September 29, 2024

क्या आप जानते हैं देश के पहले उपमुख्यमंत्री कौन थे? कहां से शुरू हुई ये परंपरा

0

पटना
 मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में बीजेपी ने सरकार बना ली है। मुख्यमंत्रियों के अलावा इन तीनों राज्यों में दो-दो उपमुख्यमंत्री भी बनाए गए हैं। आखिर क्या होता है उपमुख्यमंत्री? डेप्युटी सीएम बनाने की ये परंपरा कहां से शुरू हुई? उपमुख्यमंत्री की जिम्मेदारी क्या होती है? क्यों डेप्युटी सीएम को इतना खास माना जाता है? इन सारे सवालों के जवाब आपको हमारी इस खबर में मिलेंगे। सबसे पहले तो आप ये जान लीजिए कि उपमुख्यमंत्री बनाने के पीछे सत्ता को दो चक्कों के सिद्धांत के हिसाब से गाड़ी चलाना यानि सरकार चलाना माना जाता है।

क्यों बनाए जाते हैं डेप्युटी सीएम
सबसे पहले तो आप ये जान लीजिए कि डेप्युटी सीएम या डेप्युटी पीएम कोई संवैधानिक पद नहीं है। इस पद पर मौजूद नेता के पास न तो सीएम या फिर न ही पीएम की शक्ति होती है। न ही इस पद पर तैनात नेता सीएम या पीएम की गैरहाजिरी में मंत्रिमंडल को लीड कर सकता है। यही नहीं, इन्हें इस पद के लिए अलग से कोई वेतन या भत्ता भी नहीं मिलता है। सियासी गलियारों में कहा जाता है कि डेप्युटी सीएम यानी उपमुख्यमंत्री का पद कोई संवैधानिक आवश्यकता नहीं होती। ये तो बस सियासत में तुष्टिकरण के लिए इस्तेमाल किया जाता है। कोई भी पार्टी कभी अपने जातीय समीकरण बनाए रखने तो कभी गठबंधन दलों की संतुष्टि के लिए उप मुख्यमंत्री बनाती है। इसी वजह से डेप्युटी सीएम या डेप्युटी पीएम भी बाकी मंत्रियों की तरह ही शपथ लेते हैं।

जब देवीलाल के उप प्रधानमंत्री की शपथ लेने पर हुआ विवाद
ये उस वक्त की बात है जब केंद्र ने जनता दल की सरकार थी। 1989 से 1991 तक केंद्र में यही सरकार रही। जनता दल सरकार में पहले मुख्यमंत्री दिवंगत विश्वनाथ प्रताप सिंह और फिर दिवंगत चंद्रशेखर प्रधानमंत्री बने। इन दोनों की ही कैबिनेट में दिवंगत चौधरी देवीलाल उप प्रधानमंत्री बने। पहली बार जब देवीलाल ने सरकार में जिम्मेदारी संभाली तो उन्होंने खुद को उप प्रधानमंत्री कह कर शपथ ली। इसके बाद उनकी शपथ पर विवाद शुरू हो गया। आखिर में तत्काली अटॉर्नी जनरल सोली सोराबजी को सुप्रीम कोर्ट में सफाई देनी पड़ी कि डेप्युटी पीएम कोई संवैधानिक पद नहीं है और देवीलाल का दर्जा किसी कैबिनेट मंत्री की तरह ही है।

बिहार से शुरू हुई डेप्युटी सीएम की परंपरा
आप ये जान कर हैरान रह जाएंगे कि देश के पहले डेप्युटी सीएम यानी उपमुख्यमंत्री बिहार में बने। ये थे कांग्रेस के दिग्गज नेता अनुग्रह नारायण सिन्हा। साल 1946 से 1957 तक ए एन सिन्हा बिहार के उपमुख्यमंत्री रहे। इसके बाद साल 1967 में कर्पूरी ठाकुर बिहार के उपमुख्यमंत्री बने। ये अलग बात है कि बतौर उपमुख्यमंत्री अनुग्रह नारायण सिन्हा 11 साल से ज्यादा इस पद पर काबिज रहे, जबकि कर्पूरी ठाकुर का कार्यकाल सिर्फ 329 दिन यानि एक साल से भी कम रहा। बिहार के बाद राजनीतिक दलों ने राजस्थान और पंजाब में किए गए। आइए आपको दिखाते हैं देश के उन उप मुख्यमंत्रियों की ये लिस्ट…

