November 22, 2024

समाजसेवियों और संस्थाओं की आईटीआई, व्यापमं से एग्जाम कराने वाली एजेंसीयों के मांगे दस्तावेज

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भोपाल

व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापमं) की परीक्षाएं कराने वाली एजेंसी पर संकट के बादल छंटने का नाम नहीं ले रहे हैं। प्रदेश के अलग-अलग समाजसेवियों और संस्थाओं के संचालकों ने 100 आरटीआई दर्ज करा दी है। आईटीआई में व्यापमं ने एग्जाम कराने वाली एजेंसी के इतने दस्तावेज मांग लिये हैं, जो व्यापमं और एजेंसी के तक के पास नहीं हैं। अब अफसर परेशान हैं।

व्यापमं ने एग्जाम कराने का काम एजुक्विटी कैरियर टेक्नोलॉजी को दिया और उसने साई एजुकेयर प्राइवेट लिमिटेड को ठेका दे रखा है। एजुक्विटी द्वारा कराई गई परीक्षाओं में काफी गड़बड़ी सामने आयी हैं। यहां तक साई एजुकेयर ने परीक्षाएं कराने के बाद एग्जाम सेंटर को भुगतान नहीं किये हैं। इससे व्यापमं की आगामी परीक्षाओं पर संकट आ गया है। व्यापमं की परीक्षाएं कराने का ठेका गलत एजेंसी को दिया गया है। एजेंसी का भांडाफोड़ करने और अफसरों की मिलीभगत उजागर करने के लिये प्रदेश के कुछ समाजसेवियों और संस्थाओं के संचालकों ने करीब 100 आरटीआई व्यापमं में दर्ज करा दी हैं।

75 दिन की मिली मोहलत
आरटीआई दर्ज होने के तीस दिन के अंदर व्यापमं को जानकारी देना होगी। इसके बाद अपीलीय प्राधिकारी के पास अपील दर्ज होगी। उन्हें 45 दिनों में दस्तावेज देना होंगे। इसलिये व्यापमं के पास सभी दस्तावेज देने के लिये 75 दिन की मौहलत मिली हुई है। ऐसा नहीं करने की दशा में आरटीआई राज्य सूचना आयुक्त के पास पहुुंच जाएगी। जहां सूचना आयुक्त हरेक आरटीआई पर 25 हजार रुपये तक का जुर्माना लगा सकते हैं।

एजेंसी ने नहीं किया कॉलेजों का भुगतान
एजेंसी ने भोपाल के 29 और प्रदेश में 120 कॉलेजों को परीक्षा केंद्र बनाने का करार किया है। एजेंसी ने उक्त कालेजों द्वारा कराई गई परीक्षाओं का भुगतान नहीं किया है। एजेंसी को कालेजों करीब तीन करोड़ रुपये का भुगतान करना है। दिसंबर 2021 और जनवरी-फरवरी 2022 में कांस्टेबल रिक्रूटमेंट टेस्ट कराए गए थे। भुगतान के एवज में कालेजों ने व्यापमं की आगामी तीन माह में होने वाली स्टेनो-टायपिस्ट से लेकर जेल उपनिरीक्षक सहित नौ परीक्षाएं कराने से इंकार कर दिया है।

पोल पट्टी खोलने लगवाई आरटीआई
एग्जाम एजेंसी परीक्षा केंद्रों की करोड़ों रुपये का भ्ुागतान रोके बैठी है। एजेंसी का कालेज संचालकों के प्रति रवैया भी ठीक नहीं हैं। इसलिये कालेज संचालकों ने अपने कर्मचारी और अधिकारियों के नाम से एजेंसी की पोल पाट्टी खोलने  भी आरटीआई दर्ज कराई हैं।

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