November 24, 2024

वेस्‍ट यूपी में जाटों और किसानों साधने का बीजेपी प्‍लान, भूपेंद्र के सामने ‘चौधराहट’ दिखाने की चुनौती

0

लखनऊ

भाजपा के नए प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी के सामने ज्यादा से ज्यादा जाटों को भाजपा से जोड़ने के साथ ही किसानों की नाराजगी के सियासी असर को साधने की भी बड़ी चुनौती होगी। साथ ही भारतीय किसान यूनियन के विरोध के सामने स्थानीय लोगों को साधते हुए ब़ड़ी लकीर भी बनानी होगी। कुल मिलाकर प्रदेश भाजपा के नए चौधरी बने भूपेंद्र सिंह को पश्चिमी यूपी में चौधरी चरण सिंह के कुनबे की चौधराहट से पार पाने के लिए बड़ी परीक्षा से गुजरना होगा।

पश्चिम में 2019 और 2022 के झटकों से पार्टी को उबारना होगा
भाजपा संगठन का पश्चिमी यूपी जहां पर जाटों का वर्चस्व है, उसमें 19 जिले शामिल हैं इन जिलों में सपा-रालोद 2024 के लिए बड़ा तानाबाना बुनकर आगे बढ़ रहे हैं। बसपा इस क्षेत्र में अपने पुराने दलित-मुस्लिम समीकरणों को साधने की कोशिश कर रही है। पश्चिम में मजबूत विपक्ष के इन दो धड़ों के बीच अपनी बादशाहत कायम करने में पिछले दो चुनावों से भाजपा पिछड़ती दिखी है। यह ऐसा क्षेत्र है, जहां पर पूर्वांचल की तरह भाजपा के पास अद (एस), निषाद पार्टी और ओमप्रकाश राजभर जैसे कोई सहयोगी भी नहीं हैं। ऐसे में भाजपा का यह जाट कार्ड का दांव कुल मिलाकर जाटों के बीच पार्टी की छवि सुधारने का है। यह भार प्रमुखता से भूपेंद्र चौधरी को उठाना है। वर्ष 2022 विधानसभा चुनाव में इस क्षेत्र की 71 विधानसभा सीटों में से भाजपा को कुल 40 सीटें ही मिल सकी थीं। यह संख्या 2017 के मुकाबले 9 कम है।

भाजपा को प्रदेश में मिली प्रचंड जीत में इस क्षेत्र में सफलता का यह ग्राफ निराश करने वाला रहा है। पिछले दो लोकसभा चुनाव के नतीजों को देखें तो यह भाजपा नेतृत्व को हैरान परेशान करने वाले रहे हैं। वर्ष 2014 में भूपेंद्र सिंह चौधरी जब पश्चिम के क्षेत्रीय अध्यक्ष थे, उस समय इस क्षेत्र की सभी 14 लोकसभा सीटों पर भाजपा ने जीत हासिल की थी। वहीं 2019 में भाजपा इनमें से सात सीटें हारकर आधे पर रह गई। रामपुर उपचुनाव में जीत मिलने के बाद एक सीट का फिर से इजाफा हुआ है। वर्ष 2024 में यूपी से सबसे अधिक सांसद ले जाने में भाजपा के सामने यह क्षेत्र चुनौती बनी हुई है।
   
दावा 2014 की कहानी 2024 में दोहराने की
भाजपा पश्चिम क्षेत्र के अध्यक्ष मोहित बेनीवाल कहते हैं कि शीर्ष नेतृत्व ने बड़े ही अनुभवी व्यक्ति के कंधों पर प्रदेश भाजपा का बोझ दिया है। इनके आने से कार्यकर्ताओं में उत्साह है। किसानों के बीच भूपेंद्र चौधरी की अच्छी पकड़ है। सरल व्यक्तित्व है। सबसे मिलना जुलना और सबको सुनने के कारण हर वर्ग में लोकप्रिय हैं। वर्ष 2024 में 2014 जैसे परिणाम लाने की राह अब अधिक आसान हो जाएगी।

गृह जिले मुराबाद में भी उखड़ चुके हैं भाजपा के पांव
चौधरी भूपेंद्र सिंह को अपने गृह जनपद में भी पार्टी को मबजूत करने की बड़ी चुनौती होगी। मौजूदा समय में स्थिति यह है कि उनके मुरादाबाद जिले की लोकसभा सीट सपा के पास है। जिले की छह विधानसभा सीटों में से सिर्फ शहर की एक सीट पर ही भाजपा का कब्जा है। कुल मिलाकर जिले में भी भाजपा की सेहत खराब है।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *