अमेरिका भारत को मानता है अपना अनिवार्य साझीदार, कहा, हमें अपने रिश्तों पर भरोसा
वाशिंगटन
अमेरिका ने कहा है वह भारत को अपना अनिवार्य भागीदार मानता है, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि दोनों देश यूक्रेन में अपने-अपने राष्ट्रीय हित देख रहे हैं। व्हाइट हाउस ने कहा कि अमेरिका व भारत की रणनीतिक साझेदारी एक स्वतंत्र और खुले हिंद-प्रशांत क्षेत्र की उन्नति के लिए साझा प्रतिबद्धता पर आधारित है। व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरीन जीन पियरे ने नियमित प्रेसवार्ता के दौरान यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बाद भारत के साथ अमेरिका के रिश्ते खराब होने के सवाल पर यह बात कही।
उन्होंने कहा हमें अपने रिश्ते पर भरोसा है, और आने वाले वर्षो में, हम नियम-आधारित व्यवस्था की रक्षा के लिए एक साथ खड़े रहेंगे। उन्होंने कहा कि यूक्रेन पर हमार रुख एक दम स्पष्ट है, हमने तीन अरब डालर अतिरिक्त सुरक्षा सहायता देने की घोषणा की है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके लोग अपनी स्वतंत्रता के लिए संघर्ष जारी रख सकें।
रक्षा क्षेत्र दोनों देशों के बीच एक प्रमुख स्तंभ: संधू
अमेरिका में भारत के राजदूत तरणजीत सिंह संधू ने कहा कि भारत और अमेरिका की नौसेनाओं के बीच सहयोग द्विपक्षीय रक्षा संबंधों के सबसे महत्वपूर्ण घटकों में से एक है। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि रक्षा क्षेत्र दोनों देशों के बीच एक प्रमुख स्तंभ के रूप में उभरा है, विशेष रूप से हिंद-प्रशांत के संदर्भ में। संधू की यह टिप्पणी पिछले सप्ताह आइएनएस सतपुड़ा के सैन डिएगो के ऐतिहासिक दौरे के दौरान आई है। आइएनएस सतपुड़ा स्वदेश में डिजाइन और निर्मित 6000 टन निर्देशित मिसाइल स्टील्थ फ्रि गेट है जो हवा, सतह और पानी के भीतर अपने लक्ष्य को नष्ट करने में सक्षम है।
भारत को भविष्य में मदद देने पर विचार करेगी अमेरिकी कांग्रेस
अमेरिकी कांग्रेस के सदस्य इस बात पर विचार करेंगे कि भारत को भविष्य में सहायता देने के लिए देश में मानवाधिकारों व नागरिक स्वतंत्रता में सुधार की शर्त जोड़ी जाए या नहीं। यह बात कांग्रेस की स्वतंत्र व द्विदलीय शोध शाखा ने कहा है। बाइडन प्रशासन ने 2023 में भारत को 11.7 करोड़ डालर सहायता का प्रस्ताव दिया है। हालांकि भारत ने ऐसी कोई मांग नहीं की है। कांगेस की शोध शाखा ने भारत में खराब मानवाधिकारों व नागरिक स्वतंत्रता की रिपोर्ट का हवाला देते हुए इस पर विचार करने की सिफारिश की है। वहीं, भारत ने नागरिक स्वतंत्रता को लेकर बार-बार विदेशी सरकारों, मानवाधिकार संगठनों की रिपोर्ट को खारिज किया है।