 

 

 

 

 

 

 

 

 

आंध्र प्रदेश में सबसे ज्यादा डेप्युटी सीएम
आंध्र प्रदेश में तो एक राज्य में सबसे ज्यादा उप मुख्यमंत्रियों का रिकॉर्ड ही टूट गया। यहां एक दो नहीं बल्कि पांच-पांच डेप्युटी सीएम बनाए गए। वाईएसआर कांग्रेस सुप्रीमो जगन मोहन रेड्डी ने ये प्रयोग किया। जगन मोहन ने अपनी सरकार में पांच उपमुख्यमंत्री बनाए। आंध्र प्रदेश सरकार में के नारायण स्वामी, अमजद बाशा, राजन्ना डोरा पीडिका, बुदी मुत्याला नायडू, कोट्टू सत्यनारायण उप मुख्यमंत्री हैं।

उप मुख्यमंत्रियों से राज्य को कितना फायदा
बिहार के मशहूर पॉलिटिकल एक्सपर्ट 'डॉ संजय कुमार के मुताबिक ये बस एक सम्मानजनक पद है। इससे राज्य को कोई खास फायदा नहीं होता। चुंकि इसमें उनको विभाग की ही जिम्मेवारी मिलती है, विभाग से इतर कोई जिम्मेवारी नहीं मिलती। चुंकि ये कोई संवैधानिक पद तो है नहीं। जैसे उपराष्ट्रपति का पद होता है, उसमें एक दायित्व होता है कि वो राज्यसभा के सभापति भी होते हैं। लेकिन उपमुख्यमंत्री के लिए अलग से किसी संवैधानिक जिम्मेदारी की कोई व्यवस्था नहीं है। यूं समझिए कि ये सिर्फ एक पद है, जिस पर कोई नेता आसीन तो रहता है लेकिन उसके अधिकार बाकी मंत्रियों जैसे ही रहते हैं।'

 

यूपी में भी हैं दो डिप्टी सीएम

उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार में भी दो उपमुख्यमंत्री हैं। वर्ष 2017 में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव जीतने के बाद भाजपा ने मुख्यमंत्री के तौर पर योगी आदित्यनाथ का नाम तय किया। वहीं उनकी कैबिनेट में उप मुख्यमंत्री के तौर पर दिनेश शर्मा और केशव प्रसाद मौर्य को जगह मिली। अभी तक यूपी में दो डिप्टी सीएम का फार्मूला कामयाब रहा है।

16 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेश में हैं उप मुख्यमंत्री

वर्तमान में देश के 15 राज्यों और 1 केंद्र शासित प्रदेश में ही डिप्टी सीएम हैं। इनमें से आंध्र प्रदेश में सबसे ज्यादा 5 डिप्टी सीएस हैं। ये डिप्टी सीएम की अब तक की सर्वाधिक संख्या है। कर्नाटक में फिलहाल तीन डिप्टी सीएम हैं। उत्तर प्रदेश के अलावा गोवा में भी वर्तमान में दो उप मुख्यमंत्री हैं। इसके अलावा अन्य राज्यों व केंद्र शासित प्रदेश में एक-एक डिप्टी सीएम ही हैं।

उप मुख्यमंत्री व उप प्रधानमंत्री की संवैधानिक जिम्मेदारी

उप मुख्यमंत्री अथवा उप प्रधानमंत्री का पद संवैधानिक नहीं है। इस पद पर नियुक्त होने वाले व्यक्ति को मुख्यमंत्री अथवा प्रधानमंत्री की संवैधानिक शक्तियां प्राप्त नहीं होती हैं। इन पदों पर तैनात व्यक्ति मुख्यमंत्री अथवा प्रधानमंत्री की गैरमौजूदगी में मंत्रिमंडल की अगुआई नहीं कर सकता है। इन पदों पर नियुक्त नेताओं को अतिरिक्त भत्ता या अतिरिक्त वेतन नहीं मिलता है। दरअसल ये पद संवैधानिक जरूरतों को पूरा करने के लिये नहीं, बल्कि राजनीतिक तुष्टिकरण के लिए होता है। सत्ताधारी पार्टी राजनीतिक संतुलन को ध्यान में रखते हुए उप मुख्यमंत्री अथवा उप प्रधानमंत्री पद पर किसी को नियुक्त करती है। उप मुख्यमंत्री अथवा उप प्रधानमंत्री भी कैबिनेट के अन्य मंत्रियों की तरह ही शपथ लेते हैं। यही वजह है कि बहुत सी सरकार में उप मुख्यमंत्री अथवा उप प्रधानमंत्री का कोई पद नहीं रहा है। 15 अगस्त 1947 से 15 दिसंबर 1950 तक (3 साल 122 दिन) वल्लभ भाई पटेल देश के पहले उप प्रधानमंत्री रहे हैं।

