November 27, 2024

SC की नसीहत पर बाबा रामदेव, गलत हैं तो 1000 करोड़ फाइन लगाओ और हमें फांसी दो

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हरिद्वार नई दिल्ली
एलोपैथी पर निशाना साधने और अपनी दवाओं के बारे में गलत दावे करने के आरोपों पर सुप्रीम कोर्ट ने बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि को नसीहत दी थी। यही नहीं अदालत ने कहा था कि यदि रोगों को ठीक करने का आपके प्रोडक्ट्स का दावा गलत पाया गया तो 100 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की अर्जी पर अदालत ने यह तीखी टिप्पणी की थी। अब इस पर बाबा रामदेव का जवाब आया है। उन्होंने बुधवार को हरिद्वार में कहा कि यदि हम गलत पाए जाते हैं तो हमारे ऊपर 100 नहीं बल्कि 1000 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया जाए। यहां तक कि हमें फांसी की भी सजा दी जाए।

बाबा रामदेव ने कहा, 'कल से मीडिया के हजारों साइट्स में एक खबर को वायरल किया जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि को फटकार लगाई कि झूठा प्रोपेगेंडा करोगे तो करोड़ों लोगों का जुर्माना लगेगा। हम सुप्रीम कोर्ट, देश के संविधान का आदर करते हैं। लेकिन झूठा प्रोपेगेंडा हम नहीं कर रहे। डॉक्टरों के एक ऐसे गिरोह ने ऐसी संस्था बना रखी है कि वे प्रचार करते हैं। वे हमारी संस्कृति और सनातन मूल्यों के खिलाफ भी बोलते हैं। उनका झूठा प्रचार है कि बीपी, शुगर, थायराइड और लीवर जैसी बीमारियों का कोई इलाज नहीं है। लेकिन हमारे पास हजारों मरीज आते हैं। हमारे पास उन पर ही जो किया गया है, उसके ही सबूत है। हम तो एक सप्ताह के अंदर 12 से 15 किलो तक का वजन कम कर देते हैं।'

पतंजलि के मुखिया ने कहा कि यदि हम झूठ नहीं बोल रहे हैं तो फिर हमारे खिलाफ कैसा जुर्माना? यह तो उन पर लगना चाहिए, जो झूठ बोल रहे हैं और गलत प्रचार करते हैं। बाबा रामदेव ने कहा कि बीते 5 सालों से खतरनाक प्रोपेगेंडा चल रहा है। उन्होंने कहा कि योग, आयुर्वेद और नेचुरोपैथी को झुठलाने के लिए यह प्रचार चल रहा है कि आयुर्वेद में किसी भी चीज का इलाज नहीं है। दरअसल बाबा रामदेव के खिलाफ इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने अर्जी दाखिल की थी।

इसी पर सुनवाई करते हुए अदालत की बेंच ने पतंजलि को झूठे प्रचार से बचने की नसीहत दी थी। बता दें कि कोरोना काल से ही पतंजलि और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के बीच विवाद चल रहा है। बाबा रामदेव के कई बयानों को लेकर मेडिकल एसोसिएशन उखड़ गया था। यही नहीं एलोपैथी के अपमान का आरोप लगाया था। आयुर्वेद बनाम एलोपैथी की यह बहस लंबी चली तो मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया।

 

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