प्रदेश मावठे की बारिश से किसानों में कहीं खुशी कहीं गम
भोपाल
मध्यप्रदेश में इन दिनों मावठे (वेस्टर्न डिस्टर्बेंस) की बारिश का दौर जारी है। साल के अंतिम महीनों में गिरने वाली इस बारिश के बाद मौसम में ठंडक और भी बढ़ गई है, सर्द हवाएं चलने लगी हैं। इसी बीच मावठा गिरने से कहीं खुशी तो कहीं गम के नजारे भी देखने को मिल रहे हैं। एक तरफ तो इन दिनों प्याज की उपज तैयार होकर खेतों से निकाले जाने के इंतजार में है, जिसे इस मावठे की बारिश से सड़न लगने या उपज की क्वालिटी खराब होने की पूरी आशंका है। तो वहीं दूसरी तरफ रबी सीजन की फसलें गेहूं और चना अभी खेतों में हैं, जिसे इस मावठा गिरने से अमृत मिल गया है। क्योंकि इससे गेहूं के दानों की क्वालिटी और चमक दोनों बढ़ जाएगी। इस तरह प्याज के किसान अब कम दाम मिलने से दुखी हैं, तो वहीं गेहूं, चने के किसान अब खुश होते नजर आ रहे हैं।
प्रदेश में इन दिनों मौसम सुहावना हो गया है। इस सुहावने मौसम से आम लोग खुश हो सकते हैं, लेकिन किसानों के लिए कहीं खुशी और कहीं गम के नजारे हैं। एक तरफ जहां रबी सीजन के किसानों के खेतों में गेहूं की फसल लहलहाने के इंतजार में है, तो वहीं दूसरी तरफ सितंबर माह में बोई हुई प्याज की उपज भी अब तैयार हो गयी है। लेकिन अचानक मौसम ने करवट बदली और मावठे की बारिश का दौर शुरू हो गया। मावठे की बारिश गिरने से प्याज की फसल उगाने वाले किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें हैं। वह अपनी फसल को खेत से उखाड़ कर सूखी जगह पर ले जाने को मजबूर हैं। खंडवा के बावडिया काजी गांव में रहने वाले किसान दशरथ पटेल ने अपने चार एकड़ के खेत में प्याज की फसल बोई थी। प्याज की कली से लेकर फसल पकने तक दशरथ पटेल ने न सिर्फ डेढ़ से दो लाख रुपए खर्च किए, बल्कि खेतों में अपनी मेहनत का पसीना भी खूब बहाया। लेकिन अब बारिश होने से उनकी फसल खराब होने की कगार पर आ गई है। क्योंकि प्याज की फसल पूरी तरह से तैयार होकर अभी खेत में ही थी कि मावठे की बारिश का पानी उस पर गिर गया।