डायल 112 से लोगों को तत्काल मदद मिले : उपमुख्यमंत्री शर्मा
रायपुर
छत्तीसगढ़ के सभी 33 जिलों में डायल 112 सुविधा का विस्तार किया जाएगा। उप मुख्यमंत्री श्री विजय शर्मा ने आज यहां सिविल लाईन स्थित डायल 112 के कंट्रोल रूम में पुलिस के आला अफसरों के साथ इस सुविधा को प्रदेशभर में लागू करने के संबंध में विचार विमर्श किया। बैठक में अधिकारियों ने कंसलटेंट कंपनी द्वारा तैयार किए गए पावर प्वाइंट प्रजेंटेशन के माध्यम से परियोजना के संपूर्ण प्रदेश में प्रस्तावित क्रियान्वयन के संबंध में जानकारी दी।
गौरतलब है कि प्रथम चरण में शुरू की गई डायल 112 सुविधा वर्तमान में राजधानी रायपुर सहित 16 जिलों में संचालित की जा रही है। इस सुविधा के अंतर्गत जरूरतमंद लोगों को आकस्मिक तथा विपत्ति की स्थिति में पुलिस, फायर और चिकित्सा संबंधी त्वरित सहायता उपलब्ध कराई जा रही है। द्वितीय चरण में इस सुविधा का विस्तार प्रदेश के शेष 17 जिलों में किया जाएगा। इस प्रकार द्वितीय चरण में इस सुविधा के विस्तार के बाद राज्य के सभी 33 जिलों में यह सुविधा लोगों को मिलने लगेगी। उप मुख्यमंत्री श्री शर्मा ने राजधानी रायपुर के सिविल लाईन स्थित डायल 112 सुविधा के कंट्रोल रूम पहुंचकर उपमुख्यमंत्री श्री विजय शर्मा ने कार्यप्रणाली देखी। उन्होंने अधिकारियों को इस व्यवस्था को और बेहतर बनाने के लिए जरूरी निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि जरूरतमंद और आकस्मिक विपत्ती पड़े लोगों को तत्काल सहायता मिले इसका विशेष ध्यान रखा जाए। इस मौके पर विधायक गुरू खुशवन्त साहेब भी उनके साथ थे।
उप मुख्यमंत्री श्री विजय शर्मा के संचालन कक्ष के भ्रमण के दौरान अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक श्री प्रदीप गुप्ता ने बताया कि पुलिस, फायर और चिकित्सा संबंधी आकस्मिक जरूरतों के मद्देनज? जरूरतमंद नागरिकों द्वारा कॉल करके और विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के माध्यम् से डायल 112 से संपर्क किया जाता है। उन्होंने बताया कि कॉलर द्वारा संपर्क करने पर यह कॉल सी-4 स्थित कॉल टेकर सेक्शन में प्राप्त होती है, संचालन कक्ष में उपस्थित कॉल टेकर के द्वारा कॉलर आवश्यक पूछताछ कर एक इवेंट बनाया जाता है। जिसे तकनीकी भाषा में कॉल फॉर सर्विस कहा जाता है।
श्री प्रदीप गुप्ता ने बताया कि कॉल टेकर द्वारा बनाए गए सीएफएस को कंप्लीट करते ही यह इवेंट कम्प्यूटर ऐडेड डिस्पेच प्रणाली के माध्यम् से रियल टाईम में संबंधित जिला के डिस्पेचर स्टॉफ के सिस्टम में दिखाई देती है, जो उस घटनास्थल के नजदीक उपलब्ध इमरजेंसी रिस्पांस व्हीकल को सिस्टम में खोज कर आवश्यकतानुसार एक या एक से अधिक ईआरव्ही को उस इवेंट को अटैंड करने असाइन करता है। इवेंट पर असाइन होते ही संबंधित ईआरव्ही में मौजूद पुलिस ईआरव्ही में लगे मोबाईल डेटा टर्मिनल डिवाइस की मदद से तुरंत घटनास्थल के लिए रवाना हो जाता है। श्री गुप्ता ने बताया कि पूरी प्रक्रिया का सी-4 में मौजूद पुलिस पर्यवेक्षण अधिकारी और संबंधित जिला के डिस्ट्रिक्ट पुलिस कंट्रोल रूम स्टॉफ द्वारा निगरानी की जाती है। इवेंट समाप्त होने पर ईआरव्ही स्टॉफ द्वारा की गई कार्यवाही के संबंध में एक ब्रीफ नोट लिखा जाता है, जिसे एक्शन टेकन रिपोर्ट कहा जाता है। पुलिस अधिकारियों द्वारा समय-समय पर कॉलरों से संपर्क कर फीडबैक लिया जाता है, ताकि सर्विस की गुणवत्ता में आवश्यक सुधार किए जा सकें।