TDP से बने विधायक, अब KCR को हराकर बनेंगे तेलंगाना में मुख्यमंत्री! जानिए कौन हैं रेवंत रेड्डी
नई दिल्ली
तेलंगाना विधानसभा चुनाव (Telangana assembly elections) में कांग्रेस (Congress ) आसानी से बहुमत के आंकड़े तक पहुंचती दिख रही है. खबर लिखे जाने तक आए रुझानों में कांग्रेस गठबंधन यहां 68 सीटों पर बढ़त बनाए हुए हैं, जबकि सीएम के चंद्रशेखर राव (CM K Chandrashekhar Rao) की पार्टी भारत राष्ट्र समिति (BRS) (Bharat Rashtra Samithi (BRS)) महज 40 सीटों पर आगे है. इस रुझानों के साथ ही तेलंगाना कांग्रेस में हलचल भी तेज हो गई है.
वहीं बीजेपी को 7 जबकि एआईएमआईएम को 4 सीटों पर बढ़त हासिल है। तेलंगाना में शुरुआती रुझान में कांग्रेस फिलहाल प्रचंड बहुमत से सरकार बना रही है. ऐसे में शिर्ष नेतृत्व ये सोचने में लगा है कि सरकार बनाने के बाद तेलंगाना में मुख्यमंत्री किसे बनाया जाएगा. इस लिस्ट में सबसे बड़ा चेहरा तेलंगाना पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष ए. रेवंत रेड्डी का है. ऐसे में हमें ये जानना चाहिए कि आखिर कौन हैं रेवंत रेड्डी? उनका सियासी रसूख कितना है, उनके सीएम बनने के क्या कारण हो सकते है?
कांग्रेस की तरफ से तेलंगाना में मुख्यमंत्री पद के सबसे प्रबल दावेदार के रूप में जिसके नाम की चर्चा हो रही है, वह रेवंत रेड्डी है. वर्तमान में रेवंत रेड्डी तेलंगाना प्रदेश कांग्रेस के इकाई अध्यक्ष है. उनका जन्म 8 नवंबर 1967 को अविभाजित आंध्र प्रदेश के नगरकुर्नूल के कोंडारेड्डी पल्ली नामक स्थान पर हुआ था. रेवंत के पिता का नाम अनुमुला नरसिम्हा रेड्डी और माता का नाम अनुमुला रामचंद्रम्मा है. रेवंत हैदरबाद के ए.वी. कॉलेज से फाइन आर्ट्स में ग्रेजुएशन की पढ़ाई की है. पढ़ाई खत्म करने के बाद रेवंत ने एक प्रिंटिंग प्रेस की शुरुआत की.
7 मई 1992 को रेवंत ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय सूचना एव प्रसारण मंत्री जयपाल रेड्डी की भतीजी अनुमुला गीता से विवाह कर ली. हालांकि शुरुआत में चुनावी रंजिश के वजह से परिवार के लोग इस रिश्ते के खिलाफ हो गये. लेकिन जैसे -जैसे समय बितता गया परिवार के लोग मान गये.
शादी के बाद कांग्रेस सांसद रेवंत सियासी सफर का आगाज होता है. जिसकी कहानी बेहद दिलचस्प है. छात्र जीवन के दौरान रेवंत आरएसएस के छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े हुए थे. साल 2006 में रेड्डी निर्दलीय स्थानीय निकाय का चुनाव लड़ा और मिडजिल मंडल से जिला परिषद क्षेत्रिय समिति के सदस्य चुने गये.
इसके बाद साल 2007 में पहली वह निर्दलीय ही विधान परिषद के सदस्य बन गए. इसके बाद वह तेलगु देशम पार्टी में शामिल हो गये. साल 2009 में रेवंत ने टीडीपी के टिकट पर अपना पहला विधान सभा चुनाव लड़ा और लगभग 7 हजार वोटों से जीत हासिल कर कोडंगल सीट से कांग्रेस के 5 बार के विधायक गुरुनाथ रेड्डी को हराकर पहली बार विधायक बने थे.
तेलंगाना गठन से पहले 2014 में हुए विधान सभा चुनाव में रेवंत एक बार फिर कोडंगल सीट से टीडीपी के उम्मीदवार बने और एक बार फिर गुरुनाथ रेड्डी को हराया, जो इस बार टीआरएस के उम्मीदवार थे. इस चुनाव में इनके जीत का अंतर भी दोगुना हो गया. इस परफॉर्मेंस के बाद टीडीपी ने रेवंत को नेता सदन बना दिया. 25 अगस्त 2017 को टीडीपी ने रेवंत को इस पद से बर्खास्त कर दिया , जब पता चला कि वह कांग्रेस में शामिल होने वाले है. अंतत: 31 अक्टूबर 2017 को रेवंत कांग्रेस में शामिल हो गए.
20 सितंबर 2018 को कांग्रेस ने उन्हें तेलंगाना प्रदेश का कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में उनकी नियुक्ति की. वहीं 2018 के तेलंगाना विधान सभा में रेवंत तीसरी बार कोडंगल सीट से चुनाव मैदान में उतरे, लेकिन इस बार बीआरएस के पटनाम नरेंदर रेड्डी के हाथों रेवंत को हार का सामना करना पड़ा.
विधान सभा चुनाव हारने के बाद साल 2019 में रेवंत रेड्डी ने तेलंगाना के मल्काजगिरि सीट से कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में अपनी किस्मत आजमाई और टीआरएस के एम राजशेखर रेड्डी को करीबी मुकाबले में 10 हजार से ज्यादा वोटों से हराकर जीत हासिल की थी. जून 2021 में कांग्रेस ने उन्हें बड़ी जिम्मेदारी देते हुए. उन्हे अपनी तेलंगाना प्रदेश इकाई का अध्यक्ष बना दिया. इस चुनाव में रेवंत तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव के खिलाफ सिद्दिपेट जिसले के गजवेल विधानसभा से कांग्रेस उम्मीदवार है. अभी के रुझान में वह आगे चल रहे है.