September 24, 2024

25 नवंबर को मनाई जाएगी बैकुंठ चतुर्दशी, जानिए तिथि, समय और महत्व

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बैकुंठ चतुर्दशी सनातन धर्म में महत्त्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। यह त्योहार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है, जो कार्तिक पूर्णिमा से एक दिन पहले होती है। यह दिन पूरी तरह से भगवान विष्णु और भगवान शिव (भोलेनाथ) को समर्पित है और भक्तों द्वारा उनकी पूजा का अवसर होता है। इस दिन की पूजा, व्रत, और ध्यान करने से शास्त्रों में उन्हें अधिक शक्ति और कृपा प्राप्त होने की आशा की जाती है। इस दिन भगवान विष्णु के धाम अर्थात् वैकुंठ्ठ के द्वार खुलते हैं। इसे ‘मोक्ष-प्राप्ति का द्वार’ माना जाता है। उनकी साधना और भक्ति में वृद्धि के लिए एक शुभ अवसर प्रदान करता है। इस बार यह पर्व 25 नवंबर को मनाई जाएगी। जानिए तिथि, समय और महत्व…

 

तिथि और समय

25 नवंबर को शाम 5:22 मिनट पर शुरू होकर 26 नवंबर 2023 दोपहर 3:53 को होगा। इस पवित्र दिन पर लोग ध्यान, पूजा, दान और सेवा करके अपने आत्मिक उन्नति की ओर बढ़ते हैं। भगवान से अनुग्रह और कृपा की प्राप्ति का आशीर्वाद मांगते हैं। वैकुंठ चतुर्दशी के दिन भक्त भगवान विष्णु और भगवान शिव की साथ पूजा करते हैं, जिससे उन्हें दोनों देवताओं की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस दौरान भगवान विष्णु और भगवान शिव को तुलसी पत्तियां अर्पित की जाती हैं। इसके अलावा, भगवान शिव को बेलपत्र भी चढ़ाया जाता है।

महत्व

पुरौणिक कथा के अनुसार, बैकुंठ चतुर्दशी के दिन भगवान शिव ने भगवान विष्णु को सुदर्शन चक्र दिया था। मान्यताओं के अनुसार, इस दिन कमल के फूलों से विष्णु जी की पूजा करने वाले भक्तों को स्वर्ग में स्थान मिलता है। यह एक उत्तम अवसर होता है, जब भक्त अपनी श्रद्धा, भक्ति से भगवान की पूजा करते हैं और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

शिव स्तुति

ॐ नमः शिवाय।
ॐ नमः शिवाय मांगलेश्वराय महादेवाय।
महादेवाय त्र्यम्बकाय त्रिपुरान्तकाय त्रिकाग्निकालाय।
कालाग्निरुद्राय नीलकण्ठाय मृत्युञ्जयाय सर्वेश्वराय॥

ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि।
तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥

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