September 24, 2024

मध्यप्रदेश प्राकृतिक कृषि विकास योजना शुरू

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भोपाल

किसान-कल्याण तथा कृषि विकास मंत्री कमल पटेल ने बताया है कि पेस्टीसाइड मुक्त फसल उत्पादन, मृदा स्वास्थ्य तथा पर्यावरण-संरक्षण के लिये प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दिया जाना निहायत ही जरूरी है। प्रदेश में इन्हीं उद्देश्यों को ध्यान में रखते हुए "मध्यप्रदेश प्राकृतिक कृषि विकास योजना'' को शुरू किया जा रहा है। प्रथम चरण में सभी जिलों में 100-100 ग्रामों का चयन किया जायेगा। प्रत्येक ग्राम में 5 कृषक चयनित कर उन्हें गौ-पालन के लिये अनुदान भी दिया जायेगा।

मंत्री पटेल ने बताया है कि प्राकृतिक कृषि को प्रोत्साहित करने के लिये प्रारंभिक तौर पर 5,200 ग्रामों में प्राकृतिक कृषि प्रारंभ होगी। प्रत्येक ग्राम से 5 प्राकृतिक कृषि करने वाले कृषकों का चयन करेंगे। चयनित कुल 26 हजार किसानों को गौ-पालन के लिये अनुदान दिया जायेगा। योजना में वे ही किसान सम्मिलित होंगे, जिनके पास देशी गाय होगी। सभी वर्गों के कृषकों को न्यूनतम एक एकड़ भूमि पर प्राकृतिक कृषि करने की अनिवार्य शर्त पर मात्र एक गाय के लिये 900 रूपये प्रतिमाह की अनुदान राशि दी जायेगी। मंत्री पटेल ने कहा है कि प्राकृतिक कृषि से लोगों को रसायन मुक्त शुद्ध और पौष्टिक खाद्य पदार्थ प्राप्त होंगे।

अपर मुख्य सचिव किसान-कल्याण तथा कृषि विकास अजीत केसरी ने बताया है कि योजना के सफलतापूर्वक क्रियान्वयन के लिये 'आत्मा' योजना के शत-प्रतिशत क्षेत्रीय मैदानी अमले को प्रशिक्षित किया जायेगा। प्राकृतिक कृषि के लिए पोर्टल/मोबाइल एप भी तैयार कर विभागीय अमले के मार्गदर्शन में प्राकृतिक कृषि करने के इच्छुक किसानों का पंजीयन किया जायेगा। पंजीकृत किसानों में से प्रत्येक विकासखण्ड में 5 प्रगतिशील/अग्रणी कृषकों को मास्टर ट्रेनर के रूप में चयनित कर प्रशिक्षित किया जायेगा। प्रशिक्षण के बाद मास्टर ट्रेनर "प्राकृतिक प्रेरक'' कहलायेंगे। इन्हीं प्राकृतिक प्रेरक द्वारा पोर्टल/मोबाइल एप पर पंजीकृत प्राकृतिक कृषि करने के इच्छुक सभी कृषकों को प्रशिक्षण दिया जायेगा।

एसीएस कृषि केसरी ने बताया कि जिला स्तर पर 'आत्मा' के परियोजना संचालक द्वारा योजना का क्रियान्वयन किया जायेगा। विकासखण्डवार चयनित हितग्राहियों की सूची का अनुमोदन आत्मा की गवर्निंग बॉडी द्वारा किया जायेगा। योजना की मॉनिटरिंग का कार्य "मध्यप्रदेश प्राकृतिक कृषि विकास बोर्ड'' में गठित राज्य एवं जिला स्तर की समितियाँ करेंगी।

 

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