दिल्ली में आएगा विकट जल संकट, क्यों ‘टेंशन’ में केजरीवाल सरकार!
नई दिल्ली
दिल्ली की जल और वित्त मंत्री अतिशी ने वर्मा पर दिल्ली जल बोर्ड के लिए फंड की दूसरी किस्त रोकने का आरोप लगाते हुए उन्हें सस्पेंड करने की मांग की। आतिशी ने एलजी वीके सक्सेना को लेटर लिखकर हस्तक्षेप करने को कहा है। उन्होंने दावा किया कि राष्ट्रीय राजधानी में जल और स्वच्छता का बड़ा संकट आ सकता है। उन्होंने यहां तक कहा कि महामारी जैसे हालत पैदा हो सकते हैं। वर्मा ने कहा कि सरकार लोन और ग्रांट केवल नए काम के लिए देती है और इन प्रॉजेक्ट्स के लिए फंड जमीन पर हुई प्रगति के आधार पर जारी किया जाता है। उन्होंने कहा, '1,598 करोड़ रुपए दिल्ली जल बोर्ड को जून में ही जारी किए जा चुके हैं। यह सुनिश्चित करने के लिए कि फंड का दुरुपयोग नहीं हो रहा है, काम की प्रगित के सबूत और जियोटैगिंग के आधार पर आगे की धनराशि जारी की जाएगी।'
वर्मा ने कहा, 'मूल काम का प्रबंधन डीजेबी के अपने कर्माचारी करते हैं और निकट भविष्य में रुकने की संभावना नहीं है। पानी की आपूर्ति और सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट डीजेपी की अपनी जिम्मेदारी है। यह कहना गलत है कि पानी आपूर्ति या सीवेज ट्रीटमेंट रुक जाएगा।' पिछले दशक में एमसीडी को भी ऐसे ही वित्तीय संकट का सामना करना पड़ा है, जिसकी वजह से ठेकेदारों को देरी से पेमेंट, वेतन और विकास कार्यों में देरी हुई। वर्मा ने कहा, 'सरकार सैलरी, रिपेयर और मेंटिनेंस के लिए डीजेपी को पैसा नहीं देती है। यह खर्च डीजेपी के अपने राजस्व से चलाया जाता है। सरकार लोन और ग्रांट केवल नए काम के लिए देती है और फंड जमीन पर हुई प्रगति के आधार पर दिया जाएगा।' एलजी सचिवालय ने आतिशी के लेटर पर आधिकारिक तौर पर प्रतिक्रिया नहीं दी है।
दिल्ली जल बोर्ड के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि फंड में देरी का असर विकास, सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट को अपग्रेड करने, यमुना सफाई और सीवर, पानी की नई पाइप लाइन्स बिछाने या बदलने जैसे कामों पर हो सकता है। 21 नवंबर को लिखे अपने लेटर में जल मंत्री ने कहा है कि दिल्ली के वित्त विभाग ने वह फंड भी जारी करने से इनकार कर दिया है जो सरकार 2023-24 के बजट में आवंटित कर चुकी है और दिल्ली विधानसभा ने पास किया है। आतिशी ने कहा, 'यह सामान्य शासन प्रक्रिया है और पहले कभी वित्त विभाग ने सहायता अनुदान और लोन की किस्त जारी किए जाने पर रोक लगाने के लिए इतने सवाल नहीं उठाए।' एचटी ने आतिशी के लेटर की एक कॉपी देखी है। इसमें कहा गया है,'वर्मा की अगुआई में फाइनेंस और प्लानिंग डिपार्टमेंट आपत्तियों का निपटारा किए जाने पर नए और अलग तरीके की आपत्तियां जाहिर करता है।'
दिल्ली जल बोर्ड के 8 नवंबर के एक नोट के मुताबिक 2023-24 के बजट में 4839.50 करोड़ रुपए मंजूर किया गया था और मई 2023 में 1598 करोड़ रुपए की किस्त जारी की गई थी। दस्तावेज के मुताबिक, '31 अक्टूबर तक 910 करोड़ रुपए की डिमांड पेंडिंग है, लेकिन इसे जारी नहीं किया जा सकता है क्योंकि पर्याप्त फंड उपलब्ध नहीं है। शेड्यूल के मुताबिक दूसरी किस्त अक्टूबर में आनी थी और अन्य दस्तावेजों के साथ यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट डीजेबी ने 12 सितंबर 2023 को भेज दिया था।' नोट में कहा गया है कि डिपार्टमेंट को कामों का ब्योरा और पहली किस्त के फंड इस्तेमाल की जानकारी मांगी गई थी और अधिकतर का जवाब दिया जा चुका है। 9 नवंबर को अपडेट के साथ ब्योरा भेजा गया है। बताया गया बै कि लंबित 910 करोड़ में से 440 करोड़ रुपए पानी के काम और 470 करोड़ रुपए सीवर के लिए हैं।
आतिशी ने अपने लेटर में कहा कि वर्मा की ओर से डाली गई बाधा की वजह से दिल्ली जल बोर्ड में संसाधनों का गंभीर संकट पैदा हो गया है जिसकी वजह से डीजेबी के वेंडर्स को पेमेंट नहीं मिला है। अब उन्होंने मेंटिनेंस और सफाई का काम करने से मना कर दिया है, जोकि जल आपूर्ति और ड्रेनज सिस्टिम के सुचारू रहने के लिए जरूरी है। उन्होंने कहा, 'पानी के टैंकर दिल्ली की झुग्गियों में पानी देने से मना कर रहे हैं। इससे जन स्वास्थ्य के लिए संकट पैदा हो सकता है और दिल्ली में महामारी की स्थिति पैदा हो सकती है। यह चौंकाने वाली बात है कि कैसे एक अधिकारी अकेले अपनी शर्मनाक बाधा डालने वाली रणनीति से पूरी दिल्ली को बंधक बना रहा है।' एचटी ने कुछ ठेकेदारों से संपर्क किया लेकिन उन्होंने कोई प्रतिक्रिया देने से इनकार किया। वहीं दिल्ली जल बोर्ड के एक अधिकारी ने कहा कि शहर में मौजूदा समय में पानी आपूर्ति का कोई संकट नहीं है।