डिप्टी पीएम की शपथ लेने पर हुआ था विवाद

1989 से 1991 तक केंद्र में जनता दल की सरकार रही। इस सरकार में पहले विश्वनाथ प्रताप सिंह (वीपी सिंह) और फिर चंद्र शेखर प्रधानमंत्री बने। दोनों की कैबिनेट में देवी लाल को उप प्रधानमंत्री बनाया गया। पहली बार देवी लाल ने खुद को डिप्टी पीएम कहकर शपथ ली थी। इससे ऐसा विवाद खड़ा हुई कि तब के अटॉर्नी जनरल सोली सोराबजी को सुप्रीम कोर्ट में कहना पड़ा कि संविधान में उप प्रधानमंत्री का कोई पद नहीं है। देवीलाल कैबिनेट में एक मंत्री की तरह ही काम करेंगे।

बिहार से शुरू हुई डिप्टी सीएम की परंपरा

डिप्टी सीएम की परंपरा बिहार से ही शुरू हुई थी। आजादी से पहले वर्ष 1937 से 1939 तक डॉ अनुग्रह नारायण सिन्हा बिहार के डिप्टी प्रीमियर थे। इसके बाद वर्ष 1946 से 1957 तक (11 साल 94 दिन) डॉ अनुग्रह नारायण सिन्हा बिहार के डिप्टी सीएम पद पर तैनात रहे। वर्ष 1967 से 1968 तक (329 दिन) कर्पूरी ठाकुर इस पर सबसे कम अवधि के लिए तैनात रहे। बतौर उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी का कार्यकाल दूसरा सबसे लंबा रहा है। वह वर्ष 2005 से 2013 और फिर 2017 से 2020 तक (कुल 10 साल 316 दिन) इस पद पर रहे हैं। तेजस्वी यादव भी 2015 से 2017 तक (1 साल 248 दिन) राज्य के उप मुख्यमंत्री रह चुके हैं।

1967 से अन्य राज्यों में शुरू हुई परंपरा

बिहार के बाद राजस्थान और पंजाब (PEPSU) ने सबसे पहले डिप्टी सीएम पद पर नियुक्त की। राज्यस्थान में 1951 से 1952 तक टीका राम पालिवाल उप मुख्यमंत्री रहे। पटियाला एंड ईस्ट पंजाब स्टेट यूनियन (अब पंजाब) में 1951 से 1952 तक ब्रिश भान डिप्टी सीएम पद पर तैनात रहे हैं। अब के पंजाब में 1969 से 1970 तक बलराम दास टंडन पहले उप मुख्यमंत्री रहे हैं। इसके बाद 1959 से 1962 तक केवी रंगा रेड्डी आंध्र प्रदेश के डिप्टी सीएम रहे हैं। 1960 से 1962 तक आर शंकर केरल के डिप्टी सीएम रहे हैं। 1967 में डिप्टी सीएम के प्रचलन ने जोर पकड़ा। आंध्र प्रदेश में 1967 से 1972 तक जेवी नरसिंघ राव, हरियाणा में 1967 में 223 दिन के लिए चंद राम, मध्य प्रदेश में 1967 से 1969 तक वीरेंद्र कुमार सखलेचा, उत्तर प्रदेश में 1967 से 1968 तक राम प्रकाश गुप्ता और पश्चिम बंगाल में मार्च 1967 से नवंबर 1967 तक ज्योति बसु पहले उप मुख्यमंत्री रहे हैं। इसके बाद ही अन्य राज्यों में भी उप मुख्यमंत्री बनाने की परंपरा शुरू हुई।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *