल सागर में निशाना बनाने का ऐलान कर दिया है। हूतियों ने कहा है कि वे हर उस जहाज को निशाना बनाएंगे जिसके मालिक इजरायली होंगे या इजरायल की कंपनियां उन्‍हें संचालित कर रही होंगी या वे इजरायली झंडे वाले होंगे। हूतियों ने कहा कि वे फलस्‍तीनी लोगों के समर्थन के लिए यह कदम उठा रहे हैं। यही हूती सेना के ब्रिगेडियर जनरल याह्या सारी ने सभी देशों को धमकी दी है कि वे इस तरह के जहाजों पर तैनात अपने नागरिकों को हटा लें।

बताया जा रहा है कि हूती विद्रोही हेलिकॉप्‍टर की मदद से इस जहाज गैलक्‍सी लीडर तक पहुंचे थे। इस बीच अब जापान ने कहा है कि वह सीधे ईरान समर्थित हूती विद्रोहियों के साथ सीधे बातचीत कर रहा है ताकि इस जहाज को छुड़ाया जा सके। जापान ने सऊदी अरब, ओमान, ईरान और अन्‍य देशों से अपील कर रहे हैं कि हूतियों से जहाज को छुड़ाया जा सके। इस जहाज के अपहरण पर इजरायल के पीएम आगबबूला हो गए हैं। उन्‍होंने जहाज के अपहरण को ईरान की आतंकी कार्रवाई करार दिया है। उन्‍होंने कहा कि इस जहाज पर कोई भी इजरायली नागरिक नहीं था।
 

भारत को कितना खतरा?

विशेषज्ञों का कहना है कि इजरायल- हमास युद्ध और अब इस जापानी जहाज का अपहरण भारत के लिए खतरे की बड़ी घंटी है। भारत पश्चिम एशिया पर ऊर्जा के लिए बुरी तरह से निर्भर है। भारत की अर्थव्‍यवस्‍था को अगर विकसित बनाना है तो उसे खाड़ी देशों से बिना किसी रुकावट के तेल और गैस की आपूर्ति को बरकरार रखना होगा। साल 2018 में भारत, जापान और दक्षिण कोरिया समेत एशियाई देशों का 76 फीसदी कच्‍चा तेल होर्मूज की खाड़ी से होकर आया था जो ईरान और ओमान के बीच स्थित है। यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद दक्षिण कोरिया और जापान ने खाड़ी देशों पर अपनी तेल निर्भरता को काफी बढ़ा दिया है।

इसके पीछे वजह अमेरिका का रूसी तेल के आयात पर पाबंदी है। खाड़ी देशों में अस्थिर हालात और हूती समेत विद्रोही गुटों के बढ़ते खतरे को देखते हुए विशेषज्ञ भारत, जापान और दक्षिण कोरिया को मिलकर एक समुद्री निगरानी फोर्स बनाने की सलाह दे रहे हैं। यही नहीं भारत का व्‍यापार भी खाड़ी देशों से हाल के दिनों में कई गुना बढ़ गया है। अगर इसी तरह से हिंसा का दौर जारी रहा तो पूरे पश्चिम एशिया में तनाव भड़क सकता है जिसका असर भारत भी होगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed