November 25, 2024

सरकार की सॉवरेन गोल्‍ड बॉन्‍ड स्‍कीम ने निवेशकों को किया मालामाल

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नईदिल्ली

अगर आप अपनी मेहनत की कमाई को कहीं निवेश करने की सोच रहे हैं तो ये खबर आपके काम की है। आज हम आपको एक ऐसी सरकारी योजना के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसमें निवेश करने वालों का पैसा दोगुना हो गया है। आपके पास भी आने वाले समय में इस योजना में निवेश का मौका रहेगा। हम बात कर रहे हैं सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (Sovereign Gold Bond) की। अगर आप एफडी में निवेश करते तो आपका पैसा 7 फीसदी के हिसाब से करीब 10 साल में दोगुना होगा। बता दें कि सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड की पहली सीरीज 30 नवंबर, 2023 को मैच्योर हो रही है। अगर आपने अभी तक सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम में निवेश नहीं किया है तो आपके पास इसी अगली सीरीज में निवेश का मौका रहेगा। अब जल्द ही इसकी अगली सीरीज जारी होने वाली है।

निवेशक हुए मालामाल

सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड की पहली सीरीज 30 नवंबर, 2023 को मैच्योर हो रही है। ये बॉन्ड 2,684 रुपये प्रति ग्राम के इश्यू प्राइस पर 26 नवंबर, 2015 को जारी किए गए थे। अभी गोल्ड की कीमत 6,100 रुपये प्रति ग्राम के करीब है। ऐसे में देखें तो सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड की पहली सीरीज में जिन निवेशकों ने एक लाख रुपये लगाए होंगे, उनका एक लाख रुपया बढ़कर अब 2.30 लाख रुपये के करीब हो गए होंगे। हालांकि सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड की पहली किस्त का रिडंप्शन प्राइस अभी घोषित नहीं हुआ है। इसका रिडंप्शन प्राइस आईबीजेए द्वारा जारी इस महीने के अंतिम तीन दिनों के सोने के औसत रेट से तय होगा।

मैच्योरिटी से पहले नहीं निकाल सकते पैसा

सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड की मैच्योरिटी अवधि 8 साल की होती है। हालांकि निवेशकों को मैच्योरिटी से पहले अपना पैसा निकालने की इजाजत है। निवेशकों को यह इजाजत 5 साल के बाद ही मिलती है। इसका मतलब है कि निवेशकों को कम से कम 5 साल तक इन बॉन्ड्स में अपना निवेश बनाए रखना पड़ता है। बता दें कि सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड आरबीआई सरकार की ओर से जारी करता है, इसलिए इसकी सरकारी गारंटी होती है। सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड में निवेश पर सालाना 2.5 फीसदी ब्याज मिलता है। यह पैसा हर 6 महीने पर निवेशकों के बैंक अकाउंट में डाल दिया जाता है।

निवेशकों की इतनी हुई कमाई 
Sovereign Gold Bond (SGB) की पहली किस्‍त ने 12.9% सालाना रिटर्न दिया है, जिसमें 2.75%  सालाना का निश्चित ब्याज (वर्तमान में 2.5 प्रतिशत तक कम) भुगतान भी शामिल है. 2015 में इस स्‍कीम के तहत 2,684 रुपये प्रति ग्राम की कीमत पर सोने में निवेश का मौका दिया गया था. वहीं मैच्‍योरिटी पर एक ग्राम की कीमत 6,132 रुपये हो गई है. RBI डाटा के मुताबिक, पहली किस्‍त से 245 करोड़ रुपये का निवेश हुआ था.   

म्‍यूचुअल फंड और Nifty50 से भी ज्‍यादा रिटर्न 
इसी अवधि के दौरान Nifty50  का रिटर्न 12 फीसदी रहा है, जबकि लार्ज कैप म्‍यूचुअल फंड ने एवरेज 13 फीसदी का रिटर्न पेश किया है. ऐसे में अगर आपने सॉवरेन गोल्‍ड बॉन्‍ड स्‍कीम में निवेश किया होता तो आज आपको इन दोनों निवेश योजनाओं से ज्‍यादा रकम मिलती. गोल्डनपी के सीईओ अभिजीत रॉय ने बिजनेस टुडे से कहा कि वास्‍तविक सोने की बजाया अगर गोल्‍ड बॉन्‍ड में पैसा लगाते हैं तो यह आपको एक अच्‍छा रिटर्न के साथ ही कई चुनौतियों से भी बचाता है. साथ ही आपको सोने जितना ही पैसा मिलता है और इसे आप डीमैट अकाउंट के माध्‍यम से भी खरीद सकते हैं. 

SGB में टैक्‍स बेनिफिट का भी लाभ 
इस स्‍कीम में 2.75%  रिटर्न को छोड़कर टैक्‍स बेनिफिट को भी लाभ मिलता है. वहीं अगर इस स्‍कीम में किसी ने ऑनलाइन निवेश किया है तो उसे प्रति ग्राम पर 50 रुपये की छूट दी जाती है. वहीं इसे आप सेकेंड्री मार्केट पर एसजीबी खरीदते हैं तो आप 100 फीसदी कैपिटल बेनिफिट के लिए पात्र होंगे. इसके तहत पांच साल तक इंतजार करने की आवश्‍यकता नहीं है, आप इसे कभी भी बेच सकते हैं. आप टैक्‍स स्‍लैब के आधार पर तीन साल के भीतर बेचते हैं तो एसटीसीजी लागू होगा. तीन साल के बाद लेकिन आठ साल के अंदर बेचते हैं तो आप 20% लॉन्‍ग कैपिटल बेनिफिट के तहत होंगे. 

SGB के तहत गोल्‍ड प्राइस कैसे होगा तय? 
मैच्‍योर होने से पहले 24 कैरेट सोने की कीमत के बराबर SGB के तहत गोल्‍ड प्राइस तय होता है, लेकिन यह कीमत एक सप्‍ताह पहले के आधार पर होती है. वहीं जब एसजीबी की कोई किस्‍त आती है तो एक सप्‍ताह पहले के सर्राफा बाजार में सोने की कीमत के आधार पर इस योजना के तहत गोल्‍ड प्राइस तय किया जाता है. 

 

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