November 16, 2024

अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव: स्कूलों में गूंजेंगे गीता के श्लोक, संस्कृत की ओर बढ़ाया जाएगा छात्रों का ध्यान

0

नई दिल्ली.

राजधानी में स्कूलों के परिसर गीता के श्लोक के मंत्रोच्चारण से गुंजायमान होंगे। इससे छात्रों का संस्कृत की ओर रुझान बढ़ाने में मदद मिलेगी। यही नहीं संस्कृति और संस्कृत भाषा को दिनचर्या की बोल-चाल में प्रयोग लाने के बारे में बताया जाएगा। अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव के अवसर पर यह कार्यक्रम 23 दिसंबर को आयोजित किया जाएगा। इसमें दो समूहों में छात्रों को वर्गीकृत किया गया है। जिसमें छठी से आठवीं व नौंवी से बारहवीं कक्षा के छात्र शामिल होंगे।

इसे लेकर स्कूलों में तैयारियां शुरू हो गई हैं। छात्रों के समूहों को श्लोक के महत्व व उनके अर्थ को विस्तार से बताया जा रहा है। इसमें विशेष रूप से छात्र तीन श्लोकों का उच्चारण करेंगे। इसमें पहला श्लोक, ‘’धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे समवेता युयुत्सव’ मामकाः पाण्डवाश्चैव किमकुर्वत सञ्जय’’ होगा। इसका भावार्थ है कि, हे संजय धर्म भूमि कुरुक्षेत्र में युद्ध की इच्छा से इकट्ठे हुए मेरे और पांडु के पुत्रों ने भी क्या किया। दूसरा श्लोक ‘’अनन्याश्चिन्तयन्तो मां ये जनाः पर्युपासते। तेषां नित्याभियुक्तानां योगक्षेमं वहाम्यहम्’ होगा। इसका भावार्थ है कि जो लोग किसी और का ध्यान न करके मेरी पूजा करते हैं। जो लोग सदैव मेरी सेवा में लगे रहते हैं, उनके लिए मैं रहस्यवादी शक्ति की सुरक्षा रखता हूं। वहीं, तीसरा श्लोक ‘’यत्र योगेश्वरः कृष्णो यत्र पार्थो धनुर्धरः। तत्र श्रीर्विजयो भूतिर्ध्रुवा नीतिर्मतिर्मम’ है। इसका भावार्थ है कि जहां योगेश्वर कृष्ण हैं और जहां परम धनुर्धर अर्जुन है, वहीं ऐश्वर्य, विजय, अलौकिक शक्ति व नीति भी निश्चित रूप से रहती है। ऐसा मेरा मत है।

संस्कृत श्लोक पाठ प्रतियोगिता भी होगी  
शिक्षा निदेशालय ने इस संबंध में सभी स्कूल प्रमुखों को सूचित किया है। इसमें बताया गया है कि सरकारी, सरकारी सहायता प्राप्त व गैर सरकारी स्कूलों में इस उत्सव का आयोजन किया जाएगा। वहीं, संस्कृत श्लोक पाठ प्रतियोगिता भी आयोजित की जाएगी। स्कूल प्रमुख प्रत्येक समूह में भाग लेने वाले छात्रों को प्रमाण पत्र दिया जाएगा। तीन सर्वश्रेष्ठ छात्रों को पुरस्कृत भी करेंगे। निदेशालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि श्लोक छात्रों के लिए मार्गदर्शक के रूप में भी कार्य करते हैं। इसी वजह से अगर बचपन से ही बच्चों को श्लोक का अध्ययन कराया जाए, तो उनके बचपन व विद्यार्थी जीवन पर सकारात्मक असर पड़ सकता है।

तैयारियां शुरू
स्कूलों में इसे लेकर तैयारियां शुरू हो गई हैं। सरोजिनी नगर के एक स्कूल के प्रधानाचार्य ने बताया जिन छात्रों की संस्कृत भाषा में पकड़ व रुझान है, उन छात्रों का चयन किया गया है। इसे लेकर तैयारियां तेजी से चल रही है। उन्होंने कहा कि स्कूल परिसर में उस दिन अभिभावकों को भी आमंत्रित किया गया है। ताकि अभिभावक भी श्लोक का महत्व समझ सकें।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *