उज्जैन में लग रही विश्व की पहली वैदिक घड़ी, 24 घंटे में 30 मुहूर्त बताएगी
उज्जैन
प्राचीन काल में उज्जैन काल गणना का केंद्र रहा है। इसका कारण यह है कि यह नगरी कर्क रेखा पर स्थित है। इसी वजह से यहां प्राचीन काल में कर्कराज मंदिर का निर्माण किया गया। इसके अलावा, राजा जयसिंह ने देश में चार वेधशालाएं स्थापित की थीं, जिनमें से एक उज्जैन में स्थित है। इसके साथ ही सम्राट विक्रमादित्य की राजसभा के नवरत्नों में से एक खगोलविद् वराह मिहिर तथा अन्य विद्वानों द्वारा लिखे गए ग्रंथों में भी उज्जैन में काल गणना का उल्लेख मिलता है।
हिंदू नववर्ष पर वेधशाला परिसर में विश्व की पहली वैदिक घड़ी स्थापित की जाने वाली है। इसका निर्माण डिजिटल तकनीक से लखनऊ में संस्था आरोहण द्वारा किया जा रहा है। यह वैदिक घड़ी इसीलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि वैदिक घड़ी के हर अंक में हिंदू धर्म से जुड़े कई रहस्य छिपे हैं। जैसे 12 बजने के स्थान पर आदित्या: लिखा है, जिसका मतलब है कि सूर्य 12 प्रकार के होते हैं- अंशुमान, अर्यमन, इंद्र, त्वष्टा, धातु, पर्जन्य, पूषा, भग, मित्र, वरुण, विवस्वान और विष्णु।
1:00 के स्थान पर ब्रह्म लिखा है, जो बताता है कि ब्रह्म एक है। 2 की जगह अश्विनौ का अर्थ है कि अश्विनी कुमार दो हैं- नासत्य और द्स्त्र। इसी तरह, 3 की जगह त्रिगुणा: लिखा है, जो तीन गुणों सतो, रजो और तमो को निर्दिष्ट करता है। 4 के स्थान पर चतुर्वेदा: यह बताता है कि वेद चार हैं। 5 बजे पंचप्राणा: का अर्थ है कि प्राण पांच प्रकार के हैं- अपान, समान, प्राण, उदान और व्यान। 6 के स्थान पर षड्सा: लिखने का मतलब है कि रस 6 प्रकार के होते हैं – मधुर, अमल, लवण, कटु, तिक्त और कसाय।
7:00 बजे सप्तर्षय: यानी ऋषि 7 हैं- कश्यप, अत्रि, भारद्वाज, विश्वामित्र, गौतम, जमदग्नि और वशिष्ठ। 8 के स्थान पर अष्ट सिद्धिय: लिखने का मतलब है कि सिद्धियां आठ प्रकार की होती हैं। ये हैं – अणिमा, महिमा, लघिमा, गरिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, इशित्व और वशित्व। 9 के स्थान पर नवद्रव्याणि अभियान का तात्पर्य है निधियां 9 हैं- पद्म, महापद्म, नील, शंख, मुकुंद, नंद, मकर, कच्छप, खर्व। 10 की जगह दशदिशः 10 दिशाओं की ओर इंगित करता है। 11 के स्थान पर रुद्रा: लिखा है, जो बताता है कि रुद्र 11 हैं- कपाली, पिंगल, भीम, विरुपाक्ष, विलोहित, शास्ता, अजपाद, अहिर्बुध्न्य, शम्भु, चण्ड और भव है।
हिंदू नववर्ष पर होगा घड़ी का लोकार्पण
जीवाजीराव वेधशाला परिसर में वैदिक घड़ी की स्थापना के लिए टावर तैयार किया जा रहा है। इस घड़ी को सम्राट विक्रमादित्य शोध पीठ द्वारा लगाया जाएगा। यह घड़ी इंटरनेट और जीपीएस से जुड़ी होगी, जिससे कही भी इसका उपयोग किया जा सकेगा। इस घड़ी को मोबाइल और टीवी पर भी लगाया जा सकेगा। इसके लिए विक्रमादित्य वैदिक घड़ी मोबाइल एप जारी किया जाएगा। इसका लोकार्पण आगामी हिंदू नववर्ष चैत्र प्रतिपदा के दिन किया जाएगा। बताया जाता है कि उज्जैन में स्थापित होने जा रही विश्व की पहली वैदिक घड़ी में ग्रीन विच टाइम जोन के 24 घंटों को 30 मुहूर्त (घटी) मे बांटा गया है।
उज्जैन के बाद अन्य शहरो मे भी लगाई जाएगी घड़ी
वेधशाला में तैयार हो रहे टावर पर वैदिक घड़ी लगाने के साथ इंदौर मार्ग पर स्थित नानाखेड़ा चौराहे पर भी एक समय स्तंभ बनाया जाएगा। साथ ही, विक्रम पंचांग का प्रकाशन भी किया जाएगा। इसके लिए मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री रहते अपनी निधि से धनराशि दी है।
लखनऊ की संस्था आरोहण के द्वारा तैयार की जा रही डिजिटल घड़ी
वैदिक घड़ी में मौजूदा ग्रीन विच पद्धति के 24 घंटों को 30 मुहूर्त (घटी) में बांटा गया है। हर घटी के धार्मिक नाम हैं, जिनका खास मतलब है। घड़ी में घंटे, मिनट और सेकंड वाली सुई रहेगी। यह घड़ी सूर्योदय के आधार पर समय की गणना करेगी। इसका उपयोग मुहूर्त (ब्रह्म मुहूर्त, राहु काल आदि) की गणना और समय से संबंधित अन्य कामों में भी किया जा सकेगा।
वैदिक घड़ी इंटरनेट और जीपीएस से जुड़ी होगी, जिसके कारण कहीं भी इसका उपयोग किया जा सकेगा। इस घड़ी को लखनऊ की संस्था आरोहण के आरोह श्रीवास्तव द्वारा डिजिटल तकनीक से बनाया जा रहा है। उक्त घड़ी में परंपरागत घड़ियों के जैसे कल पुर्जे नहीं रहेंगे।