November 25, 2024

Vastu : वास्तु शास्त्र के अनुसार ऐसा होना चाहिए आपका घर, जानिए किस चीज के लिए कौन सी दिशा है सही

0

हमारे देश में वास्तु के अनुसार घर बनवाना बहुत शुभ माना जाता है। घर अगर वास्तु के हिसाब से बनाया या खरीदा जाय तो हमेशा सुख-शांति बनी रहती है। वहीं अगर घर बनाते समय वास्तु का ख्याल नहीं रखा जाए तो हमेशा अशांति और कलह बना रहता है। इसके अलावा, ऐसा करने से हमें वास्तु दोष का सामना भी नहीं करना पड़ता है। अगर आप नया घर लेने की या खरीदने की सोच रहे हैं तो वास्तु शास्त्र में इससे जुड़े कुछ खास नियम बताए गए हैं। आइए जानते हैं कि नया घर लेते या बनवाते समय वास्तु की किन बातों को ध्यान में रखना चाहिए…..

1.नया घर खरीदते या बनवाते समय इस बात का ध्यान रखें कि घर का मुख्य प्रवेश द्वार उत्तर दिशा में होना चाहिए। अगर प्रवेश द्वार उत्तर दिशा में रखना संभव नहीं है तो इसे पूर्व और उत्तर-पूर्व दिशा में होना चाहिए।

2. घर की नींव खुदाई के समय रखें इस बात का ध्यान रखें कि उत्तर और पूर्व की दिशा में सबसे पहले खुदाई करवाएं। जबकि  पश्चिम की दिशा को सबसे अंत में खोदना चाहिए। दूसरी ओर सबसे पहले दक्षिण की दीवार और उसके बाद पश्चिम की दिशा की दीवार बनवानी चाहिए। सबसे अंत में उत्तर व पूर्व दिशा में दीवार बनवाएं।

3. मकान बनवाते समय खिड़कियों पर भी पूरा ध्यान रखें। घर में खिड़कियों की जगह हमेशा उत्तर व पूर्व में होनी चाहिए। घर में बड़ी से बड़ी खिड़की बनाने का प्रयास करें।

4. घर बनवाते समय पानी के नल की दिशा का भी विशेष ध्यान रखना चाहिए। पानी के नल के लिए उत्तर या पूर्व की दिशा सबसे अच्छी मानी गई है। इसे भूलकर भी दक्षिण या पश्चिम दिशा में नहीं लगाना चाहिए।

5. नया घर बनवाते समय हर चीज को उसके सही स्थान या दिशा के अनुसार ही डिजाइन करवाएं। किचन के लिए दक्षिण पूर्व की दिशा सबसे शुभ मानी जाती है जबकि पूजा घर उत्तर पूर्व या ईशान कोण में होना चाहिए।

6. दूसरी ओर नए घर में बच्चों का स्टडी रूम उत्तर पश्चिम दिशा में होना चाहिए जबकि शौचालय का निर्माण पश्चिम दिशा के मध्य में करवाना उचित माना जाता है।

कौन सी हो दिशा?

सुकून के घर के लिए सबसे पहले दिशा का चयन करना चाहिए. हमारे अनुसार सबसे उत्तम दिशा- पूर्व, ईशान और उत्तर है. वायव्य और पश्‍चिम सम है. आग्नेय, दक्षिण और नैऋत्य दिशा सबसे खराब होती है.

कैसा हो घर?

घर वास्तु अनुसार होना चाहिए जिसमें आगे और पीछे आंगन हो. खुद की भूमि और खुद की ही छत हो. चंद्र और गुरु से युक्त वृक्ष या पौधें हो. घर के अंद भी वास्तु अनुसार ही वस्तुएं एकत्रित की गई हो. कोई भी वस्तु अनावश्यक न हो. द्वार को देहरी सुंदर और सजावटी हो. दरवाजा और खिड़कियां दो पुड़ वाली हो. उचित हवा और प्रकाश के सुगम रास्ते हों.

भूमि का ढाल कैसा हो?

उत्तर से दक्षिण की ओर ऊर्जा का खिंचाव होता है. शाम ढलते ही पक्षी उत्तर से दक्षिण की ओर जाते हुए दिखाई देते हैं. अत: पूर्व, उत्तर एवं ईशान की और जमीन का ढाल होना चाहिए. मकान के लिए भूमि का चयन करना सबसे ज्यादा महत्व रखता है. शुरुआत तो वहीं से होती है. भूमि कैसी है और कहां है यह देखना जरूरी है. भूमि भी वास्तु अनुसार है तो आपके मकान का वास्तु और भी अच्छे फल देने लगेगा.

कहां हो आपका घर?

आपका मकान मंदिर के पास है तो अति उत्तम. थोड़ा दूर है तो मध्यम और जहां से मंदिर नहीं दिखाई देता वह निम्नतम है. मकान उस शहर में हो जहां 1 नदी, 5 तालाब, 21 बावड़ी और 2 पहाड़ हो. मकान पहाड़ के उत्तर की ओर बनाएं. मकान शहर के पूर्व, पश्‍चिम या उत्तर दिशा में बनाएं. मकान के सामने तीन रास्ते न हों. अर्थात तीन रास्तों पर मकान न बनाए. मकान के एकदम सामने खंभा या वृक्ष न हो. मकान अपनों के ही के पास बनाएं. मकान ऐसी जगह हो जहां आसपास सज्जन या स्वजातीय के लोग रहते हों.

घर का आंगन कैसा हो?

घर के आगे और घर के पीछे छोटा ही सही, पर आंगन होना चाहिए. आंगन में तुलसी, अनार, जामफल, कड़ी पत्ते का पौधा, नीम, आंवला आदि के अलावा सकारात्मक ऊर्जा पैदा करने वाले फूलदार पौधे लगाएं.

कैसा हो स्नानघर और शौचालय?

स्नानगृह में चंद्रमा का वास है तथा शौचालय में राहू का. शौचालय और बाथरूम एकसाथ नहीं होना चाहिए. शौचालय मकान के नैऋत्य (पश्चिम-दक्षिण) कोण में अथवा नैऋत्य कोण व पश्चिम दिशा के मध्य में होना उत्तम है. इसके अलावा शौचालय के लिए वायव्य कोण तथा दक्षिण दिशा के मध्य का स्थान भी उपयुक्त बताया गया है. शौचालय में सीट इस प्रकार हो कि उस पर बैठते समय आपका मुख दक्षिण या उत्तर की ओर होना चाहिए. स्नानघर पूर्व दिशा में होना चाहिए. नहाते समय हमारा मुंह अगर पूर्व या उत्तर में है तो लाभदायक माना जाता है. पूर्व में उजालदान होना चाहिए. बाथरूम में वॉश बेशिन को उत्तर या पूर्वी दीवार में लगाना चाहिए. दर्पण को उत्तर या पूर्वी दीवार में लगाना चाहिए. दर्पण दरवाजे के ठीक सामने नहीं हो.

शयन कक्ष कैसा हो?

शयन कक्ष अर्थात बेडरूम हमारे निवास स्थान की सबसे महत्वपूर्ण जगह है. इसका सुकून और शांतिभरा होना जरूरी है. कई बार शयन कक्ष में सभी तरह की सुविधाएं होने के कारण भी चैन की नींद नहीं आती. मुख्य शयन कक्ष, जिसे मास्टर बेडरूम भी कहा जाता हें, घर के दक्षिण-पश्चिम (नैऋत्य) या उत्तर-पश्चिम (वायव्य) की ओर होना चाहिए. अगर घर में एक मकान की ऊपरी मंजिल है तो मास्टर बेडरूम ऊपरी मंजिल के दक्षिण-पश्चिम कोने में होना चाहिए. शयन कक्ष में सोते समय हमेशा सिर दीवार से सटाकर सोना चाहिए. पैर उत्तर या पश्चिम दिशा की ओर करने सोना चाहिए.

अध्ययन कक्ष: पूर्व, उत्तर, ईशान तथा पश्चिम के मध्य में अध्ययन कक्ष बनाया जा सकता है. अध्ययन करते समय दक्षिण तथा पश्चिम की दीवार से सटाकर पूर्व तथा उत्तर की ओर मुख करके बैठें. अपनी पीठ के पीछे द्वार अथवा खिड़की न हो. अध्ययन कक्ष का ईशान कोण खाली हो.

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *