हम सिक्यूरिटी गार्ड नहीं, सरकार करें हमारा यूज हम सेवा देने तैयार
रायपुर
पूर्व सैनिक महासभा के अध्यक्ष महेंद्र प्रताप सिंह राणा ने कहा कि केंद्र सरकार हमें सिर्फ सिक्यूरिटी गार्ड समझती है लेकिन हम सिक्यूरिटी गार्ड नहीं बल्कि सेना में अनेक पदों पर कार्य कर चुके सैनिक है जो हमेशा देश की सेवा करने के लिए अभी भी तैयार है,बस सरकार हमें अपना करने के काबिल तो समझे। छग में पूर्व सैनिकों के लिए दुर्भाग्य की बात है कि सेना के द्वारा जारी सर्टिफिकेट यहां किसी प्रकार की भर्ती में मान्य नहीं है। पूर्व सैनिकों को 5 एकड़ जमीन दी जाती है लेकिन इसके लिए इतने नियम छग में है कि उसे पूरा कर पाना मुश्किल है। इसके साथ ही कुछ और मांगें है अगर इन मांगों को राज्य व केंद्र सरकार पूरा नहीं करती है तो पूर्व सैनिक भी आम नागरिकों की तरह सड़क पर उतरने के लिए तैयार है।
राणा ने कहा कि देश के अलग-अलग हिस्सों में रहने वाले पूर्व सैनिक अब एक होकर पूर्व सैनिक महासभा का गठन कर लिया और इसी के तहत छग में भी इसका गठन हुआ और इसकी कमान भूतपूर्व सैनिक कल्याण संगठन के अध्यक्ष महेंद्र प्रताप सिंह राणा को सौंपी गई है। उन्होंने कहा कि राज्य व केंद्र सरकार अपने – अपने स्तर पर आम लोगों को स्वास्थ्य सुविधाएं देने के लिए योजनाएं चला रही है लेकिन सैनिकों के लिए छत्तीसगढ़ में एक मात्र अस्पताल रामकृष्ण केयर ही है जहां वे इलाज करा सकते हैं। दोनों सरकारों से मांग करते है कि जिला व संभाग स्तर पर एक-एक अस्पताल सैनिकों के लिए खोला जाए ताकि वे भी अपने व परिवार का इलाज करवा सकें। इसके अलावा पुर्नवास योजना का लाभ भी पूर्व सैनिकों को दिया जाए। सेना से रिटायरमेंट या दिवंगत होने पर गृह ग्राम में 5 व 10 एकड़ जमीन सैनिक व उनके परिवार को दिया जाता है लेकिन छत्तीसगढ़ में नियम इतने जटिल है कि इसका लाभ उनको नहीं मिल पा रहा है।
राणा ने कहा कि अगर हम राज्य के द्वारा जारी किसी भी वैकेंसी में फार्म भरते है तो सेना के द्वारा जारी सर्टिफिकेट को मान्य नहीं किया जाता, उन्हें कहा जाता है कि पहले इन नियमों को पूरा करें फिर आप इसमें शामिल हो सकते हैं। दूसरी ओर आम नागरिकों के साथ केंद्र व राज्य सरकार यह सोचती है कि पूर्व सैनिक मात्र सिक्यूरिटी गार्ड है लेकिन हम यह बताना चाहते है कि हम पूर्व सैनिकों का यूज किया जाए तो हम शिक्षक से लेकर डॉक्टर व अन्य सेवाएं सेवाएं देने के लिए तैयार हैं। 8 फरवरी को पूर्व सैनिकों और राज्य सरकार के प्रतिनिधियों के साथ बैठक हुई थी, उस समय दो माह के भीतर उनकी समस्याएं दूर करने की बात कही गई थी लेकिन अभी तक राज्य सरकार ओर से कोई भी प्रस्ताव हम सैनिकों को प्राप्त नहीं हुआ है। आगामी दिनों पूर्व सैनिकों की एक बैठक होने जा रही है जिसमें यह तय किया जाएगा कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गई तो वे भी आम नागरिकों की तरह सड़क पर उतरने के लिए बाध्य होंगे।