September 25, 2024

हिजाब पर फिर गरमाई राजनीति, कर्नाटक सरकार ने बैन हटाया तो भाजपा बोली- ये शरिया कानून लागू कर रहे

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कर्नाटक
कर्नाटक में सिद्धारमैया के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पहनने पर लगी पाबंदी को हटा दिया है। इसे लेकर भारतीय जनता पार्टी राज्य सरकार पर हमलावर है। मालूम हो कि हिजाब को लेकर यह प्रतिबंध पिछली भाजपा सरकार की ओर से 2022 में लगाया गया था। केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने आरोप लगाया कि कर्नाटक में हिजाब प्रतिबंध हटाने से राज्य में शरिया कानून लागू होने जा रहा है। उन्होंने कहा कि अगर विपक्ष सत्ता में आया तो पूरे देश में इस्लामिक कानून लागू कर दिया जाएगा।

गिरिराज सिंह ने कहा, 'यह महज हिजाब पर प्रतिबंध हटाना ही नहीं है, बल्कि राज्य में शरिया कानून की स्थापना है। अगर राहुल गांधी, कांग्रेस और इंडिया गंठधन की देश में सरकार बनी तो इस्लामी कानून लागू हो जाएगा। यह सुनियोजित योजना का हिस्सा है। यह सनातन धर्म को नष्ट करने की साजिश है।' पूर्व मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने भी इसे लेकर राज्य की कांग्रेस सरकार पर आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि सिद्धारमैया वोट-बैंक की राजनीति कर रहे हैं। 2024 के लोकसभा चुनाव में अल्पसंख्यकों के वोट पाने के लिए यह किया जा रहा है।

यह अल्पसंख्यकों को खुश करने का प्रयास: बोम्मई
पूर्व सीएम बोम्मई ने कहा, 'हिजाब हर जगह पहना जाता है मगर यहां यह ड्रेस कोड का मुद्दा है। सिद्धारमैया स्कूलों और कॉलेजों में छात्रों के बीच भेदभाव पैदा करना चाहते हैं। वह वोट बैंक की राजनीति कर रहे हैं।' उन्होंने आगे कहा कि फिलहाल यह मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है और मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने इस पर ध्यान भी नहीं दिया। वह अल्पसंख्यकों को खुश करने के लिए ऐसा कर रहे हैं और उनकी नजर लोकसभा चुनाव पर है। हम इस फैसले की निंदा करते हैं।

भाजपा को संविधान पढ़ने की जरूरत: प्रियांक खरगे
कांग्रेस की ओर से भाजपा के आरोपों पर पलटवार किया गया है। राज्य में सत्ताधारी दल की ओर से कहा गया कि यह कदम कानून के तहत उठाया गया है और इसे लेकर राजनीति नहीं करनी चाहिए। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के बेटे व राज्य मंत्री प्रियांक खरगे ने कहा, 'मुझे नहीं लगता कि बीजेपी को संविधान के बारे में जानकारी है। उन्हें संविधान पढ़ने की जरूरत है। कोई भी ऐसा कानून या नीति जो कर्नाटक की प्रगति के लिए सही नहीं है, उसे नजरअंदाज नहीं किया जाएगा। अगर जरूरत पड़ी तो हम उस कानून या नियम को हटाएंगे और यही किया भी गया है।'

 

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