न्यू कोरबा हॉस्पिटल मे हुई घटना की नियमानुसार जांच हो – आईएमए
रायपुर
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने पिछले दिनों कोरबा के न्यू कोरबा हॉस्पिटल में डाक्टरों के साथ हुई मारपीट व अस्पताल में की गई तोडफोड पर जिला प्रशासन से नियमानुसार जांच कर कार्रवाई किये जाने की मांग की है। साथ ही इंडियन मेडिकल एसोसिएशन परिवार उनकी असमय मृत्यु पर खेद प्रकट किया है। आईएमए ने कहा कि कोई भी चिकित्सक किसी मरीज का दुश्मन नहीं होता। किसी भी स्थिति में दवा या इंजेक्शन इलाज के लिए ही दिये जाते हैं , उनके व्यक्तिगत प्रभाव अलग अलग हो सकते हैं, जिन्हें पहले से नहीं बताया जा सकता। मरीज की हालत गंभीर होने पर मृत्यु की संभावना होती है। कोई भी इंजेक्शन मरीज को नुकसान पहुँचाने के लिये नहीं दिया जाता है।
श्रीमती पुष्पा राज राठौर की मृत्यु के बाद उनके परिजनों का यह आरोप कि इंजेक्शन लगाने के बाद उनकी मृत्यु हुई, बहुत दुखद है। उसके बाद उन्होंने जिस प्रकार की हिंसात्मक कार्रवाई चिकित्सकों और अस्पताल के स्टाफ के विरुद्ध की, वह सर्वथा निंदनीय है। पुलिस प्रशासन के द्वारा पहले चिकित्सकों के द्वारा की जा रही है एफआईआर को लिखने से मना किया गया, तत्पश्चात मृतका के परिजनों की शिकायत पर चिकित्सकों के विरुद्ध धारा 304 ए के अंतर्गत अपराध पंजीबद्ध किया गया। पुलिस प्रशासन का यह कृत्य जैकब मैथ्यू केस 2005 में माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए निर्णय के सरासर विरुद्ध है तथा माननीय सुप्रीम कोर्ट की अवमानना है, जिसमें यह कहा गया है कि इलाज के दौरान मरीज की मृत्यु हो जाने पर चिकित्सक को तब तक दोषी नहीं ठहराया जा सकता अथवा उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई नहीं की जा सकती, जब तक एक विशेषज्ञ समिति यह राय ना दे दे कि मरीज की मृत्यु के लिए चिकित्सक की लापरवाही जिम्मेदार है। मरीजों के परिजन तथा पुलिस प्रशासन का यह रवैया चिकित्सकों को आपातकालीन स्थिति में मरीजों का इलाज करने से हतोत्साहित करता है।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन रायपुर के अध्यक्ष डॉक्टर विकास कुमार अग्रवाल डॉ दिग्विजय सिंह सचिव, डॉ महेश सिन्हा पूर्व अध्यक्ष आई एम ए छत्तीसगढ़ राज्य डॉ राकेश गुप्ता चेयरमैन हॉस्पिटल बोर्ड आईएमए छत्तीसगढ़ राज्य डॉ अनिल जैन चेयरमैन हॉस्पिटल बोर्ड आई एम ए रायपुर ने जिला प्रशासन से मांग की है कि न्यू कोरबा हॉस्पिटल के चिकित्सकों के खिलाफ किसी भी प्रकार की कानूनी कार्यवाही करने के पूर्व माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा स्थापित गाइडलाइन के तहत विशेषज्ञ समिति बनाकर इस दुखद घटना की जांच की जाए।
साथ ही मृतका के परिजनों के खिलाफ छत्तीसगढ़ चिकित्सक सेवक तथा चिकित्सा सेवक संस्थान ( हिंसा तथा संपत्ति की क्षति या हानि की रोकथाम) अधिनियम 2010 ( क्रमांक 11 2010 ) का संशोधन विधेयक 2016 के अंतर्गत जुर्म दर्ज कर कठोर कार्रवाई की जाए।