November 26, 2024

उत्तरकाशी में फंसे 41 मजदूरों के लिए महाकाल से प्रार्थना

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उज्जैन

उत्तराकाशी के सिलक्यारा सुरंग में 13 दिन से फंसे 41 मजदूरों की सुरक्षा के लिए पूरा देश प्रार्थना कर रहा है। उज्जैन के महाकाल मंदिर में मजदूरों की सुरक्षित निकासी के लिए विशेष भस्म आरती का आयोजन किया गया। इस मौके पर भक्तों ने महाकाल से उन मजदूरों को सुरक्षित रखने और बाहर निकालने की प्रार्थना की।

उत्तराखंड के उत्तरकाशी में 13 दिन से टनल में फंसे 41 मजदूरों की सकुशल वापसी के लिए महाकाल मंदिर में विशेष पूजा और भस्म आरती की गई। सबसे पहले भगवान महाकाल का विधि विधान से अभिषेक-पूजन किया गया। इसके बाद भगवान महाकाल का श्रृंगार कर भस्म आरती हुई। बाबा महाकाल की भस्म आरती में बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए, सभी ने महाकाल से अपने परिवारों के साथ ही टनल में फंसे मजदूरों की सलामती के लिए भी प्रार्थना की। इससे पहले 21 नवंबर को महाकाल मंदिर के पुरोहित और पुजारियों ने मजदूरों की सुरक्षित वापसी के लिए महामृत्युंजय मंत्र का जाप और रुद्राभिषेक किया था।

देवभूमि उत्तराखंड के उत्तरकाशी में सिल्कयारा सुरंग ढहने के बाद उसमें 41 मजदूर फंसे हुए हैं. इन मजदूरों को बचाने के लिए बचाव अभियान जारी है. मजदूरों को बचाने के लिए रेस्क्यू टीम लगातार हर संभव प्रयास कर रही है. ऐसे में उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में पुजारियों द्वारा उत्तराखंड में फंसे 41 मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकाले जाने को लेकर विशेष पूजा-अर्चना की गई. इस दौरान भगवान महाकाल का जलाभिषेक कर महामृत्युंजय मंत्र का जाप किया गया. साथ ही महाकाल से सुरंग में फंसे सभी मजदूरों की सुरक्षित वापसी के लिए  प्रार्थना भी की गई.

महाकाल मंदिर के पुजारी संजय शर्मा ने बताया कि ऐसी मान्यता है कि भगवान महाकाल से जब भी किसी की जान के लिए दुआ मांगी गई, तो महाकाल ने उसे जीवनदान अवश्य दिया है. कालों के काल और मृत्यु के राजा कहे जाने वाले महाकाल से मजदूरों के सकुशल बाहर निकाले जाने को लेकर विशेष प्रार्थना की गई है. टनल के एक हिस्से के ढहने से उसमें फंसे 41 मजदूरों की जान बचाने के लिए महाकाल मंदिर में महामृत्युंजय जाप के साथ पूजन अभिषेक किया गया.

महाकाल का हुआ विशेष जलाभिषेक
इस दौरान भगवान महाकाल को जल अर्पित कर सभी मजदूरों की सुरक्षित वापसी के लिए प्रार्थना की गई. बता दें कि, सरकार और बचाव दल हर संभव प्रयास कर रहे हैं कि मजदूर सुरक्षित बाहर आ जाएं. ऐसे में उनसे संपर्क भी किया जा रहा है और उनका हौसला बनाए रखने के लिए उन्हें भरोसा भी दिया जा रहा है.

 

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