इराक में श्रीलंका जैसे हालात, हिंसा में 20 की मौत, देश में लगाया गया कर्फ्यू
बगदाद
इराक में एक बार फिर से बड़ा विरोध प्रदर्शन देखने को मिल रहा है। शिया धर्मगुरू मुक्तदा अल सदर और सुरक्षाकर्मियों के बीच हिंसक झड़प में अबतक 20 लोगों की मौत हो गई है। दरअसल मुक्तदा अल सदर ने राजनीति छोड़ने का ऐलान कर दिया, जिसके बाद हालात काफी तनावपूर्ण हो गए। बगदाद में मुक्तदा के समर्थकों और ईरान का समर्थन करने वाले लोगों के बीच हिंसक झड़प शुरू हो गई। गुस्साई भीड़ ने राष्ट्रपति भवन और सरकारी इमारतों पर भी धावा बोल दिया है। इन मुश्किल हालात के बीच अमेरिकी दूतावास के कर्मचारियों को हेलीकॉप्टर के जरिए ग्रीन जोन से सुरक्षित बाहर निकाला गया।
प्रदर्शनकारियों को नियंत्रित करने के लिए इराक के सुरक्षाबलों ने आंसू गैस के गोले दागे। इस दौरान प्रदर्शनकारियों का एक वीडियो भी सामने आया, जिसमे देखा जा सकता है कि ये लोग राष्ट्रपति भवन में बने स्वीमिंग पूल में स्वीमिंग कर रहे हैं। गौर करने वाली बात है कि इरका में पिछले 10 महीनों से कोई स्थाई प्रधानमंत्री नहीं है और ना ही कोई सरकार है। बिना मंत्रिमंडल के ही देश का शासन चल रहा है। जिसकी वजह से देश की हालत और बिगड़ गई है और अराजकता का माहौल बन गया है। इराक में फिलहाल श्रीलंका जैसे हालात हैं।
रिपोर्ट के अनुसार ग्रीन जोन में मौलवी के राजनीति के छोड़ने के ऐलान के बाद से ही माहौल खराब हो गया है। उनके प्रशंसकों ने जमकर हंगामा किया। लोग सड़क पर उतर आए और जगह-जगह पर हिंसक झड़प देखने को मिली है। ग्रीन जोन के बाहर लोगों ने एक दूसरे पर पत्थर फेके। गौर करने वाली बात है कि इसी इलाके में अहम मंत्रालय और दूतावास में रहने वाले लोगों के घर हैं। पिछले कुछ दिनों से सेंट्रल बगदाद में गोलियों की आवाज सुनाई दे रही है। जिसकी वजह से यहां दहशत है। इस हमले में कुल 20 लोगों की मौत हो चुकी है और दर्जनों लोग घायल हैं।
हालात को देखते हुए इराक में कर्फ्यू लगा दिया गया है। सोमवार को इराक की सेना ने दोपहर से ही देश में कर्फ्यू लगा दिया है। साथ ही लोगों से ग्रीन जोन को छोड़कर चले जाने की अपील की गई है। शिया धर्मगुरू देश में जल्द से जल्द चुनाव की मांग कर रहे हैं। मुक्तदा अल सदर हिंसा को रोकने के लिए भूख हड़ताल पर बैठ गए हैं। उन्होंने कहा कि जबतक हिंसा नहीं रुक जाती, हथियारों का इस्तेमाल नहीं रुक जाते हैं वह भूख हड़ताल पर रहेंगे।