भगवान के हर अवतार की अपनी महिमा है : संजय सलिल
रायपुर
गजेन्द्र मोक्ष के प्रसंग पर बताया कि जब ममता छूट गई,परिजन छूट गए तब ठाकुर जी की याद आई है और गजेन्द्र को बचाने के लिए ग्राह्य का वध किया है। इसलिए आशा किसी से मत रखना, केवल ठाकुर से ही रखना। आज तो केवल पैसों की खातिर संबंध खराब हो जाते हैं, अपना ही दिया पैसा मांग लिया तो संबंध खत्म कर लेंगे। 80 फीसदी लोग दिए पैसे देने में टाल मटोल करते हैं। यहां तो जीवन-मरन का सवाल था।
श्याम खाटू मंदिर में चल रही श्रीमद्भागवत कथा में डा.संजय सलिल ने बताया कि विष कोई पाना नहीं चाहते सभी अमृत की चाहत रखते हैं। समुद्र मंथन की कथा आने पर कहा कि कोई भी शुभ कार्य करोगे तो परेशानी तो आती है। जो इन्ही परेशानियों को झेल लेते हैं उन्हे शिवत्व की प्राप्ति होती है। जिनके मुख में ठाकुर हैं जिनके भीतर ठाकुर हैं वहां तो विष्णु ही रहेंगे विष के लिए कहां जगह? मंथन में देवताओं की जीत हुई है। वामन अवतार की लीला सुनाते हुए कहा कि दो पग में तो सब कुछ नाप डाला तीसके को राजा बलि के माथे पर रखा है। ठाकुर जी ने लीलाओं के माध्यम से भी संसार को संदेश ही दिया है।
आज कृष्ण जन्मोत्सव भी कथा स्थल पर धूमधाम से मनाया गया है। भादो मास शुक्ल पक्ष रोहणी नक्षत्र में रात के बारह बजे ठाकुर जी का जन्म हुआ है। शंख, गदा, चक्र व पद्म के साथ भगवान का जन्म काफी अद्भुत प्रसंग है। विराट रूप का शब्दों में बखान कर पाना मुमकिन नहीं हैं। रात में ही वसुदेव जी नंदबाबा का घर के रवानगी डालते हैं और जब तक कंस मामा को पता चलता है तब तक काफी देर हो चुकी होती है, यह सब कुछ भगवान की लीला थी। भगवान के हर अवतार की अपनी महिमा है।