दावा : 2080 तक अमेरिका-चीन को पछाड़ दुनिया की आर्थिक महाशक्ति बन जाएगा भारत
नई दिल्ली
भारत 2032 तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है। वहीं इस सदी के अंत तक चीन और अमेरिका दोनों को पीछे छोड़ "दुनिया की सबसे बड़ी आर्थिक महाशक्ति" बन जाएगा। सेंटर फॉर इकोनॉमिक्स एंड बिजनेस रिसर्च (CEBR) ने 27 दिसंबर को जारी एक रिपोर्ट में यह बात कही। CEBR ने अपनी 'वर्ल्ड इकोनॉमिक लीग टेबल 2024' रिपोर्ट में कहा है कि भारत 2024 से 2028 के दौरान औसतन 6.5 प्रतिशत की 'मजबूत आर्थिक ग्रोथ' को बनाए रखेगा। इस रफ्तार के चलते देश 2027 में जर्मनी को पीछे छोड़कर चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा और 2032 तक जापान को पीछे छोड़कर तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा।
रिपोर्ट में कहा गया है, 'भारत की बड़ी और युवा आबादी, बढ़ता मध्यम वर्ग, गतिशील उद्यमी क्षेत्र और बढ़ते ग्लोबल आर्थिक एकीकरण जैसे पहलुओं के चलते भारत को अपनी आर्थिक ग्रोथ बनाए रखने में मदद मिलेगी।"
CEBR ने हालांकि भारत के लिए चेतावनी की एक रेखा भी खींची। रिपोर्ट में कहा गया कि देश को 'गरीबी में कमी, असमानता, ह्यूमन कैपिटल और इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार और पर्यावरणीय स्थिरता' जैसी चुनौतियों का सामना करना चाहिए।
रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2024 भारत के लिए अहम है। इस साल देश में आम चुनाव होने हैं, जोअगले 5 सालों के लिए देश के राजनीतिक परिदृ्श्य को आकार देगा। इसमें कहा गया है कि चुनाव के नतीजे भारत की घरेलू और विदेश नीति के साथ-साथ पड़ोसी देशों और प्रमुख ग्लोबल शक्तियों के साथ इसके संबंधों को काफी हद तक प्रभावित करेंगे।
'सबसे बड़ी आर्थिक महाशक्ति'
CEBR ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि तीसरी और सबसे बड़ी आर्थिक महाशक्ति के रूप में उभर रहे भारत का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) इस सदी के अंत तक चीन से 90 प्रतिशत और अमेरिका से 30 प्रतिशत अधिक होने का अनुमान है। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2017 में परचेजिंग पावर के लिहाज से सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था का तमगा हासिल करने वाला चीन 20 साल से अधिक समय तक शीर्ष स्थान पर रह सकता है।
रिपोर्ट में कहा गया है, "डेमोग्राफिक अनुमानों के आधार पर भारत के 2080 के बाद चीन और अमेरिका दोनों को पीछे छोड़ने की उम्मीद है।" रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2100 तक अमेरिका की जीडीपी चीन की तुलना में 45 प्रतिशत अधिक होने की उम्मीद है।
बहरहाल अध्ययन में कहा गया है कि भारत को गरीबी घटाने, असमानता खत्म करने, मानव संसाधन और बुनियादी ढांचा में सुधार करने व पर्यावरण की सततता बनाए रखने पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। सीईबीआर रिपोर्ट में कहा गया है, ‘इन समस्याओं के समाधान के लिए सरकार, निजी क्षेत्र, सिविल सोसाइटी और अंतरराष्ट्रीय समुदाय को मिलकर काम करने की जरूरत है।’ 2022-23 में भारत की जीडीपी में रिकॉर्ड 7.2 प्रतिशत वृद्धि हुई।
सीईबीआर का अनुमान है कि 2023-24 में वृद्धि दर थोड़ी घटकर 6.4 प्रतिशत रह जाएगी।
इसमें कहा गया है, ‘इससे वैश्विक मांग में कमी और महंगाई पर काबू पाने के लिए रिजर्व बैंक द्वारा नीतिगत दर को लेकर सख्ती के असर का पता चलता है।’
सीईबीआर रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि खाद्य व ऊर्जा की कीमत में बढ़ोतरी की वजह से तेज उत्पादन के बावजूद महंगाई दर 2023 में 5.5 प्रतिशत के करीब रहेगी। बढ़ता सरकारी कर्ज दीर्घावधि के हिसाब से विकास की राह में व्यवधान है क्योंकि 2023 में यह सकल घरेलू उत्पाद के 81.9 प्रतिशत तक पहुंचने की उम्मीद है, जो 2022 में दर्ज 81 प्रतिशत से ज्यादा है।
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की हाल की रिपोर्ट में भी यह कहा गया था कि भारत का सामान्य सरकारी कर्ज मध्यावधि के हिसाब से सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 100 प्रतिशत से ऊपर जा सकता है। वित्त मंत्रालय ने कहा है कि आईएमएफ की रिपोर्ट सिर्फ सबसे खराब स्थिति को देखते हुएतैयार की गई है। मंत्रालय ने साफ किया कि भारत में सामान्य सरकारी ऋण रुपये में है, वहीं विदेशी उधारी द्विपक्षीय और बहुपक्षीय स्रोतों से है और इसकी हिस्सेदारी बहुत कम है।
सीईबीआर रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि सरकार की उधारी 2023 में जीडीपी के 8.8 प्रतिशत रहने का अनुमान है, जिससे बुनियादी ढांचे, स्वास्थ्य और सामाजिक कल्याण पर खर्च के साथ विस्तार के संकेत मिलते हैं।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 2024 का भारत के लिए विशेष महत्त्व है क्योंकि आगामी आम चुनावों से अगले 5 साल का राजनीतिक अनुमान मिल सकेगा।