November 25, 2024

जो संस्कृति हमारे पास है उसे हम खो रहे हैं और पश्चिम के लोग उसे खोज रहे हैं : आचार्य चंद्रशेखर शास्त्री

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  रायपुर

रविवार को महर्षि दयानंद निर्वाण दिवस मनाया गया, दिल्ली से आए आचार्य चंद्रशेखर शास्त्री ने कहा कि भारतीय संस्कृति महान संस्कृति है। जो संस्कृति हमारे पास है उसे हम खो रहे हैं और पश्चिम के लोग उसे खोज रहे हैं। हमारी परंपरा में ज्ञान विज्ञान के अनेक सूत्र बिखरे पड़े हैं। महर्षि दयानंद सरस्वती ने उसी को दुनिया के सामने रखा। महर्षि दयानंद ने हम सबको सच्चा मार्ग दिखाया। महर्षि दयानंद सरस्वती पाखंड अंधविश्वास और जातिवाद के विरोधी थे।

वहीं आचार्य डॉ अजय आर्य ने कहा कि महर्षि दयानंद सरस्वती सनातन धर्म की संरक्षक थे। वेद सत्य विद्याओं का पुस्तक है। साधु संतों के संग बैठने से जीवन का प्रकाश मिलता है। वेद ने मिलकर चलने मिलकर बैठने का संदेश दिया है वेद मानवता का पाठ पढ़ाते हैं। कार्यक्रम का संचालन राकेश दुबे भारत स्वाभिमान ने किया। नरेश झारिया एवं राजेंद्र अग्रवाल ने सभी अतिथियों का स्वागत किया। आचार्य चंद्रशेखर शास्त्री ने कहा कि लक्ष्मी का अर्थ है जो लक्ष्य की प्राप्ति करने में सहायक हो उसे लक्ष्मी कहा जाता है। जीवन को शिकायत से नहीं शुक्रिया से भरिए। जिसके जीवन में शिकायत अधिक भरी है वह जीवन का आनंद नहीं ले सकते। एक बार मैंने छिपकली से पूछा तो दीवाल पर क्यों चिपकी हुई है। छिपकली ने मुझे जवाब दिया की आचार्य जी अगर मैं दीवार को नहीं पकडूँगी तो दीवार गिर जाएगी। हमें इस बात पर हंसी आती है लेकिन सच्चाई है हमने स्वयं को करता मान लिया है हम मानने लगे हैं कि यह दुनिया हम चला रहे हैं। सच्चाई यह है कि दुनिया ईश्वर के इशारे पर नाच रही है। हम सब कठपुतली हैं। अच्छा करोगे तो अच्छा मिलेगा। संसार को अच्छा बनाइए परिवार को अच्छा बनाइए बच्चों को अच्छा  बनाइए यही जीवन यही सफलता का सारांश है। मैं जब कनाडा में था मैंने 108 कुंडीय महायज्ञ कराया। विदेश के लोग हमारी संस्कृति के लिए तरस रहे हैं। हमें जो संस्कृति सहज रूप से प्राप्त है उसे हम जीना नहीं चाहते। में दावे के साथ कहता हूं कि जो हमारे पास है उसे हम खो रहे हैं और पश्चिम के लोग उसे खोज रहे हैं।

अपनी संस्कृति को अपने बच्चों तक पहुंचाने की जिम्मेदारी हमारी है। एक बार सभा की समाप्ति के पश्चात मैंने कहां प्रेम से बोलो भगवान राम की जय एक माताजी थी वह नहीं बोली। मैंने सोचा शायद यह राम को नहीं मानती होगी खाटू श्याम को मानती होगी कृष्ण को मानती होगी मैं दोबारा भी कहा प्रेम से बोलो योगीराज कृष्ण की जय। मैंने देखा कि उसने प्रेम से कुछ बोला ही नहीं। उसके बाद वह मुझे प्रणाम करने आई कुछ दान दक्षिणा दी। मैंने उससे पूछ लिया की माताजी जब मैंने कहा कि प्रेम से बोलो तो आपने कोई जगह घोष नहीं लगाया कारण क्या है। उसे माता ने कहा कि मैं प्रेम से नहीं बोलती। प्रेम से मेरा झगड़ा हो गया है। बाद में पता चला की प्रेम उसके पति का नाम है। कुछ लोग प्रेम से नहीं बोलते जीवन की यही सबसे बड़ी समस्या है। वैदिक शास्त्र कहते हैं प्रेम से बोलो मीठा बोलो जीवन की सारी समस्या खत्म हो जाएगी। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के डॉ पूर्णेन्दु सक्सैना ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की। उन्होंने कहा कि संघ के प्रमुख मोहन भागवत जी ने महर्षि दयानंद को हिंदू समाज का उद्धारक कहा है।

कार्यक्रम के अंत में अध्यात्म पद पत्रिका एवं संस्कार भजन माला पुस्तक का विमोचन किया गया। कार्यक्रम में नियमित यज्ञ करने वालों को भी सम्मानित किया गया। राजेंद्र अग्रवाल, संजू शर्मा, राम शर्मा, संजय शर्मा, नवीन शर्मा, राजेंद्र अग्निहोत्री, शिवम गुप्ता, प्रताप पोपटानी, हलधर भोजराज साहू आदि को यज्ञ करने के लिए सम्मानित किया गया।

कार्यक्रम में स्वाति पेंढ़ारकर ने सुमधुर भजन प्रस्तुत करके समां बांधा। छत्तीसगढ़ प्रांतीय और प्रतिनिधि सभा के प्रतिनिधि रामनिवास गुप्ता, अवनी भूषण, पुरंग एवं जगबंधु शास्त्री तथा जयपाल हबलानी, जयप्रकाश मसंद, मनमोहन सिंह सैलानी, प्रेम प्रकाश गोटिया, प्रताप भाई पोपटानी, छविराम साहू भारत स्वाभिमान, भोजराज साहू भारत स्वाभिमान, गंगा प्रसाद कसडोल पतंजलि योग समिति, राजेंद्र अग्निहोत्री, संजीव पोद्दार, विनोद जायसवाल, नवीन यदु, नरेश झारिया  सहित सैकड़ो गणमान्य नागरिकों ने भाग लिया।

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