November 26, 2024

निज्जर कांड को लेकर भारतीय दूत ने कनाडा को खूब सुनाया, जांच पूरी नहीं हुई, भारत को दोषी ठहरा दिया

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ओटावा
भारतीय उच्चायुक्त संजय कुमार वर्मा ने शनिवार को कनाडा को आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि कनाडा की धरती पर खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या की जांच पूरी तरह से समाप्त नहीं हुई है। लेकिन इसके बावजूद कनाडा ने नई दिल्ली को "दोषी" ठहराया। उन्होंने कनाडा से आग्रह किया कि वह निज्जर की हत्या के संबंध में लगाए गए आरोपों के सबूत पेश करे। भारतीय दूत ने कहा कि जस्टिन ट्रूडो ने जो आरोप लगाए हैं अगर उनके समर्थन में वे कोई "बहुत खास और प्रासंगिक" बात बताते हैं तो भारत उस पर गौर करेगा।

इंटरव्यू में, उच्चायुक्त से आतंकवादी हरदीप निज्जर की हत्या में "संभावित भारत सरकार की संलिप्तता" के कनाडाई प्रधानमंत्री ट्रूडो द्वारा लगाए गए आरोपों के बारे में पूछा गया था। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए, वर्मा ने कहा, "इस पर दो बातें कहना चाहूंगा। एक तो यह कि जांच पूरी हुए बिना ही भारत को दोषी ठहराया गया। क्या यह कानून का शासन है?"

यह पूछे जाने पर कि "भारत को कैसे दोषी ठहराया गया", इस पर उच्चायुक्त ने कहा, "उन्होंने (कनाडा ने) कहा कि भारत सहयोग करे। अगर आप विशिष्ट आपराधिक शब्दावली को देखें, तो जब कोई सहयोग करने के लिए कहता है, तो इसका मतलब है कि आपको पहले ही दोषी ठहराया जा चुका है और बेहतर होगा कि आप सहयोग करें।" भारतीय दूत ने कहा, "इसलिए, हमने इसे बहुत अलग तरीके से लिया। लेकिन, हमने हमेशा कहा है कि अगर कोई बहुत विशिष्ट और प्रासंगिक जानकारी है, और वह हमें बताई जाए, तो हम इसकी जांच करेंगे।" बता दें कि विदेश मंत्रालय के अनुसार, कनाडा हत्या पर अपने दावों को साबित करने के लिए कोई सबूत पेश नहीं कर पाया है।

सितंबर महीने में भारत और कनाडा के रिश्तों में उस समय तनाव पैदा हो गया था जब कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने ब्रिटिश कोलंबिया में 18 जून को खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंटों की संभावित संलिप्तता का आरोप लगाया था। भारत ने 2020 में निज्जर को आतंकवादी घोषित किया था। भारत ने ट्रूडो के आरोपों को ‘बेतुका’ बताकर खारिज कर दिया था। कुछ दिन बाद भारत ने घोषणा की कि वह कनाडाई नागरिकों को वीजा जारी करने की प्रक्रिया को अस्थायी रूप से निलंबित कर रहा है। उसने कनाडा से भारत में अपने राजनयिकों की संख्या कम करने को भी कहा था।

 

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